J&K: पुलवामा के त्राल में सेना के गश्ती दल पर आतंकी हमला, पूरे इलाके को घेरा गया
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J&K: पुलवामा के त्राल में सेना के गश्ती दल पर आतंकी हमला, पूरे इलाके को घेरा गया

कश्मीर में सेना पर आतंकी हमले की खबर है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेना निगरानी दल पर आतंकियों ने शनिवार (13 मई) को हमला कर दिया.

यह घटना पुलवामा के त्राल में हुई. (फाइल फोटो)

श्रीनगर: दक्षिण कश्मीर के पुलवामा क्षेत्र में त्राल कस्बे के एक गांव में आतंकवादियों ने शनिवार (13 मई) को सुरक्षा बलों पर गोलीबारी कर दी जिसके बाद उन्हें पकड़ने के लिए इलाके की घेराबंदी की गई और एक खोज अभियान शुरू किया गया. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बल त्राल के सीर गांव में गश्त कर रहे थे तभी अज्ञात आतंकवादियों ने उनपर गोलियां चला दी जिस के बाद संक्षिप्त मुठभेड़ हुई. उन्होंने कहा कि किसी के हताहत होने की तुरंत खबर नहीं मिली है. 

उन्होंने कहा कि इलाके की घेराबंदी कर दी गई है और उनका पता लगाने के लिए खोज अभियान चल रहा है. अधिकारी ने कहा कि आतंकवादियों के बच के भागने के रास्ते को बंद करने के लिए अतिरिक्त सैन्य बल भेज दिया गया है. उन्होंने कहा कि आतंकवादियों से दोबारा सामना नहीं हुआ है और उन्हें तलाश करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

गोलीबारी की यह घटना आतंकवादियों द्वारा शोपियां जिले में एक कश्मीरी सैन्य अधिकारी की हत्या के कुछ दिनों बाद आई है. आतंकवादियों ने सैन्य अधिकारी को उस समय अगवा करके उसकी हत्या कर दी जब वह छुट्टियों पर था और एक पारिवारिक विवाह समारोह में शामिल होने गया था.

इससे पहले सेना ने एक आक्रामक रुख का संकेत देते हुए आतंकवादियों के खिलाफ अपने अभियान में एक स्थायी विशेषता के तौर पर ‘घेरा डालना और तलाशी अभियान’ (कासो) 15 साल बाद एक बार फिर से शुरू करने का फैसला किया है.

गौरतलब है कि 15 साल पहले यह कार्य प्रणाली छोड़ दी गई थी. सेना में मौजूद सूत्रों ने गुरुवार (11 मई) को बताया कि कासो का इस्तेमाल कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुलगाम, पुलवामा, तराल, बडगाम और शोपियां में बड़े पैमाने पर किया जाएगा. सूत्रों ने बताया कि कासो 15 साल के अंतराल के बाद आतंक रोधी अभियानों के तहत एक स्थायी विशेषता होगी.

सेना ने स्थानीय आबादी के सख्त विरोध के बाद कासो को बंद कर दिया था और 2001 के बाद सिर्फ विशेष खुफिया सूचना मिलने पर ही घेरा डालने और तलाशी अभियान चलाया गया. हालांकि, सुरक्षा प्रतिष्ठानों को लगता है कि ऐसे अभियानों के दौरान होने वाली दिक्कतों की वजह से सुरक्षा बल स्थानीय आबादी से अलग थलग पड़ गये थे.

हाल ही में युवा और सेना के निहत्थे अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फयाज की शोपियां में हत्या के मद्देनजर कासो को फिर से शुरू करने का फैसला किया गया है. सशस्त्र बलों ने पिछले हफ्ते दक्षिण कश्मीर में 4000 सैनिकों के सहारे एक बड़ा अभियान चलाया था जिससे रणनीति में बदलाव का संकेत मिलता है.

भारत के दो सुरक्षाकर्मियों का सिर काटे जाने के बाद सेना नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी गोलीबारी का भी मुंहतोड़ जवाब दे रही है. सूत्रों ने बताया, ‘‘पाकिस्तान की ओर पिछले तीन महीने में आठ लोग मारे गए हैं जबकि 17 अन्य घायल हुए हैं.’’

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