10 किलोमीटर तक अपने कंधे पर पत्नी का शव ढोने का मामला: सीएम नवीन पटनायक ने कहा, 'जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी'
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10 किलोमीटर तक अपने कंधे पर पत्नी का शव ढोने का मामला: सीएम नवीन पटनायक ने कहा, 'जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी'

कालाहांडी में एक आदिवासी व्यक्ति को 10 किलोमीटर तक अपने कंधे पर पत्नी का शव ढोने के मामले में अस्पताल और सुरक्षाकर्मियों से गलती होने की बात स्वीकार करते हुए ओडिशा सरकार ने शुक्रवार को कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

 10 किलोमीटर तक अपने कंधे पर पत्नी का शव ढोने का मामला: सीएम नवीन पटनायक ने कहा, 'जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी'

भुवनेश्वर: कालाहांडी में एक आदिवासी व्यक्ति को 10 किलोमीटर तक अपने कंधे पर पत्नी का शव ढोने के मामले में अस्पताल और सुरक्षाकर्मियों से गलती होने की बात स्वीकार करते हुए ओडिशा सरकार ने शुक्रवार को कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

बेंगलूरू में आयोजित ओड़िशा निवेशक सम्मेलन-2016 के इतर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा, ‘यह काफी तकलीफदेह है, हमने जांच के आदेश दिए हैं और इसके जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।’ कालाहांडी की जिलाधिकारी ब्रूंढा डी ने भवानीपटना में संवाददाताओं से कहा कि जांच रिपोर्ट से पता चला है कि जिला मुख्यालय अस्पताल जहां महिला का उपचार हुआ, वहां के कर्मचारियों और सुरक्षा एजेंसी से गलती हुयी। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी तय करने के बाद घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही कहा कि अस्पताल में सुविधाएं बेहतर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

24 अगस्त की घटना को लेकर जांच का आदेश देने वाली जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि दाना मांझी 24 अगस्त को अस्पताल को जानकारी दिए बिना तड़के अपनी पत्नी का शव लेकर निकल पड़ा। उन्होंने कहा कि अस्पताल में शव ले जाने वाली गाड़ी थी, लेकिन महिला की मौत के बारे में या शव को गांव ले जाने के बारे में संबंधित कर्मचरियों को किसी ने नहीं बताया। जिलाधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन ने व्यक्ति को बुलाया और उसका बयान दर्ज किया। हालांकि, मांझी ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने अस्पताल से संपर्क किया लेकिन कर्मचारियों ने उनकी बात ही नहीं सुनी। उन्होंने कहा, ‘मैं ज्यादा देर तक अस्पताल में अपनी पत्नी का शव नहीं रखना चाहता था और अंतिम संस्कार के लिए अपने गांव निकल गया।’ 

यह पूछे जाने पर कि मौत के तीसरे दिन आदिवासी रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करने देने की बजाए मांझी को भवानीपटना कैसे बुलाया गया, सबकलेक्टर सुकांत त्रिपाठी ने कहा कि जांच के लिए मांझी का बयान रिकार्ड करना जरूरी था। उन्होंने कहा, ‘साथ ही हम चाहते थे कि उन्हें मीडिया के सामने अपना पक्ष रखने का मौका मिले।’ अलग-अलग घटनाओं में दो महिलाओं के शवों के साथ कथित तौर पर अमर्यादित व्यवहार के बारे में मीडिया की खबरों का स्वत: संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आज ओड़िशा सरकार को नोटिस जारी किया और उससे एक महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा।

एनएचआरसी ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि राज्य के मुख्य सचिव के माध्यम से नोटिस भेजा गया है जिन्हें रिपोर्ट सौंपने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया गया है। ओडिशा मानवाधिकार आयोग ने कालाहांडी जिले की जिलाधिकारी और प्रमुख जिला चिकित्सा अधिकारी से मामले की जांच करने और दो हफ्ते के भीतर एक रिपोर्ट पेश करने को कहा।

मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर तय करते हुए ओएचआरसी के कार्यवाहक अध्यक्ष न्यायमूर्ति बी के मिश्रा ने आयोग के अधिकारियों से जांच में सहयोग के लिए प्रशासन को संबंधित प्रेस क्लिपिंग की प्रतियां भेजने को कहा है। ओएचआरसी की कार्रवाई उन खबरों के आधार पर हुयी, जिसमें कालाहांडी जिले में थुआमुल-रामपुर प्रखंड के तहत मेलाघरा गांव के आदिवासी दाना मांझी की दशा का जिक्र किया गया।

उधर, कालाहांडी जिला कांग्रेस की ओर से आयोजित प्रदर्शन में बड़ी संख्या में पार्टी समर्थकों ने हिस्सा लिया और शव को अस्पताल से उसके गांव तक ले जाने के लिए वाहन कथित रूप से मुहैया नहीं कराने को लेकर प्रशासन की आलोचना की। जिला कांग्रेस सचिव सामंत खामरी ने कहा कि अनुग्रह राशि के अलावा मामले की निष्पक्ष जांच, इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और माझी की 12 वर्षीय बेटी के लिए शिक्षा की समुचित व्यवस्था की मांग की गयी।

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