नई दिल्‍ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्‍मदिन (17 सितंबर) पर उनको देश-विदेश से बधाइयां मिल रही हैं. बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह समेत कई दिग्‍गज हस्तियों ने इस अवसर पर पीएम मोदी से जुड़े प्रसंगों को अपने आर्टिकलों में साझा किया है. इसी कड़ी में ड्यूश बैंक के मैनेजिंग डायरेक्‍टर (एमडी) रहे सैयद जफर इस्‍लाम ने पीएम मोदी को संबोधित बर्थडे कार्ड में उनसे अपने जुड़ाव के किस्‍से को साझा किया है.


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द इंडियन एक्‍सप्रेस में लिखे अपने इस आर्टिकल में अब बीजेपी के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता सैयद जफर इस्‍लाम ने यह भी बताया है कि उन्‍होंने बीजेपी को क्‍यों ज्‍वाइन किया? इसके साथ ही यह भी बताया है कि जब उन्‍होंने इस पार्टी से जुड़ने का संकल्‍प लिया तो उनको अपने मुस्लिम समुदाय से किस तरह से जूझना पड़ा? उनके आर्टिकल के कुछ संपादित हिस्‍सों को यहां पेश किया जा रहा है.


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सैयद जफर इस्‍लाम ने इस आर्टिकल में अपने निजी अनुभवों को साझा करते हुए लिखा कि जब 2013 में गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के जन-नेता के रूप में उभर रहे थे, उस वक्‍त मैं भी निजी तौर पर राजनीति में कदम रखने का इच्‍छुक था. उससे पहले दो दशकों तक फाइनेंस सेक्‍टर में काम कर चुका था. ड्यूश बैंक के एमडी के रूप में कार्यरत था. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और आईआईएम अहमदाबाद से पढ़कर देश के फाइनेंस सेक्‍टर की माइक्रो समस्‍याओं को समझ चुका था.


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अपने राजनीति में जाने के फैसले के निर्णय के तहत मैंने कांग्रेस समेत कई राजनीतिक पार्टियों से संपर्क साधा. इस कड़ी में कई वरिष्‍ठ नेताओं से मिला. लेकिन उनकी दिशाहीनता और सत्‍ता के लालच को देखते हुए मुझे निराशा हुई.


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नरेंद्र मोदी से मुलाकात
इसी दौर में मेरी संयोगवश नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई. वह मुझसे बेहद गर्मजोशी से मिले और मुझसे कहा कि यदि उनके राष्‍ट्र-निर्माण के सपने के साथ जुड़ना चाहते हैं तो जुड़ सकते हैं. हालांकि बेहद साफगोई से यह भी कहा कि मैं यदि चुनाव लड़ने के लिए टिकट चाह रहा हूं तो यह अपेक्षा करना उचित नहीं होगा. उन्‍होंने मुझे कई स्‍तरों पर प्रभावित किया. वह बेहद कमजोर पृष्‍ठभूमि से आए हैं. मैं भी अर्द्ध-ग्रामीण समाज से ताल्‍लुक रखता हूं. एक छोटे से कस्‍बे के साधारण घर से‍ निकलकर अपने पेशे में मैंने भी आशातीत सफलता प्राप्‍त की. दूसरी बात राष्‍ट्र निर्माण के उनके सपने और मिशन ने मुझे प्रभावित किया. लेकिन बाकियों की तुलना में मेरे लिए ये इतना आसान नहीं था.


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बीजेपी ज्‍वाइन करने के फैसले के बारे में अपने परिजनों और दोस्‍तों को बताना मेरे लिए सबसे बड़ा काम था. जब मैंने बेहद साहस के साथ उनको अपने निर्णय के बारे में बताया तो वे हैरान हो गए. उनको ये अहसास हुआ कि जैसे मैंने उनको धोखा दिया है. लेकिन इसके लिए मैं उनको दोष नहीं दूंगा. ऐसा इसलिए क्‍योंकि वर्षों तक कांग्रेस ने अल्‍पसंख्‍यकों के मन में जो डर का भाव पैदा किया, करोड़ों मुस्लिमों की तरह वे भी कांग्रेस के उस मंत्र के कैदी थे. बीजेपी की विचारधारा के प्रति अज्ञानता भी इसकी एक बड़ी वजह है.


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इसके साथ ही इस्‍लाम ने लिखा कि मैं आज बीजेपी के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ताओं की सूची में शुमार हूं. अपने काम के अलावा अपने मुस्लिम समुदाय में जाकर लोगों तक प्रधानमंत्री मोदी के विजन को पेश करता हूं. अब पहले की तुलना में मेरे एरिया के मुस्लिम बीजेपी को लेकर आशंकित नहीं हैं. मुझे अब कई ऐसे मुस्लिम युवा मिल जाते हैं जो सबके लिए समान अवसरों को सृजित करने के लिए बीजेपी और पीएम मोदी का समर्थन करते हैं.