सितंबर, 2016 में उड़ी आतंकी हमले के बाद उसी महीने की 28-29 तारीख की मध्य रात्रि को सेना ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया.
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नई दिल्ली: दो साल पहले सर्जिकल स्ट्राइक की घटना के बाद उसका वीडियो पहली बार सामने आया है. 2019 के लोकसभा चुनाव की आहट के बीच इस वीडियो के सार्वजनिक होने की टाइमिंग पर बहस शुरू हो गई है. ऐसा इसलिए भी नियंत्रण रेखा(एलओसी) पार कर किए गए इस बेहद सफल ऑपरेशन के बारे में सरकार ने किसी भी तरह की सूचना देने से इनकार कर दिया था लेकिन पिछले साल गणतंत्र दिवस पर इस मिशन से जुड़े जवानों को सरकार ने वीरता पुरस्कार दिए तो उसके बाद से सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में सूचनाएं छन-छनकर सामने आने लगी थीं.
उल्लेखनीय है कि सितंबर, 2016 में उड़ी आतंकी हमले के बाद उसी महीने की 28-29 तारीख की मध्य रात्रि को सेना ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया. उड़ी आतंकी हमले में 17 जवान शहीद हुए थे. उसके बाद दुश्मन से बदला लेने के लिए की गई इस सर्जिकल स्ट्राइक को सबसे बेहतरीन सैन्य ऑपरेशन में इसलिए शुमार किया जाता है क्योंकि दुश्मन ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के क्रम में भारतीय सेना के किसी जवान को मामूली खरोंच तक नहीं आई थी.
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टारगेट-1
पिछले साल इस कड़ी में प्रकाशित हुई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कुल 19 जवान सर्जिकल स्ट्राइक के अभियान का केंद्रीय हिस्सा थे. इसको अंजाम देने के लिए सही वक्त का इंतजार किया गया. लिहाजा अमावस्या की रात को ऑपरेशन के लिए चुनाव गया क्योंकि उस दिन आसमान में चांद नहीं दिखने से घुप्प अंधेरी रात होती है. ऑपरेशन के लिए कई सैन्य टीमें बनाई गईं थीं. नतीजतन 28-29 सितंबर की मध्य रात्रि के आसपास एक मेजर के नेतृत्व में एक टीम ने पहले टारगेट पर हमला किया. इस टीम के पास आतंकी ढांचे को नष्ट करने का टारगेट था. ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और इस मेजर को पिछले साल कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया.
टारगेट-2
इससे एक दिन पहले ही 27 सितंबर को टारगेट पर नजदीक से निगाह रखने का दायित्व एक मेजर के नेतृत्व में दूसरी टीम को दिया गया था. नतीजतन सर्जिकल स्ट्राइक के 48 घंटे पहले ही यह टीम एलसीओ पार कर सर्विलांस का काम कर रही थी. इस टीम ने पूरे टारगेट एरिया की मैपिंग करने के साथ ही हथियारों को रखने की जगह को नष्ट किया. इस दौरान कई आतंकियों को मार गिराया गया. इस मेजर को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.
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टारगेट-3
तीसरे मेजर के नेतृत्व में गठित टीम ने आतंकियों के ट्रेनिंग बेस पर हमला कर दिया. वहां सोते हुए सभी आतंकियों को भून दिया गया. यह टीम कंट्रोल रूम में अपने उच्च अधिकारियों को भी ऑपरेशन के बारे में पूरी जानकारी दे रही थी. इस मेजर को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया.
टारगेट-4
चौथे मेजर के नेतृत्व वाली टीम ने ग्रेनेड हमला कर दुश्मन के खतरनाक ऑटोमेटिक हथियारों को नष्ट कर दिया. मेजर ने नजदीक से दो आतंकियों को गोली मारी. इस मेजर को पराक्रम दिखाने के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया. हालांकि इस चौथी टीम को खतरे का सामना भी करना पड़ा क्योंकि आतंकियों ने मोर्चा खोल दिया था. लेकिन इस टीम की रक्षा के लिए पांचवां मेजर उस वक्त सामने आया जब उसने देखा कि आतंकी आरपीजी (रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड) से चौथी टीम पर हमला करने वाले हैं. नतीजतन मेजर ने बिना देरी किए मूव करते हुए दो आतंकियों को मार गिराया.
सर्जिकल स्ट्राइक?
1. एक सीमित एरिया में दुश्मनों या आतंकियों के सफाए के लिए जब सेना द्वारा सैन्य कार्रवाई की जाती है तो उसे सर्जिकल स्ट्राइक कहा जाता है.
2. इसके लिए पहले समय तय किया जाता है कि सर्जिकल स्ट्राइक कब करना है. फिर इस अभियान की जानकारी बेहद गोपनीय रखी जाती है जिसकी सूचना सिर्फ चुनिंदा लोगों तक ही होती है.
3. सर्जिकल स्ट्राइक में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि जिस जगह या इलाके में आतंकी या दुश्मन छिपे हुए हैं सिर्फ उसी जगह को निशाना बनाया जाए या फिर स्ट्राइक किया जाए और इससे बाकी लोगों यानी नागरिकों को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचे.
4. भारतीय सेना ने भी जो सर्जिकल स्ट्राइक किया था, उसमें भी यही हुआ कि आतंकी ठिकानों और आतंकियों को भारी नुकसान पहुंचाया गया. हमले में कई आतंकी मारे गए.
5. इसी तरह कुछ समय पहले भारतीय सेना ने म्यांमार सेना में दाखिल होकर पूर्वोत्तर में सक्रिय उग्रवादी गुट एनएससीएन (के) के शिविरों को निशाना बनाया था. हमले में उग्रवादियों को सेना ने मार गिराया था.