कीचड़ में पटक-पटक कर खेलते हैं होली, यूपी के इस गांव में सैकड़ों साल परंपरा आज भी जिंदा
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2166012

कीचड़ में पटक-पटक कर खेलते हैं होली, यूपी के इस गांव में सैकड़ों साल परंपरा आज भी जिंदा

Holi 2024: ब्रज में रंगों, लट्ठों के अलावा कीचड़ से भी होली खेली जाती है. भगवान कृष्ण की नगरी में होली का नजारा देखने लायक होता है. कीचड़ की होली खेलने के लिए हुरियारिनें टोलियों में निकलती हैं और हुरियारों को सराबोर कर देती हैं.

 

 

Holi 2024

Holi 2024: सारी दुनिया ब्रज की होली की दीवानी है. कान्हा की नगरी में होली से कई दिनों पहले होली शुरू हो जाती है.  पूरे बृज में होली खेलने के अलग-अलग अंदाज और रिवाज है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को होली का त्योहार सबसे अधिक प्रिय है.  व्रज में रंग-गुलाल, फूल, लठामार होली के अलावा कई जगह कीचड़ और मिट्टी की भी होली खेली जाती है. सुरीर और नौहझील समेत ऐसे कई गांव हैं, जहां कीचड़ और मिट्टी की होली खेलने की परंपरा सालों से चली आ रही है.  यहां रंग की होली (धुलेड़ी) के अगले दिन मिट्टी और कीचड़ की होली खेली जाती है.

रंगभरनी एकादशी पर कान्हा की नगरी में होली का धूम धड़ाका, गुलाल उड़ाते वृंदावन की पंचकोसीय परिक्रमा में मदमस्त हैं भक्त

होली दूज के दूसरे दिन कीचड़ की होली
मथुरा-वृंदावन में कई तरह की होली खेली जाती है. पूरे बृज मंडल में होली खेलने का अपना एक अलग ही रिवाज है. आज हम बात करते हैं मथुरा के नौहझील कस्बे की जहां की अनोखी होली के बारे में सुनकर हैरान हो जाएंगे. यहां पर रंगों की होली के अगले दिन यानी दौज के दिन कीचड़ होली खेली जाती है. इस दिन उत्साही नवयुवकों एवं हुरियारनों की टोलियां अलग-अलग गली मोहल्लों में कीचड़ की होली का आनंद लेते हैं.

Braj Ki Holi 2024: ब्रज में क्यों खास है होली, यहां देखें फूलों से लेकर लट्ठमार होली का पूरा शेड्यूल

कीचड़ की होली
नौहझील कस्बे में कीचड़ की होली इतनी ज्यादा मशहूर है कि लोग यहां की होली देखने और खेलने के लिए आते हैं.  कीचड़ की होली खेलने वाले हुरियारों और हुरयारिनों की इतनी दहशत रहती है कि बस कस्बे के सभी दुकानें और बाकी प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रखते हैं.  कोई भी इधर से गुजरने वाला बिना कीचड़ की होली से सने नहीं जा सकता. कस्बे में दोपहर तक किसी भी तरह के  वाहन बंद कर दिए जाते हैं.

ऐसे करते हैं तैयारी
होली खेलने के शौकीन लोग पहले से ही इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं. होली से दो दिन पहले यहां के निवासी बुग्गी और ट्रैक्टरों से मिट्टी लाकर कीचड़ की व्यवस्था कर लेते हैं.  इससे सभी होली खेलते हैं. मोहल्ले की महिलाओं को लाते हैं और उन्हें भी कीचड़ में पूरी तरह सराबोर करते हैं. 

कई वर्षों से चली आ रही है परंपरा
धर्म नगरी मथुरा के नौहझील कस्बा में होली के दूसरे दिन कीचड़ की होली खेलने की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है.  कीचड़ वाली होली के दिन बाजार बंद रहते हैं. लोग इस कदर होली में मस्त होते हैं कि आने-जाने वाले लोगों को भी नहीं छोड़ते. सड़कों पर इन हुरियारों के अलावा और कुछ नहीं  दिखता.  यहां के निवासियों का कहना है कि  यह परंपरा जन्म से ही देखी है. ऐसा कहते हैं कि होलिका में भक्त प्रहलाद के बचने और होलिका के जलने पर लोग खुशियां मनाने लगे.  होलिका की राख को एक दूसरे को लगाने लगे और राख को पानी में घोलकर एक दूसरे के ऊपर डालने लगे जिसका रुप बदलकर कीचड़ के रुप में हो गया और लोग कीचड़ की होली खेलने लग और तभी से यह परंपरा चली आ रही है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

Phulera Dooj 2024: फुलेरा दूज से शुरू हो जाएगा होली का त्योहार, इस दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां वरना रूठ जाएंगे राधा-कृष्ण

Trending news