राज्‍यसभा चुनाव: क्‍या सपा उतार पाएगी बसपा का कर्ज?
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राज्‍यसभा चुनाव: क्‍या सपा उतार पाएगी बसपा का कर्ज?

बसपा ने हाल में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सहयोग देकर सपा की जीत में अहम भूमिका निभाई है. अब कर्ज चुकाने की बारी सपा की है.

16 राज्‍यों की 58 सीटों के लिए 23 मार्च को राज्‍यसभा चुनाव होने जा रहे हैं.(फाइल फोटो)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीटों के लिये 22 मार्च को होने वाला चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सूबे की दो बड़ी सियासी ताकतों सपा और बसपा के गठबंधन की संभावनाओं के लिहाज से निर्णायक साबित होने जा रहा है. राजनीतिक लिहाज से देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में सपा को छोड़कर कोई भी विपक्षी दल अपने बलबूते एक भी राज्यसभा सीट जीतने की स्थिति में नहीं है. बसपा ने हाल में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में सहयोग देकर सपा की जीत में अहम भूमिका निभाई है. अब कर्ज चुकाने की बारी सपा की है.

  1. 23 मार्च को होने जा रहे राज्‍यसभा चुनाव
  2. यूपी की 10 सीटों में से 8 पर बीजेपी का जीतना तय
  3. 1 सीट सपा के खाते में, 10वीं के लिए बसपा को समर्थन

सपा-बसपा तालमेल
राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक करीब 25 साल के बाद ऐसा पहला मौका है, जब बसपा प्रमुख मायावती ने सपा के प्रति नरम रुख अपनाया है. यह आगे भी जारी रहेगा, इसका सारा दारोमदार राज्यसभा चुनाव के परिणाम पर है. यह चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सपा और बसपा के गठबंधन की संभावनाओं पर निर्णायक असर डालेगा.

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1 सीट के लिए 37 मत
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा में एक उम्मीदवार को जिताने के लिये 37 विधायकों का समर्थन जरूरत है. प्रदेश की 403 सदस्यीय सपा के पास 47 सदस्य हैं. उसके पास अपनी उम्मीदवार जया बच्चन को चुनाव जिताने के बाद भी तकनीकी रूप से 10 वोट बच जाएंगे. बसपा के पास 19 वोट हैं जबकि कांग्रेस के पास सात और राष्ट्रीय लोकदल के पास एक वोट है. ऐसे में इन दलों का गठबंधन ही 10वें सदस्य को राज्यसभा भेज सकता है, मगर जरा सी भी गड़बड़ी सारा गणित बिगाड़ सकती है.

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बीजेपी का गेम
बहरहाल, 324 विधायकों के संख्याबल के आधार पर आठ सीटें आराम से जीत सकने वाली भाजपा ने 10 सीटों के लिये नौ प्रत्याशी उतारे हैं, जो विपक्ष के लिये चिंता का सबब है, क्योंकि अगर ‘क्रास वोटिंग‘ हुई तो विपक्ष के लिये मुसीबत होगी.  

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मायावती और अखिलेश यादव अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए डिनर डिप्‍लोमेसी का सहारा ले रहे हैं.(फाइल फोटो)

डिनर डिप्लोमेसी
अपने-अपने मतों को एकजुट रखने के लिये सपा और बसपा ने ‘डिनर डिप्लोमेसी‘ का सहारा लिया है. सपा ने बुधवार रात अपने विधायकों को रात्रि भोज पर बुलाया था और बसपा मुखिया मायावती ने भी गुरुवार को अपने विधायकों को रात के खाने पर आमंत्रित किया है.

शिवपाल का सपा को समर्थन
वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल के सपा से बीजेपी में जाने के बाद उनके सपा विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल के भी भाजपा के पक्ष में वोट करने की प्रबल संभावना है लेकिन सपा के लिये राहत की बात रही कि विधायकों के रात्रि भोज में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा और कभी उनके प्रतिद्वंद्वी रहे शिवपाल यादव तथा निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने शिरकत की. दोनों ने सपा का साथ देने की बात भी कही है. कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी को समर्थन देने का एलान किया है.

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मालूम हो कि सपा के राज्यसभा सदस्यों नरेश अग्रवाल, दर्शन सिंह यादव, नरेश चंद्र अग्रवाल, जया बच्चन, चौधरी मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी, भाजपा के विनय कटियार और कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का कार्यकाल खत्म हो रहा है.  इसके अलावा मनोहर पर्रिकर और मायावती की सीट रिक्त है.

ये हैं उम्‍मीदवार
भाजपा ने राज्यसभा चुनाव के लिये वित्त मंत्री अरुण जेटली, डॉक्‍टर अशोक बाजपेयी, विजयपाल सिंह तोमर, सकलदीप राजभर, कांता कर्दम, डॉ. अनिल जैन, जीवीएल नरसिम्हा राव, अनिल कुमार अग्रवाल और हरनाथ सिंह यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया है.  सपा ने जया बच्चन, जबकि बसपा ने भीमराव अंबेडकर को प्रत्याशी बनाया है. राज्यसभा चुनाव के लिये मतदान 23 मार्च को होगा और परिणाम भी उसी दिन घोषित होंगे.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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