मोगा छेड़खानी केस: पीड़ित युवती के पिता पोस्टमार्टम के लिए राजी, स्वीकार किया मुआवजा
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मोगा छेड़खानी केस: पीड़ित युवती के पिता पोस्टमार्टम के लिए राजी, स्वीकार किया मुआवजा

चलती बस में छेड़छाड़ और फिर बस से बाहर फेंके जाने की घटना में मारी गयी युवती के मामले को लेकर पिछले चार दिन से बना गतिरोध समाप्त हो गया है। उसके पिता ने रविवार को लड़की का पोस्टमार्टम कराने, मुआवजा तथा सरकारी नौकरी की पेशकश स्वीकार करने के साथ ही शव का अंतिम संस्कार करने पर अपनी सहमति दे दी।

मोगा छेड़खानी केस: पीड़ित युवती के पिता पोस्टमार्टम के लिए राजी, स्वीकार किया मुआवजा

मोगा (पंजाब) : चलती बस में छेड़छाड़ और फिर बस से बाहर फेंके जाने की घटना में मारी गयी युवती के मामले को लेकर पिछले चार दिन से बना गतिरोध समाप्त हो गया है। उसके पिता ने रविवार को लड़की का पोस्टमार्टम कराने, मुआवजा तथा सरकारी नौकरी की पेशकश स्वीकार करने के साथ ही शव का अंतिम संस्कार करने पर अपनी सहमति दे दी।

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा घटना को ‘असहनीय’ और ‘दर्दनाक’बताए जाने के बीच पुलिस ने कहा है कि सभी चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

पीड़ित लड़की के पिता ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मैं अपील करना चाहता हूं कि मैं अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करना चाहता हूं।’ उन्होंने यह भी कहा कि वह ‘बिना किसी दबाव’ के पोस्टमार्टम पर सहमत हुए हैं।

लड़की के पिता इससे पहले तक आर्बिट बस सेवा का लाइसेंस रद्द किए जाने और उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल तथा बस सेवा को चलाने वाली कंपनी के अन्य मालिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने तक शव का अंतिम संस्कार करने से इंकार करते आ रहे थे।

अपनी मांगों पर कार्रवाई को लेकर वह कुछ स्थानीय नेताओं के साथ धरने पर बैठे थे।

पीड़िता के पिता ने कहा,‘राज्य सरकार ने हमें जो भी पेशकश की है हमने स्वीकार कर लिया है। राज्य सरकार ने हमारी मांगें मान ली हैं और हमें आश्वासन दिया है कि मेरी बेटी के हत्यारों को सजा दी जाएगी।’ मुआवजे की राशि के बारे में उन्हें पता नहीं था। उन्होंने कहा, ‘मैं मुआवजे के बारे में कुछ नहीं कह सकता। जो कुछ मुझे दिया गया है, मेरे लिए पर्याप्त है। मैं खुश हूं कि मैं अपनी बेटी के साथ यहां से चला जाउंगा।’

सरकार ने पहले 20 लाख रूपये मुआवजा, लड़की की मां को सरकारी नौकरी, उसका मुफ्त उपचार तथा मामले की फास्ट ट्रैक अदालत में सुनवाई किए जाने की पेशकश की थी लेकिन परिवार ने इसे नामंजूर कर दिया था। लड़की के पिता ने इस मामले को लेकर किए जा रहे प्रदर्शनों को भी समाप्त किए जाने को कहा । उन्होंने कहा, ‘अब यह मामला खत्म होना चाहिए़....मेरी बेटी पहले ही मर चुकी है । यदि अस्पताल में भर्ती मेरी पत्नी भी मर गयी तो मेरी जिंदगी का क्या मतलब रहेगा। मैं अब एक सामान्य जिंदगी जीना चाहता हूं।’

समर्थन करने वालों का आभार जताते हुए लड़की के पिता ने कहा, ‘सरकार या किसी अधिकारी ने मुझे समझौता करने के लिए नहीं धमकाया।’वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों तथा परिवार के सदस्यों के बीच हुई बैठक के बाद मामला सुलझा जबकि प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने अपना फैसला परिवार पर थोपा है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब परिवार को जांच के बारे में और चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के बारे में बताया गया तो वे लोग मान गए। इस बीच, सुरक्षा के मद्देनजर लड़की के सिंहपुरा गांव के मुर्दाघर में रखे गए शव को पोस्टमार्टम के लिए फरीदकोट के गुरू गोविंद सिंह मेडिकल कालेज, अस्पताल ले जाया गया है । सरकारी प्रवक्ता ने यहां यह जानकारी दी।

जिला प्रशासन ने 24 लाख रुपये मुआवजा और लड़की की घायल मां को सरकारी नौकरी दिए जाने की घोषणा की थी। पंजाब अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति आयोग ने भी छह लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया था। आज दिन में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पीड़ित के परिवार वालों से मिलेंगे।

पूर्व मंत्री अजायब सिंह मुखमैलपुर की मां को श्रद्धांजलि देने के लिए पटियाला में मौजूद मुख्यमंत्री बादल ने कहा, ‘यह घटना असहनीय है। ऐसे हालात में लड़की की मौत मेरे लिए बहुत दर्दनाक है..मैं मोगा जा रहा हूं (लड़की के परिजनों से मिलने)।’लड़की की मौत पर गहरा दुख प्रकट करते हुए बादल ने कहा कि मौत से जो नुकसान हुआ है उसकी कोई भरपाई नहीं कर सकता । हालांकि उन्होंने इस मुद्दे को लेकर विपक्षी नेताओं के मोगा जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की।

इस घटना को लेकर राज्य सरकार को आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर से इस बात को लेकर कि कोई कैबिनेट मंत्री अभी तक मोगा में पीड़िता के परिजनों से मिलने नहीं गया है। इसबीच, मामले से सही तरीके से नहीं निपटने को लेकर आलोचना का सामना कर रहे पंजाब पुलिस के एडीजीपी इकबाल सिंह सहोता ने आज पीड़िता के परिवार से मुलाकात की आरोपियों की शिनाख्त परेड के लिए उनके बेटे को साथ ले गए।

राज्य सरकार द्वारा हाल ही में गठित ब्यूरो आफ इन्वेस्टीगेशन के निदेशक सहोता ने परिवार के सदस्यों को आश्वासन दिया कि इस मामले की ‘उचित और सटीक’ जांच होगी। घटना के समय अपनी मां और बहन के साथ बस में मौजूद बच्चे का बयान दर्ज नहीं किए जाने को लेकर पुलिस को विभिन्न पक्षों की ओर से आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है।

कांग्रेस और आप ने शिरोमणि अकाली दल. भाजपा सरकार के खिलाफ अपने हमले की धार को तेज करते हुए राज्य में ‘अराजकता’और बादल सरकार द्वारा ‘संवेदनहीनता’ बरते जाने का आरोप लगाते हुए सरकार की बर्खास्तगी की मांग की। पंजाब कांग्रेस प्रमुख प्रताप सिंह बाजवा, पूर्व मुख्यमंत्री राजेन्द्र कौर भट्ठल और युवक कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिन्दर राजा वारिंग आज पीड़िता के परिजनों से मिलने मोगा गए।

राज्य सरकार पर मामले को लेकर ‘संवेदनहीन’ होने का आरोप लगाते हुए बाजवा ने कहा कि राज्य में पूरी तरह जंगलराज है। बाजवा ने आरोप लगाया, ‘आर्बिट बस के कर्मचारियों ने उसी प्रकार का व्यवहार किया जैसा बस के मालिक करते हैं। बस चालक उतने ही लापरवाह थे जितने पंजाब के उप मुख्यमंत्री हैं। राज्य में पूरी तरह जंगलराज है।’ भट्ठल ने सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा, ‘सजा ऐसी दी जानी चाहिए जो अपराधियों के लिए एक सबक हो।’ पीपुल्स पार्टी आफ पंजाब के प्रमुख तथा बादल से मनमुटाव रखने वाले उनके भतीजे मनप्रीत सिंह बादल भी मोगा गए और लड़के की पढ़ाई का सारा खर्चा वहन करने के वादे के साथ ही अस्पताल में उसकी घायल मां का हालचाल पूछा।

उन्होंने बस मालिकों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किए जाने की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘यदि उपहार सिनेमा हादसे में अंसल के मालिकों के खिलाफ मुकदमा चल सकता है और भोपाल गैस त्रासदी में कंपनी के एमडी पर मुकदमा चलाया जा सकता है तो यही कार्रवाई मोगा बस घटना में क्यों नहीं की गयी। कानून अलग अलग नहीं हो सकता।’ आर्बिट बसों को सड़कों से हटाने के सुखबीर के फैसले का जिक्र करते हुए बादल ने इसे ‘चालाकी भरी’कार्रवाई बताया।

बाद में सिविल अस्पताल में एक बैठक में बादल, बाजवा और वारिंग ने पीड़ित परिवार के अधिकारों के लिए लड़ रही एक्शन कमेटी के प्रति अपने समर्थन का ऐलान किया। आप नेता एच एस फुल्का ने आरोप लगाया कि राज्य में संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह विफल हो गयी है। फुल्का ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भी एक पत्र लिखकर राज्य की बादल सरकार की बर्खास्तगी की मांग की। 

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