मृत्युदंड पाए 306 लोगों की दया अर्जी को राष्ट्रपति की मंजूरी
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मृत्युदंड पाए 306 लोगों की दया अर्जी को राष्ट्रपति की मंजूरी

देश के विभिन्न राष्ट्रपतियों ने मृत्युदंड पाये 437 दोषियों में से 306 दोषियों की दया याचिकाओं को मंजूर किया। इस बात का खुलासा विधि आयोग ने मृत्युदंड के बारे में कल जारी अपनी रिपोर्ट में किया । इस रिपोर्ट में 26 जनवरी 1950 के बाद से विभिन्न राष्ट्रपतियों द्वारा निस्तारित की गयी क्षमा याचिकाओं का आंकड़ा दिया गया है।

नई दिल्ली : देश के विभिन्न राष्ट्रपतियों ने मृत्युदंड पाये 437 दोषियों में से 306 दोषियों की दया याचिकाओं को मंजूर किया। इस बात का खुलासा विधि आयोग ने मृत्युदंड के बारे में कल जारी अपनी रिपोर्ट में किया । इस रिपोर्ट में 26 जनवरी 1950 के बाद से विभिन्न राष्ट्रपतियों द्वारा निस्तारित की गयी क्षमा याचिकाओं का आंकड़ा दिया गया है।

आयोग ने कहा कि इस आंकड़े के विश्लेषण से पता चलता है कि मृत्युदंड पाए दोषी का जीवन एवं मृत्यु का फैसला न केवल तत्कालीन सरकार की विचारधारा एवं दृष्टिकोण पर निर्भर करता है बल्कि यह राष्ट्रपति के निजी विचारों एवं मान्यताओं पर भी आधारित होता है।

इस रिपोर्ट में आतंकवाद एवं देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसे अपराधों को छोड़कर अन्य सभी मामलों में मृत्युदंड को समाप्त करने की सिफारिश की गयी है। इसमें कहा गया कि 26 जनवरी 1950 से लेकर आज तक कुल 437 क्षमा याचिकाओं में से 306 को अनुमति देकर मृत्युदंड को आजीवन कारावास में तब्दील किया गया तथा 131 को खारिज कर दिया गया।

इसमें कहा गया कि 1950-1982 के दौरान छह राष्ट्रपतियों का कार्यकाल रहा और इस दौरान केवल एक क्षमा याचिका को खारिज किया गया जबकि 262 में मृत्युदंड को आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया गया। उपलब्ध आंकड़ों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने 181 दया याचिकाओं में से 180 के मृत्युदंड को परिवर्तित कर दिया।

राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने 57 क्षमा याचिकाओं पर फैसला करते हुए सभी की सजा को परिवर्तित कर दिया। इसी प्रकार राष्ट्रपति जाकिर हुसैन एवं राष्ट्रपति वी वी गिरी ने भी जिन क्षमा याचिकाओं पर फैसला किया उनके मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया गया। राष्ट्रपति फखरूदीन अली अहमद एवं राष्ट्रपति एन संजीव रेड्डी को अपने कार्यकाल में किसी क्षमा याचिका पर विचार करने का अवसर नहीं मिला।

 

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