'चूहा घोटाला' में नए पेंच, पहले कंपनी का पता निकला फर्जी, अब मालिक के बारे में बड़ा खुलासा
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'चूहा घोटाला' में नए पेंच, पहले कंपनी का पता निकला फर्जी, अब मालिक के बारे में बड़ा खुलासा

तहकीकात में पता चला है कि जिस आवासीय बिल्डिंग में कंपनी ने अपना ऑफिस बताया था वह फ्लैट कंपनी का नहीं है. 

सामना ने लिखा है कि महाराष्ट्र सरकार के सचिवालय में हुए चूहा घोटाले को लेकर फडणवीस सरकार कटघरे में आती हुई दिखाई दे रही है. (फाइल फोटो)

मुंबई: महाराष्ट्र में हुए हैरतअंगेज 'चूहा घोटाला' में लगातार नई बातें सामने आ रही हैं. शुक्रवार जो पता चला कि मंत्रालय में चूहे मारने का ठेका जिस कंपनी को दिया गया था उसका पता फर्जी था, सरकारी दस्तावेज में दर्ज उस कंपनी के पते पर वह कंपनी नहीं मिली. तहकीकात में पता चला है कि जिस आवासीय बिल्डिंग में कंपनी ने अपना ऑफिस बताया था वह फ्लैट कंपनी का नहीं है. इससे स्पष्ट होता है कि कंपनी एक फर्जी पते पर रजिस्टर करवाई गई थी. लेकिन अब जो बात सामने आई है उससे लोगों के होश उड़ गए हैं.

  1. PWD ने मीडिया को बताया है कि मंत्रालय में 3 लाख चूहे नहीं मारे गए
  2. सचिव के मुताबिक, सरकार ने 4 लाख, 79 हजार, 100 रुपये खर्च किए
  3. सामना के माध्यम से एक बार फिर सरकार पर निशाना साधा

जी मीडिया की टीम जब इस कंपनी के मालिक को खोजने नवी मुंबई पहुंची. तब पता चला कि अमोल शेडगे जो कागजी तौर पर इस कंपनी के मालिक हैं उनका 2008 में ही देहांत हो चुका है. उनके नाम और पते का गलत इस्तेमाल कर कंपनी चलायी जा रही है. उनके फर्जी साइन किए जा रहे हैं. मामला काफी गंभीर है और आने वाले दिनों में यह महाराष्ट्र की राजनीति में हंगामा खड़ा कर सकता है.

2002 में शुरू हुई थी कंपनी
जानकारी के मुताबिक अमोल शेडगे ने 2002 में विनायक सहकारी मजदूर संस्था शुरू की थी. जिसके लिए परिवार के एक संबंधी वामन देवकर की मदद ली गयी थी. देवकर ही कंपनी का पूरा काम देखते थे. दो साल बाद कंपनी बंद किए जाने की बात वामन ने अमोल को बताई. और फिर से कंपनी न शुरू करने की हिदायत दी. 2008 में अमोल का देहांत हो गया. 2016 में भारत सरकार का एक लाख 49 हजार का रिफंड का चेक घर पहुंचा तो पता चला कि कंपनी अब भी चल रही है. सही जानकारी नहीं मिली तो परीवार वालों ने आरटीआई का इस्तेमाल कर कंपनी की जानकारी निकाली. तब पता चला कि अमोल के फर्जी साईन के साथ यह कंपनी काम कर रही है. यह कौन कर रहा है इसकी कोई भी जानकारी अमोल के परीवार को नहीं है. अमोल का परिवार भी चाहता है कि उनके बेटे के नाम का इस्तेमाल कर चल रहा फर्जीवाड़ा खत्म होना चाहिए. जिसके लिए अब वह पुलिस की मदद लेने वाले हैं.

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कंपनी के बताए पते पर रहता है परिवार
जानकारी के मुताबिक मंत्रालय में चूहा मारने का ठेका 'विनायक मजूर सहकारी संस्था' को दिया गया था. सरकारी दस्तावेज में इस संस्था का पता 118, सी विंग, सूर्यकुंड हाउसिंग सोसायटी लि., गनपाउडर रोड, मझगांव, मुंबई दिया गया है. शुक्रवार को जब इस पते की खोजबीन की गई तो पता चला कि इस पते पर 'विनायक मजूर सहकारी संस्था' का कोई ऑफिस नहीं है. 118 नंबर के इस फ्लैट में पिछले 45 साल से शेंडगे परिवार रह रहा है और परिवार के मुखिया कैलाश शेंडगे सरकारी कर्मचारी हैं.

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पीडब्ल्यूडी विभाग ने दी अपनी सफाई
बीजेपी सरकार के दौरान मंत्रालय में हुए इस चूहा घोटाले में पीडब्ल्यूडी विभाग ने मीडिया को बताया है कि मंत्रालय में 3 लाख चूहे नहीं मारे गए, बल्कि चूहे मारने की गोलियों की आपूर्ति के लिए 4 लाख रुपये खर्च किए गए हैं. पीडब्ल्यूडी सचिव ने स्पष्ट करते हुए कहा कि पेस्ट कंट्रोल एक्सरसाइज के तहत पीडब्ल्यूडी मंत्रालय ने मंत्रालय और एनेक्सी बिल्डिंग में चूहों की रोकथाम के लिए दो टेंडर जारी किए थे. जिसके तहत ही कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक चूहे मारने की 3 लाख 19 हजार 400 गोलियों की आपूर्ति की गई थी. इसका यह मतलब नहीं था कि 3,19,400 चूहे मारे गए. सचिव के मुताबिक इस एक गोली की कीमत डेढ़ रुपये है. इसके लिए सरकार ने 4 लाख, 79 हजार, 100 रुपये खर्च किए हैं. वर्ष 2010-11 और 2011-12 में, ये गोलियां उसी दर पर खरीदी गईं. साथ ही विभाग ने यह भी दावा किया है कि एकनाथ खडसे ने जिस आरटीआई से यह जानकारी हासिल की है, उसमें भी यही जानकारी दी गई है.

सामना ने साधा सरकार पर निशाना
वहीं दूसरी ओर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से एक बार फिर सरकार पर निशाना साधा है. शनिवार के संपादकीय में उसने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार के सचिवालय में हुए चूहा घोटाले को लेकर फडणवीस सरकार कटघरे में आती हुई दिखाई दे रही है. साथ ही यह भी कहा है कि मंत्रालय जैसे चूहा हाउस बन गया है.

गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पूर्व राजस्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने महाराष्ट्र में 'चूहा घोटाला' का पर्दाफाश करते हुए मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि मंत्रालय के रख-रखाव की जिम्मेदारी प्रशासन के पास है और इसके प्रमुख मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हैं. वरिष्ठ बीजेपी नेता ने विधानसभा में कहा कि मंत्रालय में एक सप्ताह में 3 लाख से ज्यादा चूहे मारे गए हैं, इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. इस भ्रष्टाचार पर सामना ने सरकार पे तंज कसते हुए कहा है सरकारी तिजोरी की मलाई चूहे के नाम पर अनजाने बिल्ले खा रहे हैं, ऐसा आरोप सत्ताधारी के लोग ही कर रहे हैं. महाराष्ट्र का मंत्रालय जैसे चूहा हाउस बन गया है.

सामना ने संपादकीय में कहा है कि मंत्रालय की जमीन भुरभुरी हो गई है, मंत्रालय में धर्मा पाटिल जैसे किसानों को जगह नहीं दिया जाता, जबकि दलाल और चूहों की भरमार है. चूहा निर्मूलन मुहिम के तहत मंत्रालय में 3 लाख 19 हजार 400 चूहे सात दिन में मारे गए. इतने सारे चूहों का क्या किया गया? उन्हें कहा दफन किया गया वगैरह की जांच करने के लिए सरकार एसआईटी की स्थापना करने वाली है.. ऐसी चर्चा जारी है..

सामना ने संपादकीय में कहा है कि चूहों को किसानों का दोस्त कहा जाता है. यह तो आज तक पता था लेकिन वह घोटालेबाजों का भी दोस्त होता है इस बात का खुलासा महाराष्ट्र के विधिमंडल में हुआ है. सामना ने संपादकीय में कहा है एकनाथ खडसे ने किस हेतु से मंत्रालय के चूहा घोटाले का विस्फोट किया है, ये वो ही जानें लेकिन अमुक-तमुक मुक्त करने की भाषा करने वालों के राज में मंत्रालय घोटालेबाज चूहा युक्त हो गया है. इस चूहा मुक्ति की जिम्मेदारी उन्हीं की है अन्यथा राज्य की जनता पिंजरा लगाकर बैठी है.

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