'प्रदूषण से पश्चिमी घाट के ताजा पानी वाली ईकोसिस्टम को खतरा'
Advertisement

'प्रदूषण से पश्चिमी घाट के ताजा पानी वाली ईकोसिस्टम को खतरा'

एक अध्ययन का कहना है कि पश्चिमी घाटों पर ताजे पानी के विविधतापूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों और वहां मौजूद विभिन्न प्रजातियों पर प्रदूषण और खनन के कारण ‘अत्यधिक खतरा’ पैदा हो गया है। यह क्षेत्र दुनिया की सबसे सघन जैव विविधता वाला केंद्र है।

'प्रदूषण से पश्चिमी घाट के ताजा पानी वाली ईकोसिस्टम को खतरा'

नई दिल्ली : एक अध्ययन का कहना है कि पश्चिमी घाटों पर ताजे पानी के विविधतापूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों और वहां मौजूद विभिन्न प्रजातियों पर प्रदूषण और खनन के कारण ‘अत्यधिक खतरा’ पैदा हो गया है। यह क्षेत्र दुनिया की सबसे सघन जैव विविधता वाला केंद्र है।

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) में प्रकाशित इस रिपोर्ट का कहना है कि ‘दुनिया की सबसे सघन आबादी वाले जैवविविधता केंद्र’ के विकास की योजना से जुड़ी प्रक्रिया में ताजे पानी के पारिस्थितिकी तंत्रों की जरूरतों का ख्याल नहीं रखा जाता। ऐसा मुख्यत:प्रजातियों के वितरण के बारे में पर्याप्त सूचना की कमी के कारण होता है।

‘ताजे पानी से जुड़ी जैवविविधता की स्थिति एवं वितरण’ नामक अध्ययन में कहा गया, हालांकि कई संरक्षित क्षेत्र ताजे पानी की सबसे समृद्ध विविधता वाले इस क्षेत्र के तहत या आसपास के इलाकों में ही हैं, दक्षिणी पश्चिमी घाट के इस क्षेत्र में ताजे पानी में रहने वाली प्रजातियों पर खतरे का स्तर चरम पर है।

इस अध्ययन में पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत की सुरक्षा के लिए मिश्रित रणनीतियों का सुझाव दिया गया है। इसमें प्रदूषण नियमों के प्रभावी ढंग से लागू करने, फसल एवं पशुधन के उत्कृष्ट प्रबंधन, नदी के आसपास के क्षेत्रों में स्थित उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषकों का प्रभावी शोधन, ऑर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन और बेहतर ठोस कचरा प्रबंधन संबंधी नियम शामिल हैं।

 

Trending news