निर्भया गैंगरेप केस : तारीख-दर-तारीख अंजाम तक यूं पहुंचा घटनाक्रम
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निर्भया गैंगरेप केस : तारीख-दर-तारीख अंजाम तक यूं पहुंचा घटनाक्रम

वीभत्स सामूहिक बलात्कार का एक मामला जिसने सड़क से लेकर संसद तक और देश से लेकर दुनिया तक, हर जगह तहलका मचा देने वाला निर्भया गैंगरेप केस में आखिरकार देश की शीर्ष अदालत का अंतिम फैसला आ ही गया. दिसंबर 2012 में हुए इस वीभत्स कांड में करीब 4 साल 5 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है. तब से लेकर अब तक का घटनाक्रम इस प्रकार रहा...

निर्भया गैंगरेप केस : तारीख-दर-तारीख अंजाम तक यूं पहुंचा घटनाक्रम

नई दिल्ली : वीभत्स सामूहिक बलात्कार का एक मामला जिसने सड़क से लेकर संसद तक और देश से लेकर दुनिया तक, हर जगह तहलका मचा देने वाला निर्भया गैंगरेप केस में आखिरकार देश की शीर्ष अदालत का अंतिम फैसला आ ही गया. दिसंबर 2012 में हुए इस वीभत्स कांड में करीब 4 साल 5 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है. तब से लेकर अब तक का घटनाक्रम इस प्रकार रहा...

16 दिसंबर, 2012 : दिल्ली के मुनिरका में 6 बदमाशों ने एक प्राइवेट बस में पैरामेडिकल छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया. घटना के बाद युवती और उसके दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया गया.

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18 दिसंबर, 2012 : राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को इस मामले में गिरफ्तार किया गया. 

21 दिसंबर, 2012 : मामले में एक नाबालिग को दिल्ली से और छठे अभियुक्त अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार किया गया.

29 दिसंबर, 2012 : पीड़िता पैरामेडिकल का छात्रा ने सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया.

3 जनवरी, 2013 : पुलिस ने पांच बालिग अभियुक्तों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती आदि आरोपों के तहत चार्जशीट दाखिल की.

17 जनवरी, 2013 : फास्ट ट्रैक अदालत ने पांचों अभियुक्तों पर आरोप तय किए.

11 मार्च, 2013 : राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली.

31 अक्टूबर, 2013 : जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग को गैंगरेप और हत्या का दोषी मान उसे प्रोबेशन होम में तीन साल गुजारने का फैसला सुनाया.

10 सितंबर, 2013 : फ़ास्ट ट्रैक अदालत ने चार अन्य को 13 अपराधों के लिए दोषी ठहराया.

13 सितंबर, 2013 : मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को अदालत ने फांसी की सुनाई.

13 मार्च, 2014 : दिल्ली हाईकोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सज़ा को बरकरार रखा.

2014-2016 : दोषियों ने फांसी की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और शीर्ष अदालत ने इस पर सुनवाई की.

5 मई 2017 : सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की निचली अदालत की फांसी की सजा को बरकरार रखने का फैसला सुनाया.

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