शीर्ष अदालत ने 30 वर्षीय महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगी जो एक 'अच्छी तरह लिखा गया फैसला' है.
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नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कथित बलात्कार मामले में ‘पीपली लाइव’ के सह-निर्देशक महमूद फारुकी को बरी करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली एक अमेरिकी शोधार्थी की याचिका को शुक्रवार को खारिज करते हुए महिला के वकील से कहा, 'ऐसे कितने बलात्कार के मामले आपने देखे हैं कि जहां शिकायत करने वाली (महिला) ने कथित घटना के बाद कथित आरोपी से कहा कि मैं तुमसे प्यार करती हूं'.
शीर्ष अदालत ने 30 वर्षीय महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगी जो एक 'अच्छी तरह लिखा गया फैसला' है.
पीठ ने कहा, 'लोग झूठी मुस्कान दिखाते हैं'
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा,'लोग झूठी मुस्कान दिखाते हैं. दूसरे व्यक्ति को यह कैसे पता चलेगा कि यह झूठी प्रतिक्रिया है. यह समझना बहुत मुश्किल है'. इसने कहा, 'ऐसा लगता है कि उसने सकारात्मक तरीके से प्रतिक्रिया दी'. पीठ ने उनके बीच हुए एक संवाद का जिक्र करते हुए पूछा कि कथित घटना के बाद फारुकी को भेजे ईमेल में उसने 'मैं तुमसे प्यार करती हूं' लिखा या नहीं.
19 जून 2015 को महिला की शिकायत पर FIR के बाद हुई थी गिरफ्तारी
पुलिस ने 19 जून 2015 को महिला की शिकायत पर फारुकी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने दस दिन बाद फारुकी के खिलाफ आरोपपत्र दायर करते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने 28 मार्च 2015 को सुखदेव विहार स्थित अपने आवास पर कोलंबिया विश्वविद्यालय की एक शोधार्थी से बलात्कार किया था. फारुकी ने सभी आरोपों से इंकार किया था.
शीर्ष अदालत ने कहा, यह बहुत मजबूत मामला है
शीर्ष अदालत ने कहा, 'यह बहुत मजबूत मामला है. हम कहना चाहते हैं कि इसमें उच्च न्यायालय ने बहुत अच्छा फैसला सुनाया है'. महिला की ओर से पेश वकील ने जब कहा कि मुद्दा यह है कि आपसी रजामंदी थी या नहीं, पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि सकारात्मक रुख था, जिसके बारे में उसका कहना है कि उसने यह झूठा दिखाया था.
पीठ ने कहा, हम संतुष्ट नहीं हैं
पीठ ने कहा, 'हम संतुष्ट नहीं हैं. हम उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. यह अच्छी तरह लिखा फैसला है'. निचली अदालत ने अगस्त 2016 में फारुकी को दोषी ठहराते हुए सात साल कैद की सजा सुनाई थी. हालांकि उच्च न्यायालय ने पिछले साल उनके बरी कर दिया था.