जेटली ने राज्य सभा में कहा, गोरक्षा के नाम पर पीट पीट कर हत्या करने वालों के साथ कोई सहानुभूति नहीं
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जेटली ने राज्य सभा में कहा, गोरक्षा के नाम पर पीट पीट कर हत्या करने वालों के साथ कोई सहानुभूति नहीं

पीट पीट कर हत्या किये जाने के बढ़ते मामलों को लेकर विपक्ष के निशाने पर आयी सरकार ने दावा किया कि गाय से जुड़ी भावनाओं के नाम पर लोगों को मारना अस्वीकार्य है.

जेटली ने कहा कि इस प्रकार की हिंसा के लिए केन्द्र को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. (PHOTO : @airnewsalerts/Twitter)

नई दिल्ली: पीट पीट कर हत्या किये जाने के बढ़ते मामलों को लेकर विपक्ष के निशाने पर आयी सरकार ने गुरुवार (20 जुलाई) को दावा किया कि गाय से जुड़ी भावनाओं के नाम पर लोगों को मारना अस्वीकार्य है. साथ ही उसने राज्य सरकारों से कहा कि वे इस प्रकार की हिंसा के मामलों में कड़ी कार्रवाई करे. दलितों एवं अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न के मुद्दे पर राज्यसभा में दो दिन तक चली चर्चा का सदन के नेता के रूप में जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस प्रकार की हिंसा के लिए केन्द्र को दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि इस प्रकार के मुद्दों के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार होती हैं.

उन्होंने कहा, ‘इस तरह की हिंसा को किसी भी तरह तर्कसंगत नहीं ठहराया जा सकता. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृह मंत्री राजनाथ सिंह पहले ही इस तरह की घटनाओं की घोर निंदा कर चुके हैं.’ उन्होंने कहा, ‘गाय के प्रति सम्मान एक अलग विषय है. किन्तु इसे किसी के प्रति हिंसा का आधार नहीं बनाया जा सकता. हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं और हमारे यहां सबको बराबरी और धार्मिक विश्वास का अधिकार है. हमारी संस्कृति आपसी मतों का सम्मान करने की संस्कृति है.’ 

जेटली ने कहा, ‘ऐसी घटनाओं को रोकने एवं उन पर कार्रवाई करने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. कानून अपना काम करेगा. ऐसे लोगों के प्रति कोई संवेदना नहीं दिखायी जाएगी. प्रधानमंत्री भी इस बारे में सरकार के रूख को पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं.’ कांग्रेस ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर दो तरह की बात करने का आरोप लगाया. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने देश में इस तरह की लगातार हो रही घटनाओं के मुद्दे पर कहा कि प्रधानमंत्री ने गौरक्षकों पर नकेल कसने के लिये कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा कि गौरक्षकों के समूह में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के लोग भी शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि साल 2017 में हत्या की सर्वाधिक घटनायें हुयीं और पशुओं की खरीद फरोख्त पर रोक से चमड़ा उद्योग पर नकारात्मक असर हुआ. इसके अलावा साबुन और शेंपू उद्योग भी इससे प्रभावित हुये हैं. सिब्बल ने कहा कि ‘मैं हिंसा की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर देखकर हैरान रह गया. इस तरह का दृश्य हमने पिछले 50 साल में कभी नहीं देखा. हम पूछना चाहते हैं कि आखिर इस सब के पीछे का भाव क्या है? आखिर हाल के कुछ सालों में हिंसा की घटनाओं में 97 प्रतिशत इजाफा क्यों हुआ?’ 

प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुये कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी ने इस तरह के जज्बातों को भड़काया है जिसकी वजह से ऐसी घटनायें हो रही हैं. इसके लिये उन्होंने मोदी के आठ अक्तूबर 2015, छह अगस्त 2016 और 29 जून 2017 के भाषणों में दिये गये बयानों का भी जिक्र किया. सिब्बल ने कहा कि अपने एक भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा था कि कुछ लोग रात के अंधेरे में अपराध करते हैं और दिन में गौरक्षक बन जाते हैं. 

सिब्बल ने कहा लेकिन ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी. मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पीट पीट कर मार डालना एक जघन्य अपराध है और जहां कहीं भी इस तरह की घटनायें होती हैं वह घृणित है. लेकिन उन्होंने याद दिलाया कि 1984 में सिखों के खिलाफ हुई घटना तथा गोधरा में रामभक्तों पर किया गया हमला, जिसमें 42 लोग मारे गये थे, वे भी पीट पीट कर मार डालने की ही घटना थीं. इस तरह की सारी घटनायें घृणित है जिनकी भर्त्सना होनी चाहिये.

उन्होंने वर्ष 2012 और 2013 के अलावा पहले हुई इस तरह की घटनाओं का हवाला दिया और जानना चाहा कि उन पीट पीट कर मार डालने की घटनाओं के गुनहगार कहां हैं? उनके इस वक्तव्य के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने घोर आपत्ति व्यक्त करते हुए सदन से ‘वाक आउट’ किया जिसमें विपक्ष के भाकपा, माकपा, सपा, तृणमूल सहित तमाम दल शामिल थे.

शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए सदस्यों से ऐसी वारदातों को राजनीतिक रंग देने से बचने को कहा. उन्होंने कहा कि जिस धरती पर बुद्ध और महावीर जैसे लोगों ने सहिष्णुता का संदेश दिया था वहां गुंडागर्दी को कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. उन्होंने सरकार से भारत के मुख्य न्यायाधीश से बात करने का सुझाव दिया कि पीट पीट कर मारे जाने की घटनाओं से जुडे मामलों पर तेजी से सुनवाई के लिए विशेष अदालतें बनाये क्योंकि ऐसी घटनायें आतंकवाद के बराबर हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं के कारण लोग भारत में आकर यहां निवेश करने से हिचकते हैं.

सरकार को आड़े हाथ लेते हुए जद यू के शरद यादव ने कहा कि पीट पीट कर मारने की घटनायें तालिबानियों और अफगानों की हत्याओं से कहीं अधिक खतरनाक हैं. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में ऐसा वातावरण बनाया गया है कि जेएनयू का एक छात्र लापता हो जाता है, लोग गाय के नाम पर पीट पीट कर हत्या कर देते हैं और हालात इतने खराब हो गये हैं कि लोग बसों और ट्रेनों में चलने से डरने लगे हैं.

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने कहा कि पीट पीट कर मार देने का अपराध कोई सामान्य अपराध नहीं है. इन अपराधों को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पहले ही गोरक्षा के नाम पर इस तरह की घटनाओं की कड़ी भर्त्सना कर चुके हैं.

अहीर ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर कुछ असामाजिक तत्वों ने कानून को अपने हाथों में लिया. देश में गाय रक्षा का कानून है तथा किसी को भी उसे लागू करने के लिए कानून को अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान इस बात की गारंटी देता है कि जाति, धर्म, भाषा आदि के नाम पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास के लक्ष्य को लेकर चल रही है.

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