आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया जा सकता : हामिद अंसारी
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आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया जा सकता : हामिद अंसारी

भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का आह्वान करते हुए इस बात पर जोर दिया कि शांति की तलाश में यह एक प्रमुख बाधा है और पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि आतंकवाद को किसी भी आधार पर जायज नहीं ठहराया जा सकता।

आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया जा सकता : हामिद अंसारी

किगाली : भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का आह्वान करते हुए इस बात पर जोर दिया कि शांति की तलाश में यह एक प्रमुख बाधा है और पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि आतंकवाद को किसी भी आधार पर जायज नहीं ठहराया जा सकता।

उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा, ‘आतंकवाद का खतरा हमारे अपने लोगों के लिए शांति एवं समृद्धि की तलाश में एक प्रमुख बाधा के तौर पर उभरा है। आतंकवाद और अतिवाद की फैलती लहर एक ऐसा खतरा है जिसका सामना आज सभी सभ्य समाज कर रहे हैं। भारत में हम सीमा पार से खतरे का सामना करते हैं।’ 

उन्होंने रवांडा की यात्रा के आखिरी दिन रवांडा विश्वविद्यालय में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘आतंकवादी कृत्य और हिंसा को किसी भी आधार पर जायज नहीं ठहराया जा सकता। हम आतंकवाद की उसके सभी स्वरूपों में निंदा करते हैं और इस बुराई से एक व्यापक तरीके से निपटने के लिए ठोस अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का आह्वान करते हैं।’

अंसारी ने कहा कि भारत अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में एक खरे बहुपक्षीय प्रयास के तहत स्थिरता एवं शांति सुनिश्चित करने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘इस प्रतिबद्धता के तहत भारत ने अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना ड्यूटी में 6000 से अधिक कर्मी भेजे हैं। इसके अतिरिक्त हमने सुरक्षा क्षेत्र में रक्षा प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण बढ़ाने के लिए अपने अफ्रीकी साझेदारों के साथ मिलकर द्विपक्षीय रूप से काम किया है।’ 

अंसारी यहां 19 फरवरी को पहुंचे थे। उन्होंने भारत और अफ्रीका के बीच संबंधों पर जोर देने के लिए महात्मा गांधी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘हम विभिन्न वैश्विक चिंताओं पर एक से विचार एवं रूख रखते हैं जिसमें आतंकवाद से मुकाबले के साथ ही संयुक्त राष्ट्र में सुधार, विश्व व्यापार एवं जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर वैश्विक मंचों पर अपने दृष्टिकोण का समन्वय करना शामिल है।’ 

उन्होंने कहा कि वैश्विक शासन के राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों का सुधार ऐसे सहयोग का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है तथा अफ्रीका और भारत दोनों ने ऐसे सुधार की जरूरत को रेखांकित किया है। इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अर्थपूर्ण विस्तार शामिल है।

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