राजस्थान के इस लाल ने सात समंदर पार बढ़ाया देश का मान, जांबिया के राष्ट्रपति ने 'वीरता पदक' से नवाजा
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राजस्थान के इस लाल ने सात समंदर पार बढ़ाया देश का मान, जांबिया के राष्ट्रपति ने 'वीरता पदक' से नवाजा

डॉक्टर गौतम कुमार जैन ने सात समंदर पार भारत देश का नाम रोशन किया है. जिंदगी के बहुमूल्य 45 साल जांबिया में मेडिकल क्षेत्र में अनुकरणीय सेवाएं देने वाले जैन को जांबिया के राष्ट्रपति ने न केवल वीरता पदक से नवाजा. बल्कि शहर की करीब 4 किलोमीटर सड़क का नामकरण भी उनके नाम से कर दिया.

डॉक्टर गौतम कुमार जैन को जांबिया के राष्ट्रपति ने न केवल वीरता पदक से नवाजा.

जोधपुर: कहते हैं प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज नहीं होती है. कुछ ऐसे ही प्रतिभा के धनी डॉक्टर गौतम कुमार जैन ने सात समंदर पार भारत देश का नाम रोशन किया है. जिंदगी के बहुमूल्य 45 साल जांबिया में मेडिकल क्षेत्र में अनुकरणीय सेवाएं देने वाले डॉ. गौतम कुमार जैन को जांबिया के राष्ट्रपति ने न केवल वीरता पदक से नवाजा. बल्कि शहर की करीब 4 किलोमीटर सड़क का नामकरण भी उनके नाम से कर दिया. संभवतया यह पहला ऐसा मामला होगा जहां किसी विदेश में किसी भारतीय को अपने देश का सर्वोच्च पुरस्कार देकर सम्मानित किया हो. उनके नाम सड़क का नामकरण किया हो.

आमतौर पर लोग विदेश में पैसा कमाने के लिए जाते हैं, लेकिन जोधपुर के जन्मे डॉ. गौतम जैन मानवता की सेवा करने के उद्देश्य से अपने जिंदगी के 45 साल जांबिया में बिताए जहां पर उनकी सेवाओं को देखते हुए एक बार राष्ट्रपति ने वीरता पदक से नवाजा वही उनके कार्यकाल के बाद में करीब 3 से 4 किलोमीटर की सड़क का नामकरण भी डॉक्टर गौतम कुमार जैन के नाम किया गया है. वे देश के पहले ऐसे डॉक्टर हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी सरकार ने अपने देश का सर्वोच्च पुरस्कार दिया हो. डॉ. गौतम कुमार जैन वैसे तो जोधपुर के बाल निकेतन के विद्यार्थी रहे हैं. उसके बाद सरदार स्कूल में उनकी पढ़ाई हुई थी, लेकिन डॉक्टरी करने के बाद उन्हें इंग्लैंड जाना था, लेकिन सरकारी पाबंदियों के चलते वे इंग्लैंड नहीं जा पाए. क्योंकि किसी भी देश में जाने के लिए पहले खुद के देश से एनओसी लेनी पड़ती है.

 उन्हें एनओसी नहीं मिली थी तो उन्होंने यहां की नौकरी छोड़कर इंग्लैंड गए. लेकिन वहां उनका मन नहीं लगने के बाद वे जांबिया में आकर वहीं, नौकरी करने लग गए. डॉ. गौतम कुमार जैन सर्जरी के एक्सपर्ट हैं. जांबिया में काम करते वक्त उनकी ट्रांसफर माम्बा अस्पताल में हुआ और वहां की भौगोलिक परिस्थितियां ऐसी थी की बरसात के दिनों में 11 फरवरी 1989 के दिन उनके अस्पताल में करीब 10 मरीज भर्ती थे. बरसात का पानी अस्पताल में भर रहा था, ऐसे में उन्होंने उन मरीजों को अपनी जान जोखिम में डालकर बचाने के बाद वहां की सरकार ने उन्हें 13 साल बाद जांबिया देश के सबसे बड़े पुरस्कार से नवाजा. दरअसल जांबिया की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि वहां पर सांप, बिच्छू क्रोकोडाइल हिप्पो जैसे भयानक जानवर पाए जाते हैं. लोग भी उन्हें पालते हैं. ज्यादातर केस वहां पर सर्जरी के ही आते हैं.

 ऐसे में डॉक्टर गौतम कुमार जैन की सेवाओं को लेकर वहां की जनता का उन्हें अपार प्यार मिला. यहां तक कि सरकार ने भी उनकी सेवाओं को देखते हुए प्रेसिडेंट गैलंट्री मेडल देकर उन्हें सम्मानित किया. डॉ. गौतम कुमार जैन के इस सफर में उनकी धर्मपत्नी जोकि गायनों की डॉक्टर हैं, उन्होंने भी अपने पति का पूरा साथ दिया. वैसे तो डॉक्टर जैन ने भारत का नाम विदेशों में रोशन किया और सबसे बड़े पुरस्कार को लेकर अब वापस भारत लौट चुके हैं.

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ऐसे में भारत सरकार और राज्य सरकार अगर उन्हें सम्मानित करती है तो डॉक्टर जैन की प्रेरणा से और भी कई ऐसे भारतीय हो सकते हैं. जो विदेशों में भारत का नाम रोशन कर सकते हैं, ऐसे में जरूरत है देश और प्रदेश की सरकारों को छुपी प्रतिभाओं को उचित मंच प्रदान करने की. हालांकि भारत लौटने के बाद उनके गृह नगर जोधपुर में पूर्व नरेश गज सिंह ने उन्हें मान सम्मान दिया है लेकिन जरूरत है राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर उनको आगे लाने की.

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