जबरन धर्मान्तरण मुद्दे पर लगातार दूसरे दिन भी नहीं चली राज्यसभा
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जबरन धर्मान्तरण मुद्दे पर लगातार दूसरे दिन भी नहीं चली राज्यसभा

राज्यसभा में विपक्ष द्वारा जबरन धर्मान्तरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब की मांग पर अड़े रहने के कारण सदन की कार्यवाही मंगलवार को दूसरे दिन भी बाधित रही तथा हंगामे के कारण पांच बार के स्थगन के बाद बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।

जबरन धर्मान्तरण मुद्दे पर लगातार दूसरे दिन भी नहीं चली राज्यसभा

नई दिल्ली : राज्यसभा में विपक्ष द्वारा जबरन धर्मान्तरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब की मांग पर अड़े रहने के कारण सदन की कार्यवाही मंगलवार को दूसरे दिन भी बाधित रही तथा हंगामे के कारण पांच बार के स्थगन के बाद बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।

हंगामे के दौरान विपक्ष ने स्कूलों में क्रिसमस अवकाश से जुड़े मुद्दे पर भी विरोध जताया। उच्च सदन में आज भी गतिरोध जारी रहा क्योंकि एकजुट विपक्ष ने कथित धर्मान्तरण की घटनाओं पर चिंता जतायी। उन्होंने मांग की कि जब तक प्रधानमंत्री सदन और देश को आकर यह आश्वासन नहीं देते कि इस तरह की घटनाओं को इजाज़त नहीं दी जायेगी, वे अपना विरोध जारी रखेंगे।

कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा, ‘जब तक प्रधानमंत्री सदन को आश्वासन नहीं देते सदन में काम काज नहीं चल सकता। यह स्पष्ट है कि सरकार सदन नहीं चलने देना चाहती।’ सदन के नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘मुद्दा यह है कि आप आराजकता चाहते हैं, चर्चा नहीं।’ इससे पहले जब जेटली नवोदय स्कूलों में क्रिसमस अवकाश के बारे में कुछ कह रहे थे तो विपक्ष के हंगामा कर रहे सदस्यों ने उन्हें अपनी बात पूरी नहीं करने दी।

सदन में आज बार बार कांग्रेस, जदयू, सपा एवं तृणमूल कांग्रेस के कई सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री के बयान की मांग की जबकि अन्नाद्रमुक एवं द्रमुक को छोड़कर वाम, बसपा एवं अन्य विपक्षी दल के सदस्य अपनी जगह से ही विरोध जता रहे थे। विपक्षी सदस्यों ने जेटली के अराजकता वाली टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जतायी जिस पर उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि वह रिकार्ड देखकर उसमें जो कुछ भी असंसदीय होगा, उसे निकाल देंगे।

संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार नकवी ने विपक्ष पर चर्चा से बचने का आरोप लगाया।

जदयू नेता शरद यादव ने कहा कि देश में हाहाकार और बेचैनी है। उन्होंने कहा कि सरकार को देखना चाहिए कि संसद के बाहर ऐसे बयान न दिए जाएं जिससे संविधान का उल्लंघन हो। सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के एक मंत्री के बयान पर उठे विवाद को लेकर इसी सदन में कहा था कि उन्होंने अपने सभी मंत्रियों और सत्ता पक्ष के सदस्यों को साफ तौर पर कहा है कि वह ऐसे बयानों से बचें।

अग्रवाल ने कहा, 'लेकिन प्रधानमंत्री के बयान के बावजूद, लगभग हर दिन या तो मंत्री या सत्ता पक्ष के सदस्य ऐसा कुछ न कुछ कह रहे हैं जिससे सांप्रदायिक सद्भाव के माहौल पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।’ इस पर सत्तारूढ़ भाजपा के कई सदस्यों ने विरोध जताना शुरू कर दिया।

हंगामे के दौरान दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि विपक्ष जो कर रहा है वह राजनीतिक रूप से प्रेरित है। उप सभापति कुरियन ने कुछ विपक्षी सदस्यों के आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने को दुखद करार देते हुए कहा, ‘यह बेहद दुर्भाज्ञपूर्ण है। आपके असंयमित व्यवहार से मैं बहुत दुखी हूं।’ उन्होंने कहा कि संसद चर्चा करने की जगह है, नारेबाजी करने की नहीं।

भोजनावकाश के बाद हंगामे के बीच तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि उन्होंने एक विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया है। सरकार की ओर से नवोदय विद्यालयों के बारे में सदन में गलत बयान दिया गया है। डेरेक अपनी बात पूरी कर पाते, इसी बीच सदन के नेता और वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि संसद के इन चरम उपाय और निदानों को अपनाने से पहले जरूरी है कि तथ्यों को सही तरीके से जांच लिया जाए।

उन्होंने कहा कि 1987 से ही नवोदय स्कूलों के बारे में एक स्पष्ट नीति रही है। नवोदय आवासीय स्कूल हैं जहां पर देश के कुशाग्र बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन जेटली अपनी बात पूरी कर पाते, इससे पहले ही विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।

इस पर जेटली ने कहा, ‘मुद्दा यह है कि आप अराजकता चाहते हैं...चर्चा नहीं।’

बाद में जब कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कुछ कहना चाहा तो सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उनका विरोध किया। इस पर कुरियन ने कहा कि सदन की परंपरा रही है कि जब भी सदन के नेता या विपक्ष के नेता बोलते हैं तो पूरा सदन उन्हें ध्यान से सुनता है और व्यवधान नहीं डालता। आज सदन के नेता को बोलने नहीं दिया गया जो बेहद दुखद है। लेकिन हमें यह गलती नहीं दोहरानी चाहिए।

हंगामे के बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री नकवी ने कहा कि हमने विपक्ष के नेताओं की बात शालीनता से सुनी लेकिन सदन के नेता की बात नहीं सुनना, क्या शालीनता है। उन्होंने कहा कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं। विपक्ष चाहे तो दस या बीस दिन तक इस मुद्दे पर चर्चा कर सकता है, सरकार उसके लिए तैयार है। लेकिन विपक्ष ही अब चर्चा से भाग रहा है।

इस पर शर्मा ने कहा कि विपक्ष चर्चा से भाग नहीं रहा है। ‘हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री सदन में आ कर आश्वासन दें।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा सदन में दिए गए आश्वासन को तोड़ा गया है। सत्ता पक्ष के कई सदस्यों ने दुर्भाग्यपूर्ण बयान दिए हैं। गौरतलब है कि कल भी कथित जबरन धमा’तरण मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बार बार स्थगित हुई थी और दोपहर करीब तीन बजे बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया था।

 

 

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