सरकारी योजनाओं के लिए Aadhar कितना ज़रूरी? सुप्रीम कोर्ट 17 मई को करेगा फ़ैसला
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सरकारी योजनाओं के लिए Aadhar कितना ज़रूरी? सुप्रीम कोर्ट 17 मई को करेगा फ़ैसला

आधार की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाएं उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित हैं और उनपर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवायी करेगी.

शीर्ष कोर्ट ने कई आदेश देकर सरकार से कहा था कि वे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने में आधार को अनिवार्य ना करें.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाए जाने संबंधी केन्द्र सरकार की विभिन्न अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवायी को शुक्रवार (12 मई) को मंजूरी देते हुए 17 मई की तारीख तय की है. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने वरिष्ठ वकील श्याम दीवान की दलील को स्वीकार किया कि आधार कार्ड का मामला बहुत महत्वपूर्ण है और उसपर सुनवायी तत्काल होनी चाहिए. गौरतलब है कि यही पीठ एक साथ तीन बार तलाक बोलने वाली प्रथा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी सुनवायी कर रही है.

आधार कार्ड मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक शांता सिन्हा के वकील दीवान ने कहा, ‘इस न्यायालय के आदेश के बावजूद कि आधार कार्ड स्वैच्छिक होगा, अनिवार्य नहीं, सरकार विभिन्न अधिसूचनाएं जारी कर छात्रवृत्ति, भोजन का अधिकार और स्कूलों में मध्याह्न भोजन जैसी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए इसे (आधार) अनिवार्य बना रही है.’ शांता सिन्हा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की पूर्व प्रमुख हैं और आधार मामले में याचिका दायर करने वाले विभिन्न लोगों में शामिल हैं. दीवान ने कहा कि कृपया दो न्यायाधीशों की पीठ को विभिन्न योजनाओं में आधार को अनिवार्य बनाए जाने के खिलाफ आवेदनों की सुनवायी करने दें.

केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार ने दलील का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि आधार मामले में अंतरिम आदेश भी पांच न्यायाधीशों की पीठ ने दिया था, ऐसे में एक याचिका पर दो न्यायाधीशों वाली पीठ के समक्ष सुनवायी होना उचित नहीं होगा. कुमार ने कहा कि याचिकाकर्ता ने न्यायालय को यह भी नहीं बताया है कि विभिन्न योजनाओं में आधार को स्वैच्छिक बनाने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बाद, केन्द्र सरकार ने क्या नया कानून बनाया है.

आधार की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाएं उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित हैं और उनपर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवायी करेगी. प्रधान न्यायाधीश ने अभी तक पीठ का गठन नहीं किया है. इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने कई आदेश देकर सरकार और उसकी एजेंसियों से कहा था कि वे कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने में आधार को अनिवार्य ना करें. हालांकि कुछ योजनाओं में आधार की स्वैच्छिक इस्तेमाल की अनुमति दी थी.

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