सुप्रीम कोर्ट ने असम में विदेशियों को परिजनों से अलग कर हिरासत केंद्र में रखने पर जताई नाखुशी
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सुप्रीम कोर्ट ने असम में विदेशियों को परिजनों से अलग कर हिरासत केंद्र में रखने पर जताई नाखुशी

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विदेशी नागरिकों को उनके परिजनों से "अलग" कर असम में हिरासत केंद्र में रखे जाने पर नाखुशी जताई.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विदेशी नागरिकों को उनके परिजनों से "अलग" कर असम में हिरासत केंद्र में रखे जाने पर नाखुशी जताते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस मामले को शीघ्रता से देखना चाहिए, ताकि परिवार "टूटे नहीं". जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने असम की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता से कहा, "आप उन्हें उनके परिवारों से इस तरह से अलग नहीं कर सकते." पीठ असम में हिरासत केंद्र की स्थिति के मुद्दे पर विचार कर रही थी. 

जगह की कमी के कारण रखा गया अलग- पक्ष के वकील
पीठ ने अधिवक्ता गौरव अग्रवाल द्वारा पेश किए गए तथ्यों पर गौर करते हुए कहा कि नजरबंद किए गए इन लोगों को परिवारों से अलग नहीं किया जा सकता. एएसजी ने अदालत से कहा कि नजरबंद लोगों के साथ परिवारों को हिरासत केंद्र में रखने को लेकर "स्थान की बाधा" थी. उन्होंने कहा कि हिरासत केंद्र में परिवारों के लिए आवश्यक इंतजाम किए जा सकते हैं, लेकिन ये वहां स्थान की उपलब्धता के अधीन होंगे. वह इस मुद्दे पर निर्देश ले लेंगे. पीठ ने राज्य से हिरासत केंद्र में गैस सिलेंडर समेत अन्य आवश्यक सविधाएं प्रदान करने के लिए कहा.

विदेशियों को हिरासत केंद्र में रखने को लेकर जल्द आएगी नियमावली
हालांकि, केंद्र की ओर से पेश हुए एएसजी एएनएस नादकर्णी ने अदालत को बताया कि पूरे देश में विदेशियों को हिरासत केंद्र में रखने को लेकर वे एक नियमावली को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं. पीठ ने सरकार से कहा कि वह नियमावली को "अतिशीघ्र" तैयार करें. केंद्र ने सरकार को बताया कि असम में हिरासत केंद्र के निर्माण के लिए 46.51 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है. मेहता ने पीठ को बताया कि असम के गोलापाड़ा जिले में हिरासत केंद्र के निर्माण के लिए जमीन आवंटित की गई है. साल भर में काम पूरा होने की उम्मीद है. 

(इनपुट भाषा से)

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