उड़ीसा उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह रोजगार और शिक्षा में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी या विशेष श्रेणियों के लिये आरक्षण को 50 फीसदी पर सीमित रखें.
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कटक: उड़ीसा उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह रोजगार और शिक्षा में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी या विशेष श्रेणियों के लिये आरक्षण को 50 फीसदी पर सीमित रखें.
सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2008 को निरस्त करते हुए उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए. यह अधिनियम ओडिशा सरकार ने ओबीसी श्रेणी के लिये 27 फीसदी आरक्षण देने के लिये फरवरी 2009 में अधिसूचित किया था.
इस फैसले का इसलिये महत्व है क्योंकि राज्य सरकार ने एसईबीसी अधिनियम के जरिये अनुसूचित जाति श्रेणी में 16.25 फीसदी और अनुसूचित जनजाति श्रेणी के लिये 22.5 फीसदी समेत रोजगार और शिक्षा में 65.75 फीसदी आरक्षण प्रदान किया था.
इस अधिनियम को इससे पहले राज्य प्रशासनिक अधिकरण ने दिसंबर 2013 में कुछ सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका का निस्तारण करने के दौरान निरस्त कर दिया था. ये उम्मीदवार सहायक सेक्शन ऑफिसर के पद के लिये परीक्षा में बैठे थे.