RSS नहीं है ISIS, फिर प्रणब मुखर्जी जी के जाने से आपत्ति क्यों: नितिन गडकरी
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RSS नहीं है ISIS, फिर प्रणब मुखर्जी जी के जाने से आपत्ति क्यों: नितिन गडकरी

गडकरी ने कहा, 'इतने छोटे दिल से राजनीति में काम नहीं होना चाहिए. आरएसएस थोड़ी आईएसआईएस है, प्रणब मुखर्जी जी के जाने से क्यों आपत्ति है?'

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का अपने कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को निमंत्रण देना और फिर उनके द्वारा न्योते को स्वीकार करने का मामला तूल पकड़ने के बाद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि राजनीति में छोटे दिल से काम नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि आरएसएस कोई आईएसआईएस नहीं है. गडकरी ने मंगलवार (29 मई) को कहा, 'राजनीति में बड़े दिल से काम होना चाहिए, आरएसएस कोई ISIS नहीं है. आरएसएस किसे बुलाना चाहती है किसे नहीं, यह उनका और वहां जाने वाले का अधिकार है.' गडकरी ने कहा, 'इतने छोटे दिल से राजनीति में काम नहीं होना चाहिए. आरएसएस थोड़ी आईएसआईएस है, प्रणब मुखर्जी जी के जाने से क्यों आपत्ति है?'

  1. प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने कार्यक्रम के लिए दिया न्योता.
  2. नागपुर में होना आरएसएस का कार्यक्रम.
  3. संघ के कार्यक्रम में जाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दी मंजूरी.

संघ के एक अधिकारी ने सोमवार (28 मई) को बताया था कि पूर्व राष्ट्रपति एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रह चुके प्रणब मुखर्जी के नागपुर में अगले माह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में शामिल होंगे. आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने बताया, ‘‘हमने भारत के पूर्व राष्ट्रपति को इसके लिए आमंत्रित किया था और यह उनकी महानता है कि उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अपनी सम्मति दे दी है.’’ मुखर्जी को आरएसएस के स्वयं सेवकों के लिए आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है. यह कार्यक्रम सात जून को नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में आयोजित किया जाएगा.

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आरएसएस के एक पदाधिकारी ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है. उन्होंने कहा, ‘‘सात जून को 25 दिन तक चलने वाला प्रशिक्षण पूर्ण हो जाएगा. इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित किया गया था और उन्होंने अपनी सहमति दे दी है. इस बारे में आधिकारिक घोषणा एक-दो दिन में की जाएगी.’’

शहर के रेशमीबाग क्षेत्र स्थित हेडगेवार स्मृति मन्दिर में 25 दिनों का संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष चल रहा है. इस प्रशिक्षण शिविर में देश भर के करीब 708 स्वयं सेवक भाग ले रहे हैं. पिछले सप्ताह रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण हेडगेवार स्मृति मन्दिर गयी थीं और उन्होंने संघ के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी से मुलाकात की थी.

इस साल के शुरू में मुखर्जी ने प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के प्रारंभ होने के अवसर पर संघ के शीर्ष नेताओं को बुलाया था. राष्ट्रपति के रूप में मुखर्जी के कार्यकाल के अंत में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मुखर्जी से मिले थे. मुखर्जी ने भागवत को राष्ट्रपति भवन में दोपहर भोज के लिए भी आमंत्रित किया था.

आरएसएस कार्यक्रम में प्रणब दा के न्योते पर टिप्पणी से कांग्रेस का इंकार
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किये जाने के मामले में टिप्पणी करने से मंगलवार (29 मई) को इनकार कर दिया. पार्टी ने सिर्फ यह कहा कि वह इस कार्यक्रम समाप्त होने के बाद ही कुछ कह सकेगी.

कांग्रेस के प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने संवाददाताओं से कहा, 'फिलहाल इस मामले पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. इस कार्यक्रम को होने दीजिये. उसके बाद हम कुछ कह सकेंगे.' एक सवाल के जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'आरएसएस और हमारी विचारधारा में बहुत अंतर है. यह वैचारिक फर्क आज भी है और आगे भी रहेगा.' आरएसएस ने मुखर्जी को सात जून को होने वाले अपने 'संघ शिक्षा वर्ग-तृतीय वर्ष समापन समारोह' के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है. खबरों के मुताबिक मुखर्जी ने इस न्योते को स्वीकार कर लिया है.

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