कश्मीर में राष्ट्रगान के सम्मान में नहीं खड़े हुए लोग, सीएम महबूबा मुफ्ती थीं मौजूद
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कश्मीर में राष्ट्रगान के सम्मान में नहीं खड़े हुए लोग, सीएम महबूबा मुफ्ती थीं मौजूद

जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में आयोजित स्वतंत्रता दिवस के मुख्य कार्यक्रम में ज्यादातर लोग राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े नहीं हुए.

श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती. (PHOTO : J&k PDP/Twitter)

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में आयोजित स्वतंत्रता दिवस के मुख्य कार्यक्रम में ज्यादातर लोग राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े नहीं हुए. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा ध्वजारोहण किए जाने के बाद हालांकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, विधायक, एमएलसी, नौकरशाह और राजनीतिक दलों के पदाधिकारी सहित अन्य गणमान्य लोग राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े हुये. इस मौके पर मुख्यमंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया. अठारह हजार की क्षमता वाले इस स्टेडियम में लगभग तीन हजार दर्शक ही मौजूद थे.

यहां पहली बार परेड में भाग ले रही उत्तर प्रदेश पुलिस की टुकड़ी के लिए स्टेडियम में दर्शकों की कम संख्या चौंकाने वाली थी. उत्तर प्रदेश पुलिस दल का नेतृत्व कर रहे पुलिस उपाधीक्षक शिवदान सिंह ने कहा कि राज्य में स्वतंत्रता दिवस के मुख्य कार्यक्रम में कम लोगों का आना निराशाजनक है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे राज्य में, स्वतंत्रता दिवस उत्सव की तरह मनाया जाता है.’’

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इससे पहले जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार (15 अगस्त) को कहा कि उन्हें देश के संस्थानों पर भरोसा है और उन्होंने विश्वास जताया कि उच्चतम न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर देगा. मुफ्ती ने स्पष्ट किया कि जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को यदि कोई खतरा हुआ तो सत्ता की लड़ाई या राजनीतिक विचाराधाराएं बाधक नहीं बनेंगी. उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला की ‘पिता तुल्य सलाह’ का पालन किया है.

उन्होंने कहा, ‘हमें देश के हरेक संस्थान पर पूरा विश्वास है. हमने हमें 1947 में वापस ले जाने वाले कुछ लोगों के कई प्रयासों को देखा है. वे एक मुद्दे या अन्य पर उच्चतम न्यायालय गये. लेकिन हमें हमारे उच्चतम न्यायालय पर भरोसा है जिसने पहले भी जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज किया हैं.’ मुफ्ती ने यहां बख्शी स्टेडियम में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि उच्चतम न्यायालय मौजूदा याचिका को खारिज कर देगा.’ वर्ष 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में शामिल अनुच्छेद 35ए राज्य विधायिका को स्थायी निवासियों को परिभाषित करने और उन्हें विशेष अधिकार देने की शक्ति देता है.

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मुख्यमंत्री ने उम्मीद जतायी कि पाकिस्तान राज्य में हिंसा को भड़काना बंद करेगा जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता का रास्ता फिर से बन सकें. उन्होंने कहा, ‘सीमाओं पर गोलाबारी फिर शुरू हो गई. कई लोगों की जान जा चुकी हैं. कई स्कूल बंद है. कई लोगों को अपने गांवों को छोड़कर जाना पड़ा. ऐसा लम्बे समय तक कैसे चलेगा.’

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