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कोलकाता: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद के बजट सत्र से कुछ दिन पहले आज कहा कि संसदीय लोकतंत्र को ‘मजबूत’ बनाने के लिए ‘‘ठोस निर्णय’’ रचनात्मक चर्चा के बाद किये जाने चाहिए। मुखर्जी ने साथ ही ‘बढ़ती असहिष्णुता’ पर चिंता व्यक्त की।
मुखर्जी ने इस बात पर जोर दिया कि ‘लोकतंत्र में असहिष्णुता के लिए कोई स्थान नहीं है।’ उन्होंने कहा कि यदि ‘ठोस निर्णय’’रचनात्मक चर्चा के बाद नहीं किये जाते तो कोई भी संसदीय लोकतंत्र पर्याप्त ‘मजबूत’ नहीं हो सकता।
उन्होंने साथ ही कहा कि मीडिया यह सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है कि ंसंसद रचनात्मक तरीके से और शांतिपूर्ण तरीके से चले।
उन्होंने प्रमुख बंगाली समाचारपत्रों में से एक ‘आजकल’ के 35वीं वषर्गांठ कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम आज जिस प्रवृत्ति का अनुभव कर रहे हैं वह उचित नहीं है। हम दिन पर दिन असहिष्णु हो रहे हैं। लोकतंत्र में असहिष्णुता के लिए कोई स्थान नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र सहिष्णुता के सिद्धांत पर चलता है और इसलिए एक व्यक्ति को विभिन्न विचारधाराओं का सम्मान करने की जरूरत है।
मुखर्जी ने कहा, ‘आपको अन्य विचारधाराओं का सम्मान करना होगा। विभिन्न विचारधाराओं के बिना, वास्तविक लोकतंत्र संभव नहीं है।’ उन्होंने कालेज में लोकतंत्र के बारे में जो सीखा उसे याद करते हुए कहा, ‘मेरे शिक्षक कहते थे कि लोकतंत्र में तीन चीजें महत्वपूर्ण हैं..चर्चा, मतभेद और निर्णय।’