पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पहली पुण्यतिथि पर आज यहां पेइकराम्बू में उनकी आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया गया। कांस्य प्रतिमा का अनावरण करते हुये केन्द्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा, ‘डॉ. कलाम हमारे दिल और दिमाग में हमेशा जीवित रहेंगे। उनका विचार हमेशा हम लोगों के साथ रहेगा।’
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रामेश्वरम: पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पहली पुण्यतिथि पर आज यहां पेइकराम्बू में उनकी आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया गया। कांस्य प्रतिमा का अनावरण करते हुये केन्द्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा, ‘डॉ. कलाम हमारे दिल और दिमाग में हमेशा जीवित रहेंगे। उनका विचार हमेशा हम लोगों के साथ रहेगा।’
उन्होंने कहा, ‘‘यह विश्वास करना अब भी मुश्किल है कि डॉ. कलाम का निधन हो गया और यह महान हस्ती हम लोगों को छोड़कर जन्नत में वास करने चली गई ।’ नायडू और रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने यहां भारत के ‘मिसाइल मैन’ के लिए एक राष्ट्रीय स्मारक की आधारशिला भी रखी। कलाम का पिछले साल 27 जुलाई को मेघालय के आईआईएम शिलांग में एक व्याख्यान देने के दौरान दिल का दौरा पने के बाद निधन हो गया था।
27 जुलाई 2015 को भारत ने अपने सबसे पसंदीदा राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को खोया। मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम को उस समय हार्ट अटैक आया जब वह शिलांग स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान में छात्रों को संबोधित कर रहे थे। पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भले ही रॉकेट वैज्ञानिक थे, लेकिन जमीन से जुड़े हुए थे। राष्ट्रपति के रूप में भारत के सबसे शीर्ष पद पर रहते हुए भी एपीजे अब्दुल कलाम ने समाज के हर तबके के साथ सहानुभूति दिखाई और कभी भी आडंबर का प्रदर्शन नहीं किया।
कलाम साहब का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। कलाम के पिता के पास उन्हें पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए उन्हें पढ़ाई करने के लिए अखबार बेचने का काम करना पड़ा। साल 1997 में भारत सरकार ने कलाम साहब को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा। वह 1992 से 1999 तक रक्षा सलाहकार भी थे। साल 1998 में पोखरण में हुए परमाणु टेस्ट में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)