IPS में प्रमोटेड अधिकारी सेवा की अवधि के आधार पर वरिष्ठता का दावा नहीं कर सकतेः सुप्रीम कोर्ट
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IPS में प्रमोटेड अधिकारी सेवा की अवधि के आधार पर वरिष्ठता का दावा नहीं कर सकतेः सुप्रीम कोर्ट

IPS में प्रमोटेड अधिकारी सेवा की अवधि के आधार पर वरिष्ठता का दावा नहीं कर सकतेः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में प्रमोशन प्राप्त करने वाला अधिकारी अपनी सेवा की अवधि के आधार पर वरिष्ठता का दावा नहीं कर सकता और यह उसके अखिल भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने की तारीख पर निर्भर करेगा. न्यायमूर्ति कूरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आर भानुमति की खंडपीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त करते हुये यह व्यवस्था दी. हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकार ने छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट जस की तस स्वीकार की है, इसलिए अधिकारी की वरिष्ठता भी ग्रेड वेतन के आधार पर फिर से निर्धारित करनी होगी.

शीर्ष अदालत ने कहा कि पदोन्नति प्राप्त अधिकारी को यदि अपनी लंबी सेवा अवधि की वजह से उच्च वेतन और ग्रेड वेतन मिल रहा है तो यह उन्हें उससे कम वेतन बैंड के भारतीय पुलिस सेवा में सीधी भर्ती वाले अधिकारी पर वरिष्ठता का दावा करने का स्वत: ही अधिकार नहीं देता है. पीठ ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि भारतीय पुलिस सेवा में वरिष्ठता इस सेवा में शामिल किये जाने की तारीख पर निर्भर करती है और यह इसमें शामिल होने से पहले किसी भी दूसरी सेवा की अवधि पर आधारित नहीं हो सकती है.’’ उच्च न्यायालय ने दानिपस काडर के 1987 बैच के दो अधिकारियों राज कुमार झा और सुवाशीष चौधरी की याचिका पर 22 अप्रैल, 2013 को अपने फैसले में केन्द्र सरकार को भारतीय पुलिस सेवा में वरिष्ठता के नियमों में संशोधन करने का निर्देश दिया था. इन दोनों अधिकारियों ने इन नियमों को चुनौती दी थी.

शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि दानिपस में 1987 से कार्यरत एक अधिकारी को लंबी सेवा अवधि के कारण अधिक वेतन और ग्रेड वेतन और वेतन बैंड संरक्षित है जबकि भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने की वजह से उसे कई सालों से सीधी भर्ती वाले अधिकारियों के ऊपर वरिष्ठता का दावा करने का अधिकार नहीं मिल जाता है.

न्यायालय ने कहा कि ऐसी कई परिस्थितियां हैं जिनमें सेवारत वरिष्ठ अधिकारी अपने जूनियर से कम वेतन प्राप्त कर रहे होंगे. यह अपने आप में एक उदाहरण है. इसमें प्रतिवादी अधिकारी 1987 से दानिपस में कार्यरत थे और उन्हें बाद में उनकी मेरिट और वरिष्ठता के आधार पर भारतीय पुलिस सेवा में शामिल किया गया. इस सेवा में शामिल करते वक्त उन्हें एक वर्ष आबंटित किया गया और उस साल के सीधी भर्ती वाले अधिकारियों से नीचे रखा गया था.

शीर्ष अदालत ने इसके साथ भारतीय पुलिस सेवा (पदोन्नति से नियुक्ति) विनियमन, 1955 और आईपीएस वेतन नियम 2007 के प्रावधानों में संशोधन का निर्देश देने संबंधी उच्च न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया.

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