कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश; कर्नाटक, तमिलनाडु में हिंसा नहीं होने दें, दोनों राज्य कानून का सम्मान करें
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कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश; कर्नाटक, तमिलनाडु में हिंसा नहीं होने दें, दोनों राज्य कानून का सम्मान करें

उच्चतम न्यायालय ने कावेरी विवाद पर अपने आदेश के बाद हिंसा रोक पाने में विफल रहने पर आज कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारों से नाराजगी जताई और कहा कि उसके फैसले का पालन करना होगा और हिंसक आंदोलन से कोई समाधान नहीं निकलेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि लोग कानून अपने हाथों में नहीं ले सकते। उसने दोनों राज्यों को निर्देश दिया कि कावेरी जल बंटवारे पर उसके आदेश के बाद कोई हिंसा, आंदोलन, संपत्ति की तोड़फोड़ और उसे नुकसान नहीं होना चाहिए और शांति तथा कानून का सम्मान बनाये रखना चाहिए।

कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश; कर्नाटक, तमिलनाडु में हिंसा नहीं होने दें, दोनों राज्य कानून का सम्मान करें

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कावेरी विवाद पर अपने आदेश के बाद हिंसा रोक पाने में विफल रहने पर आज कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारों से नाराजगी जताई और कहा कि उसके फैसले का पालन करना होगा और हिंसक आंदोलन से कोई समाधान नहीं निकलेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि लोग कानून अपने हाथों में नहीं ले सकते। उसने दोनों राज्यों को निर्देश दिया कि कावेरी जल बंटवारे पर उसके आदेश के बाद कोई हिंसा, आंदोलन, संपत्ति की तोड़फोड़ और उसे नुकसान नहीं होना चाहिए और शांति तथा कानून का सम्मान बनाये रखना चाहिए।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा, ‘हम यह कहने के लिए बाध्य हैं कि यह देखना दोनों राज्यों की जिम्मेदारी है कि कोई हिंसा, आंदोलन नहीं हो और संपत्तियों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाए।’ पीठ ने कहा, ‘हम गंभीरता के साथ उम्मीद करते हैं कि दोनों राज्यों के सक्षम अधिकारी समझदारी से काम लेंगे और शांति बनी रहेगी।’ पीठ ने यह चेतावनी भी दी, ‘जब अदालत का कोई आदेश है तो कोई हिंसक आंदोलन नहीं होना चाहिए और किसी असंतुष्ट पक्ष को अपनी शिकायतों के समाधान के लिए कानूनी कदम का सहारा लेने की आजादी है।’

पीठ ने 2009 में प्रदर्शनकारियों और आंदोलनकारियों द्वारा की गयी हिंसा की स्थिति से निपटने के लिए दिशानिर्देश देने वाले अपने फैसले का उल्लेख करते हुए कहा, ‘हम इस बात को दोहराते हैं कि जब अदालत ने कोई आदेश जारी किया है तो ना तो कोई हमला और ना ही बंद या आंदोलन किया जा सकता। अदालत के आदेश का पालन करना होगा। किसी मुश्किल की स्थिति में संबंधित पक्ष अदालत में आ सकते हैं और लोग कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते। इस तरह की गतिविधियों को रोकना दोनों राज्यों की वचनबद्धता होनी चाहिए।’

पीठ ने कहा, ‘हम दोनों राज्यों से शांति, अमन, सौहार्द और कानून के प्रति सम्मान बनाये रखने की अपेक्षा करते हैं।’ एहतियातन कदम उठाने और आंदोलन के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान का मूल्यांकन करने के लिए दोनों राज्यों को निर्देश देने की याचिका पर सुनवाई के लिए 20 सितंबर की तारीख तय करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उस दिन कावेरी जल विवाद के मुख्य विषय को भी लेगी। याचिकाकर्ता पी शिवकुमार की ओर से वरिष्ठ वकील आदिश अग्रवाला ने जब कहा कि आज कर्नाटक में ‘रेल रोको’ का आयोजन किया गया और कल तमिलनाडु में भी इसी तरह का आंदोलन किया जाएगा तो पीठ ने कहा कि कोई आंदोलन नहीं हो और संपत्तियों को कोई नुकसान नहीं हो, यह सुनिश्चित करना एक पवित्र कर्तव्य है।

जब अदालत ने मामले में अधिकार क्षेत्र के बारे में पूछा तो शिवकुमार ने कहा कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और तमिलनाडु के कन्याकुमारी के रहने वाले हैं। वह दोनों राज्यों में हिंसा से व्यथित हैं जिसमें स्थानीय लोग सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पीठ ने कहा कि खबरों के मुताबिक हालात सामान्य की ओर लौट रहे हैं। पीठ ने याचिकाकर्ता से मौजूदा हालात बयां करने को कहा। तब याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि ‘रेल रोको’ आंदोलन की वजह से कर्नाटक में हिंसा की आशंका के चलते बसें भी नहीं चल रहीं हैं और कल तमिलनाडु में भी ऐसा बंद आहूत किया गया है। वकील ने कहा कि दोनों राज्यों में हिंसा में करीब 25000 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।

इस बीच  कावेरी मुद्दे पर तमिलनाडु में तमिलनाडु में राज्यव्यापी बंद से पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने आज तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया है कि कन्नड़ भाषी लोगों की जान और माल की हिफाजत की जाए। सिद्धरमैया ने अपने पत्र में लिखा, ‘मैं इस बात से बहुत चिंतित हूं कि कुछ संगठनों ने कल तमिलनाडु में बंद का आह्वान किया है। आप इस बात से सहमत होंगी कि दोनों राज्यों के बीच किसी तरह की कटुता के बढ़ने से दोनों ही राज्यों को सामूहिक नुकसान होगा।’ विज्ञप्ति के रूप में यहां मीडिया को जारी पत्र में कहा गया है, ‘‘मैं आपसे इस बाबत कदम उठाने का अनुरोध करता हूं कि 16 सितंबर 2016 को तथाकथित बंद के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं घटे और तमिलनाडु में कन्नड भाषी जनता की जान और माल की हिफाजत हो।’’ कर्नाटक में तमिलनाडु के लोगों पर हमलों के खिलाफ किसानों और व्यापारियों के संगठनों ने कल बंद का आह्वान किया है।

बंद को द्रमुक, एमडीएमके, पीएमके, माकपा, भाकपा और अन्य दलों का समर्थन है। सिद्धरमैया ने कहा कि कावेरी जल बंटवारे के मुद्दे पर अदालतें फैसला कर रही हैं और कावेरी सुपरवाइजरी समिति इसे देख रही है तो बंद और आंदोलनों के माध्यम से कोई फायदा नहीं मिलने वाला। सिद्धरमैया ने जयललिता से मीडिया को भी कावेरी आंदोलन से जुड़े घटनाक्रम की खबरें जिम्मेदार तरीके से प्रसारित प्रकाशित करने के लिए परामर्श जारी करने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘हमने मीडिया को कावेरी आंदोलन से संबंधित घटनाक्रम की रिपोर्टिंग जिम्मेदाराना तरीके से करने की सलाह दी है। मैं आपसे भी ऐसा ही करने का अनुरोध करता हूं।’

 

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