कैराना: अखिलेश यादव और मायावती प्रचार करने क्‍यों नहीं गए?
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कैराना: अखिलेश यादव और मायावती प्रचार करने क्‍यों नहीं गए?

सपा सूत्रों के मुताबिक सपा नेता अखिलेश यादव रणनीति के तहत कैराना नहीं गए. दरअसल पार्टी को आशंका थी कि उनकी जनसभा के कारण कहीं वोटों का ध्रुवीकरण न हो जाए, जिसका लाभ बीजेपी को मिल सकता है.

पिछले दिनों कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस शपथग्रहण समारोह में अखिलेश यादव और मायावती एक मंच पर दिखे.(फाइल फोटो)

गोरखपुर और फूलपुर में किलेबंदी कर बीजेपी को परास्‍त करने के बाद सपा नेता अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती कर्नाटक में तो विपक्षी एकजुटता दिखाने के मकसद से साथ खड़े दिखाई दिए लेकिन इसी 28 मई को यूपी की ही कैराना लोकसभा उपचुनाव में होने जा रहे चुनाव में विपक्षी सपा, बसपा, रालोद(RLD) और कांग्रेस की साझा प्रत्‍याशी तबस्‍सुम हसन के प्रचार अभियान में नहीं गए. अखिलेश यादव के बारे में पहले सपा ने कहा था कि वह कम से एक जनसभा को संबोधित करने जाएंगे लेकिन अंतिम समय तक वह नहीं पहुंचे.

  1. 28 मई को कैराना में होंगे लोकसभा उपचुनाव
  2. बीजेपी की तरफ से मृगांका सिंह और विपक्ष से तबस्‍सुम हसन उम्‍मीदवार
  3. बीेजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के कारण खाली हुई सीट

मायावती ने तो पहले ही घोषणा कर दी थी कि उनका कोई प्रत्‍याशी मैदान में नहीं उतरेगा लेकिन गोरखपुर और फूलपुर चुनावों में सपा-बसपा तालमेल के रुख से ही स्‍पष्‍ट हो गया है कि आने वाले चुनावों में विपक्षी प्रत्‍याशी के प्रति ही पार्टी का समर्थन रहेगा. अखिलेश यादव की पार्टी सपा के समर्थन से अजित सिंह की पार्टी रालोद ने साझा प्रत्‍याशी के रूप में तबस्‍सुम हसन को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने भी इनको समर्थन दिया है.

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वजह
सपा सूत्रों के मुताबिक सपा नेता अखिलेश यादव रणनीति के तहत कैराना नहीं गए. दरअसल पार्टी को आशंका थी कि उनकी जनसभा के कारण कहीं वोटों का ध्रुवीकरण न हो जाए, जिसका लाभ बीजेपी को मिल सकता है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि यहां जाट, गुर्जर और मुस्लिम आबादी की बड़ी संख्‍या है और विपक्ष की निगाह मुख्‍य रूप से इसी वोटबैंक पर है.

स्‍टार प्रचारकों की सूची में नाम होने के बावजूद सपा नेता के प्रचार के लिए नहीं जाने की एक बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है‍ कि जहां बीजेपी ने मुख्‍यमंत्री समेत कम से कम पांच बड़े मंत्रियों को प्रचार अभियान में उतार दिया, वहीं अखिलेश और मायावती के बिना प्रचार के लिए यदि विपक्षी प्रत्‍याशी को जीत मिलेगी तो इससे बीजेपी को बड़ा झटका लगेगा और विपक्ष को यह कहने का मौका मिलेगा कि वे बीजेपी को आसानी से हरा सकते हैं.

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RLD ही दिखी मैदान में
बीजेपी के जबर्दस्‍त प्रचार अभियान और मुख्‍यमंत्री आदित्‍यनाथ की ताबड़तोड़ रैलियों के बावजूद विपक्षी एकजुटता के नाम पर लामबंद इन नेताओं का प्रचार के लिए कैराना नहीं जाना बड़े सवाल खड़े करता है. सपा ने भी पूरी तरह से मुकाबला रालोद नेता चौधरी अजित सिंह और बेटे जयंत चौधरी के ऊपर छोड़ दिया.

रालोद नेता ही अपनी प्रत्‍याशी तबस्‍सुम हसन के लिए जी-जान से प्रचार अभियान में लगे रहे. रालोद के लिए ये चुनाव अस्तित्‍व के लिए संघर्ष सरीखा है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी का पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया था और उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी महज एक एक सीट ही जीत पाई. बाद में उनका विधायक भी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गया. इस कारण इस चुनाव के बहाने वह एक तरह से फिर अपनी वापसी की राह देख रहे हैं.

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कैराना में मुकाबला तबस्‍सुम हसन(बाएं) और मृगांका सिंह(दाएं) के बीच है.

सपा अध्यक्ष में प्रचार करने की हिम्मत नहीं: CM योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों सहारनपुर में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि उन पर ‘मुजफ्फरनगर दंगों का कलंक है’, इसलिए वे कैराना लोकसभा उपचुनाव के प्रचार में भागीदारी नहीं कर रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस उपचुनाव में सपा ने दूसरों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की कोशिश की है. जाहिर तौर पर उनका इशारा सपा के समर्थन से कैराना में रालोद की तबस्सुम हसन को प्रत्याशी बनाने की ओर था. सीएम योगी ने कहा कि सपा अध्यक्ष में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आकर यहां की जनता के बीच अपनी बात कह सकें क्योंकि ‘मुजफ्फरनगर दंगे का कलंक उन पर है.’

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उन्होंने कहा, ''उनके हाथ निर्दोषों की हत्या से सने हैं. इसलिये वह चुनाव प्रचार में भागीदारी नहीं कर सकते लेकिन जनता को गुमराह जरूर कर सकते हैं.'' सीएम योगी ने आरोप लगाया कि हमसे पहले की सरकारों ने जाति, धर्म और संप्रदाय के आधार पर नीतियां बनाई थीं लेकिन बीजेपी ने इस आधार पर कोई नीति नहीं बनाई, बल्कि सबका साथ-सबका विकास के आधार पर नीतियां बनाईं.

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BJP के 5 मंत्रियों के हाथ में रही प्रचार कमान
गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनावों में करारी हार के बाद बीजेपी ने कैराना में कोई कसर नहीं छोड़ी. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इस लोकसभा क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के मंत्रियों के प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने तथा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सहारनपुर जिले में प्रचार किया. कैराना लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा इस जिले में भी पड़ता है. उन्‍होंने शामली जिले में भी जनसभाओं को संबोधित किया. योगी आदित्यनाथ और मौर्य के अलावा बीजेपी ने राज्य के कम से कम पांच मंत्रियों को कैराना भेजा था जिसमें धरम सिंह सैनी (आयुष राज्यमंत्री), सुरेश राना (गन्ना विकास), अनुपमा जायसवाल (बेसिक शिक्षा), सूर्य प्रताप शाही (कृषि) और लक्ष्मी नारायण (धार्मिक मामले, संस्कृति, अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ और हज) शामिल हैं. इसमें से धरम सैनी और राना इस क्षेत्र की नाकुर और थाना भवन सीटों से विधायक हैं. अनुपमा जायसवाल शामली जिले के प्रभारी मंत्री हैं तथा सूर्य प्रताप सहारनपुर के प्रभारी मंत्री हैं. इनके अलावा बीजेपी सांसद संजीव बालियान, राघव लखन पाल, विजय पाल सिंह तोमर और कांत करदम को मृगांका सिंह के लिए प्रचार हेतु बुलाया गया.

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