Success Story: पिता की गरीबी दूर करने के लिए बेटे का एकलव्य जैसा त्याग, ऐसे किया तय सरकारी स्कूल से IITian तक का सफर
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Success Story: पिता की गरीबी दूर करने के लिए बेटे का एकलव्य जैसा त्याग, ऐसे किया तय सरकारी स्कूल से IITian तक का सफर

Success Story: अगर बुरे दौर का सामना मेहनत से मुकाबला करें तो मुसीबतें दूर हो जाती है. आज हम आपको ऐसी कहानी बताने जा रहें है जहां सोनू के पिता गंगा प्रसाद आईटीआई (ITI)में छोटे पद पर काम करते थे, और अपने बेटा को  ITI में पढ़ना चाहते थे. 

Success Story: पिता की गरीबी दूर करने के लिए बेटे का एकलव्य जैसा त्याग, ऐसे किया तय सरकारी स्कूल से IITian तक का सफर

Success Story Of IITian: सोनू कुमार शर्मा की जीवन बताता कहानी से पता चलता है की किस्मत बदलते देर नहीं लगती.  बुरे दौर का सामना मेहनत से मुकाबला करें तो मुसीबतें दूर हो जाती है. आज हम आपको ऐसी कहानी बताने जा रहें है जहां सोनू के पिता गंगा प्रसाद आईटीआई में छोटे पद पर काम करते थे और कमाई इतनी ही थी कि किसी तरह से अपना और परिवार का पेट भर सकें, लेकिन वे  में छात्रों को पढ़ते देख वे अपने सोनू के लिए सपने देखा करते थे ITI में छात्रों को पढ़ते देख वे अपने सोनू के लिए सपने देखा करते थे. (Success Story Of IITian)

पिता का संघर्ष(Success Story Of IITian)

ऐसे में उनकी  दुनिया आईटीआई तक ही सीमित थी, और उन्हें इस बारे में पता भी नहीं था. वहीं दूसरी ओर सोनू पढ़ने में होशियार था किन्तु पटना के जिस सरकारी स्कूल में वह पढ़ता था, वहां शिक्षक रोज नहीं आते थे और गरीबी इतने की सोनू के पास सारी किताबें भी नहीं थीं. वहीं दूसरी और सोनू के पिता अपनी नौकरी के दम पर बड़ी मुश्किल से बच्चों के लिए किताब खरीद पाते थे. उन्हें हर साल सोनू के खररीदने के लिए कर्ज लेना पड़ता था. एक तरह गरीबी और दूसरी ओर भाइयों के साथ पारिवारिक कलह भी अशांति का एक बड़ा कारण था. लेकिन बेटे को आईटीआई में पढ़ाने की उनकी हसरत कभी कमजोर नहीं पड़ती थी. 

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सोनू का संघर्ष(Sonu Education)

 सोनू भी इन मुश्किलों से जूझते हुए किसी तरह से अपनी पढ़ाई करता रहा था. एक दिन वह जब पढ़ाई कर रहा था तब उसकी यह धुन देखकर पिता मन ही मन खुश हो जाता था, लेकिन दिल में  कचोट भी होती थी कि वे बेटे की पढ़ाई की सारी जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे थे. जब वह दसवीं कक्षा में आया तो उसने पहली बार आईआईटी का नाम सुना, बाद से उसने ITI में ही पढ़ाई करने की ठान ली(Poor Student Who Become IITian). अब उसके मन में आईटीआई बैठ चुकी थी. परन्तु दूसरी ओर आईआईटी की तैयारी और पढ़ाई में होने वाले खर्च की भी उन्हें चिंता थी. लेकीन कहते है न पिता अपने बच्चों का जिद पूरा करने के लिए हर मुशकील पार कर देते है ऐसे ही सोनू के पिता ने बेटे की जिद के आगे उन्हें घुटने टेकने पड़े, बेटे की खर्च की व्यवस्था के लिए उन्होंने घर के कई सामान बेच दिए.

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सोनू की में मेहनत( IIM)

सोनू किसी भी सवाल को हल करने के पहले उसका कॉन्सेप्ट समझने की कोशिश करता और उसने तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी. जब साल 2010 में आईआईटी प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट आया तो सोनू की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था हालांकि, सोनू का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ था. उसने जी-तोड़ मेहनत कर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की उसके बाद IIM की तैयारी में भिड़ गया, और दूसरी  कैंपस प्लेसमेंट में उसकी नौकरी रिलायंस कंपनी में लग गई(ITI Placement). परन्तु अब यह फैसला नहीं कर पा रहा है कि परिवार की माली हालत सुधारने के लिए उसे नौकरी ज्वॉइन कर लेनी चाहिए या मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी कर बेहतर भविष्य के लिए कोशिश करनी चाहिए(Success Story Of IITian). पिता अब भी आईआईटी और आईटीआई के बीच का फर्क ज्यादा नहीं समझते, लेकिन इसका गुमान उन्हें जरूर है कि उनका खराब समय अब खत्म होने वाला है, और इसी तरह उनका बुरा समय चला गया. 

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