क्या मायावती को पता नहीं देवगौड़ा बीजेपी के साथ हो चुके हैं? जरा दानिश अली को सस्पेंड करने वाली चिट्ठी पढ़िए..
Advertisement
trendingNow12002642

क्या मायावती को पता नहीं देवगौड़ा बीजेपी के साथ हो चुके हैं? जरा दानिश अली को सस्पेंड करने वाली चिट्ठी पढ़िए..

Mayawati: यह राजनीति का एक गजब का नजारा है. बसपा सुप्रीमो मायावती दानिश अली को बाहर का रास्ता दिखाती हैं.. वो भी पूर्व पीएम देवगौड़ा की दुहाई देकर. मजे की बात है कि देवगौड़ा की पार्टी अब बीजेपी के साथ है. क्या सतीश चंद मिश्रा ने यह बात मायावती को नहीं बताई?

क्या मायावती को पता नहीं देवगौड़ा बीजेपी के साथ हो चुके हैं? जरा दानिश अली को सस्पेंड करने वाली चिट्ठी पढ़िए..

Danish Ali HD Deve Gowda: दानिश अली पिछले काफी समय से चर्चा में हैं.. कारण एक-दो नहीं कई है. संसद में उनके ऊपर बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने आपत्तिजनक कमेंट किए. फिर राहुल गांधी उनसे मिलने गए. इधर उनकी पार्टी बसपा की उनके ऊपर टेढ़ी नजर बनी हुई थी. फिर वो हुआ जिसका लगभग अंदाजा था. बसपा ने गाज गिरा दी. बसपा ने अपने लोकसभा सांसद दानिश अली को पार्टी से सस्पेंड किया. एक चिट्ठी लिखी, जिस पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया गया. उसी आरोप में यह कार्रवाई की गई. चिट्ठी बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के हवाले से लिखी गई. लेकिन मजे की बात यह है कि इस चिट्ठी में पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा का जिक्र है. जिक्र क्या, लगभग उनके नाम की दुहाई है. चौंकाने वाली बात है कि देवगौड़ा की पार्टी खुद बीजेपी के साथ गठबंधन में है. लेकिन क्या यह बात मायावती और उनको पार्टी को नहीं पता? पहले चिट्ठी में जानिए क्या लिखा है..फिर चिट्ठी का मजमून समझते हैं.

क्या लिखा है चिट्ठी में..
असल में बसपा ने यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर शेयर की है. लिखा गया, 'श्री दानिश अली बीएसपी लोकसभा सांसद अमरोहा, उत्तर प्रदेश को पार्टी विरोधी कृत्यों की वजह से आज दिनांक 09.12.2023 को पार्टी से निलंबित कर दिया गया है. आपको अनेकों बार मौखिक रूप से कहा गया कि आप पार्टी की नीतियों, विचारधारा एवं अनुशासन के विरूद्ध जाकर कोई भी बयानबाजी व कृत्य आदि न करें परन्तु इसके बाद भी आप लगातार पार्टी के विरूद्ध जाकर कार्य करते आ रहें हैं. यहां आपको यह भी अवगत कराना उचित होगा कि सन 2018 तक आप श्री देवगौड़ा जी की जनता पार्टी के सदस्य के रूप में कार्य कर रहें थे, और कर्नाटक में सन 2018 के आमचुनाव में बहुजन समाज पार्टी और जनता पार्टी के साथ गठबन्धन करके चुनाव लड़ा गया था, इस गठबन्धन में आप श्री देवगौड़ा जी की पार्टी के तरफ से काफी सक्रिय थे.'

आखिर एचडी देवगौड़ा की दुहाई क्यों?
ऐसा इसलिए कि दानिश अली पहले उसी पार्टी में थे. चिट्ठी में आगे लिखा गया, 'कर्नाटक के उक्त चुनाव के नतीजों के आने के बाद श्री देवगौड़ा जी के अनुरोध पर आपको अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के रूप में टिकट दिया गया और इस टिकट के दिए जाने के पूर्व श्री देवगौड़ा जी ने यह आश्वासन दिया था कि आप बहुजन समाज पार्टी का टिकट मिलने के उपरान्त बहुजन समाज पार्टी की सभी नीतियों व निर्देशों का सदैव पालन करेंगे और पार्टी के हित में ही कार्य करेंगे. इस आश्वासन को आपने भी उनके समक्ष दोहराया था. इसी आश्वासन के बाद ही आपको बी.एस.पी. की सदस्यता ग्रहण कराई गई थी और अमरोहा से चुनाव लड़ा कर तथा जिताकर लोकसभा में भेजा गया परन्तु आप अपने दिए गये आश्वासनों को भूल कर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं. अतः अब पार्टी के हित में आपको बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है.'

इसको ऐसे समझिए कि देवगौड़ा का स्टैंड क्या होगा?
मायावती भले ही देवगौड़ा की दुहाई दे रही हैं कि उनके सामने क्या बात हुई. लेकिन अब खुद देवगौड़ा की पार्टी बीजेपी के साथ है. यह तब हुआ जब देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस हाल ही में एनडीए गठबंधन में शामिल हो गई है. जेडीएस नेता, देवगौड़ा के बेटे और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने 22 सितंबर को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर एनडीए में शामिल होने का ऐलान किया था. यह बात अलग है कि मायावती ने दानिश अली को सस्पेंड किया है लेकिन उनकी चिट्ठी की स्टाइल देखकर ऐसा लग रहा है कि मायावती को पता ही नहीं कि देवगौड़ा बीजेपी के साथ हो चुके हैं.

नीतीश से भी मिले थे दानिश अली!
यहां एक चीज यह भी समझना होगा कि बसपा से दानिश अली की विदाई यूं ही नहीं हुई है. अभी अगस्त में ही दानिश अली ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. उन्होंने नीतीश कुमार को पटना में फूलों का गुलदस्ता भेंट किया था. उन दिनों नीतीश से दानिश की मुलाकात की तस्वीर खूब वायरल हुई थी. तब चर्चा रही कि दानिश अली नीतीश के जरिए विपक्ष में सक्रिय होना चाहते हैं. इधर बसपा की राजनीति इन दिनों राजनीतिक पंडित भी नहीं समझ पा रहे हैं तो ऐसे में दानिश पर गाज गिरनी ही थी.

दानिश अली ने क्या दी प्रतिक्रिया
इधर निष्कासन पर दानिश अली ने कहा कि मैं पहले दिन से मैं जनता के हित और पार्टी की आईडियोलॉजी को ध्यान में रखते हुए संसद के अंदर लोकसभा में गया. मैंने इस देश के शोषित वंचित पीड़ित समाज की, गरीब की मजलूम की, शेड्यूल कास्ट की, दलित की अकलियत की बेजुबानों की जुबान बनने का काम किया हूं. यह सब पार्टी विरोधी है? पिछले 70 साल में इस देश के में जो सार्वजनिक संपत्ति देश की जनता की कमाई से बनाई गई, सरकार के खास उद्योगपति मित्रों को दी जा रही है, उसका विरोध मैंने किया है और आगे भी करता रहूंगा. क्या यह पार्टी विरोधी गतिविधि है.'

Trending news