SC/ST उप-योजनाओं के लिए हुए आवंटन की जांच करेगा नीति आयोग
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SC/ST उप-योजनाओं के लिए हुए आवंटन की जांच करेगा नीति आयोग

नीति आयोग से यह पता लगाने के लिए कहा गया है कि अनुसूचित जाति उप योजना और जनजाति उप योजना के तहत किया गया आवंटन किस तरह अव्यपगत रह सकता है। यह निर्णय हाल ही में अनुसूचित जाति उप योजना और जनजाति उप योजना के निगरानी ढांचे पर संपन्न बैठक में किया गया। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्यसचिव ने की।

नयी दिल्ली: नीति आयोग से यह पता लगाने के लिए कहा गया है कि अनुसूचित जाति उप योजना और जनजाति उप योजना के तहत किया गया आवंटन किस तरह अव्यपगत रह सकता है। यह निर्णय हाल ही में अनुसूचित जाति उप योजना और जनजाति उप योजना के निगरानी ढांचे पर संपन्न बैठक में किया गया। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्यसचिव ने की।

अनुसूचित जाति उप योजना की निगरानी को लेकर सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय और नीति आयोग में टकराव खत्म करने के लिए यह भी तय किया गया कि अब से अनुसूचित जाति उप योजना की निगरानी मंत्रालय करेगा। इसी तरह जनजाति उप योजना की निगरानी जनजातीय मामलों का मंत्रालय करेगा।

एक आधिकारिक दस्तावेज में कहा गया है, ‘दोनों ही मंत्रालय नीति आयोग द्वारा तैयार रूपरेखा के आधार पर निगरानी तंत्र विकसित करेंगे। यह तंत्र 60 दिन में तैयार कर लिया जाएगा और यह न केवल वित्तीय आवंटन एवं उपयोग पर बल्कि नतीजों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।’ अनुसूचित जाति उप योजना और जनजाति उप योजना में प्रत्येक केंद्रीय मंत्रालय के लिए दलितों एवं आदिवासियों के कल्याण के लिए बजट आवंटित करना अनिवार्य है।

एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘अनुसूचित जाति उप योजना और जनजाति उप योजना को विभिन्न मंत्रालय द्वारा आवंटित कोषों में से एक बड़े हिस्से का उपयोग नहीं हो पाता और वित्त वर्ष के अंत में यह राशि राजकोष में वापस चली जाती है।’ उन्होंने बताया, ‘अब नीति आयोग से यह देखने के तरीके खोजने को कहा गया है कि क्या अनुसूचित जाति उप योजना और जनजाति उप योजना के तहत आवंटित राशि को अव्यपगत बनाया जा सकता है ताकि उपयोग न की गई राशि कोष में ही पड़ी रहे और अगले वित्त वर्ष में उसका उपयोग किया जा सके।’ 

जनजातीय मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2015-16 में जनजाति उप योजना के तहत 1,250 करोड़ रुपये का आवंटन किया था जिसमें से 1,132 करोड़ रुपये का ही उपयोग हो पाया है। इसी तरह सामाजिक न्याय मंत्रालय ने पिछले वित्त वर्ष में 4,500 करोड़ रुपये आवंटित किए थे जिसमें से 3000 करोड़ रुपये का ही उपयोग किया जा सका।

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