‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ एक और जुमला है : कांग्रेस नेता पी चिदंबरम
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‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ एक और जुमला है : कांग्रेस नेता पी चिदंबरम

चिदंबरम ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में, विशेष तौर पर तब जब 30 राज्य हों, वर्तमान संविधान में आप एक साथ चुनाव नहीं करा सकते. 

चिदंबरम ने कहा कि एक राष्ट्र, एक टैक्स भी एक जुमला था....(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: एक दिन पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बजट अभिभाषण में राज्य विधानासभाओं के और लोकसभा के चुनाव एकसाथ कराने की वकालत की थी. राष्ट्रपति ने कहा था कि इस विषय पर चर्चा और संवाद बढ़ना चाहिए तथा सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाई जानी चाहिए. इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने प्रतिक्रिया देते हुए इसे एक और जुमला करार दिया है. चिदंबरम का कहना है यह वर्तमान संवैधानिक प्रावधान के अंतर्गत संभव नहीं है. 

  1. कहा - भारतीय संविधान में किसी भी सरकार का कार्यकाल तय नहीं है 
  2. इसमें संशोधन किए बिना नहीं हो सकते एक साथ चुनाव
  3. चार साल तक किसी राज्य पर राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता

अपनी पुस्तक ‘स्पीकिंग ट्रूथ टू पावर’ के जारी होने के बाद परिचर्चा में चिदंबरम ने कहा कि भारत का संविधान किसी भी सरकार को निश्चित कार्यकाल नहीं प्रदान करता है और जबतक उसमें संशोधन नहीं किया जाता है तब तक कोई भी एक साथ चुनाव नहीं करा सकता. उन्होंने एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा, "संसदीय लोकतंत्र में, विशेष तौर पर तब जब 30 राज्य हों, वर्तमान संविधान में आप एक साथ चुनाव नहीं करा सकते. यह एक और चुनावी जुमला है. एक राष्ट्र, एक टैक्स भी एक जुमला था."  

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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोई भी कृत्रिम रूप से परिस्थितियां निर्मित करके कुछ राज्यों के पहले और कुछ के चुनाव स्थिगित करके उन्हें नहीं करा सकता. पांच या छह राज्यों के चुनाव तो रोके जा सकते हैं लेकिन सभी 30 राज्यों के चुनाव पर रोक नहीं लगाई जा सकती. उन्होंने कहा, "क्या होगा अगर कोई सरकार कल गिर गई? क्या आप उस पर चार साल तक राष्ट्रपति शासन लगाकर रखेंगे? यह तो नहीं किया जा सकता." 

सरकार का मानना है कि आर्थिक बोझ कम होगा
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने अभिभाषण में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि बार-बार चुनाव होने से मानव संसाधन पर बोझ तो बढ़ता ही है, आचार संहिता लागू होने से देश की विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है. इसलिए एकसाथ चुनाव कराने के विषय पर चर्चा और संवाद बढ़ना चाहिए तथा सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाई जानी चाहिए. बजट सत्र के प्रथम दिन अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने सभी दलों का आह्वान किया कि राष्ट्र निर्माण एक अनवरत प्रक्रिया है, जिसमें देश के हर व्यक्ति की अपनी-अपनी भूमिका है.

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