ओबामा के सामने गैस त्रासदी का मसला उठाया जाना चाहिए: एमनेस्टी
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ओबामा के सामने गैस त्रासदी का मसला उठाया जाना चाहिए: एमनेस्टी

विश्व की भीषणतम औद्यौगिक त्रासदी की 30वीं बरसी से दो दिन पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत की राजग सरकार को जनवरी में भारत प्रवास पर आ रहे अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ भोपाल गैस त्रासदी को लेकर हुई पिछली गलतियां सुधारने का मामला उठाना चाहिए।

ओबामा के सामने गैस त्रासदी का मसला उठाया जाना चाहिए: एमनेस्टी

भोपाल : विश्व की भीषणतम औद्यौगिक त्रासदी की 30वीं बरसी से दो दिन पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत की राजग सरकार को जनवरी में भारत प्रवास पर आ रहे अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ भोपाल गैस त्रासदी को लेकर हुई पिछली गलतियां सुधारने का मामला उठाना चाहिए।

एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव सलिल शेट्टी ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि त्रासदी में मारे गए लोगों के परिवार एवं पीड़ित, जिस मुआवजे के हकदार हैं, उन्हें इसे देने का यह समय है। मौके पर मौजूद जहरीला कचरा साफ करने का यही समय है। यह समय है, जब पीड़ितों को पर्याप्त एवं उचित स्वास्थ्य सुविधा दी जाए और यही समय है, जब पीड़ितों को न्याय एवं कानूनी तरीके से यूनियन कार्बाइड को सजा दिलाई जाए।

गौरतलब है कि दिसंबर 1984 में हुई त्रासदी के कई साल बाद यूनियन कारबाइड कॉरपोरेशन को डॉव कैमिकल्स ने हस्तगत कर लिया था। इस त्रासदी में जहरीली गैस रिसने की वजह से हजारों लोगों की मौत हो गई थी और साढ़े पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। शेट्टी ने आरोप लगाया कि पूर्व सरकारों ने इस हादसे में मारे गए और प्रभावित हुए लोगों की संख्या का कम आकलन कर यूनियन कारबाइड को बख्श दिया था। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को तत्काल प्रभाव से भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (आईसीएमआर) एवं मध्यप्रदेश सरकार की सलाह लेकर फिर से स्वास्थ्य आंकड़ों को सत्यापित करना चाहिए और उसे विश्वास के काबिल बनाना चाहिए। इस बारे में केन्द्रीय मंत्री की घोषणा स्वागत योग्य कदम है।

शेट्टी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि तीन दशकों से यूनियन कारबाइड इन गैर इरादतन हत्याओं के आरोप के बारे में अमेरिका को सुरक्षित स्वर्ग के बतौर इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि पच्चीस साल के इंतजार के बाद यूनियन कार्बाइड इंडिया के सात अधिकारियों को सजा का ऐलान हो पाया, जबकि इसके भोपाल संयत्र को नियंत्रित करने वाला एक भी अमेरिकी अधिकारी न्याय के लिए यहां नहीं लाया जा सका है।’’ उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है, जब न्याय के लिए कार्बाइड एवं डॉव के अधिकारियों को यहां लाया जाए।

एमनेस्टी महासचिव ने कहा कि एक विदेशी कंपनी द्वारा भारतीय न्यायपालिका की उपेक्षा करना अपमानजनक है। समय आ गया है, जब गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मुख्य अतिथि बनकर भारत आ रहे अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा के सामने मोदी सरकार भोपाल गैस त्रासदी को एक गंभीर मुद्दे के तौर पर उठाए। उन्होंने कहा कि 2010 में मेक्सिको की खाड़ी में बीपी तेल समुद्र में फैलाने के मामले में अमेरिकी सरकार ने उस पर 20 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया था, जबकि उसके सामने भोपाल का मसला लंबित था। उन्होंने कहा कि अमेरिका का यह दोहरा रवैया अपमानजनक है। यदि ऐसा ही हादसा किसी भारतीय कंपनी द्वारा अमेरिका में अंजाम दिया जाता, तो क्या वह यही रवैया अपनाते। शेट्टी ने कहा कि अमेरिका को साबित करना चाहिए कि हर मानव जीवन के साथ वह एक जैसा व्यवहार करता है। फिर चाहे वह भोपाल की गरीब मुस्लिम महिलाएं हों अथवा अमेरिका के लुसियाना के बीपी तेल रिसाव पीड़ित नागरिक हों, उसकी नजर में सबका मानव अधिकार एक समान होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि पश्चिम वर्जीनिया के यूनियन कार्बाइड संयंत्र के सुरक्षा उपायों का स्तर भोपाल संयंत्र से कहीं अधिक बेहतर है। समय आ गया है कि जो कुछ गलत हुआ, उसे ठीक किया जाए।

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