रंगभरी एकादशी पर कान्हा की नगरी में होली का धूम धड़ाका, गुलाल उड़ाते वृंदावन की पंचकोसीय परिक्रमा में मदमस्त भक्त
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रंगभरी एकादशी पर कान्हा की नगरी में होली का धूम धड़ाका, गुलाल उड़ाते वृंदावन की पंचकोसीय परिक्रमा में मदमस्त भक्त

Rangbhari Ekadashi 2024: वृंदावन में रंगभरी एकादशी पर पंचकोसीय परिक्रमा मार्ग में उमड़ा भक्तों का सैलाब. परिक्रमा मार्ग में जमकर उड़ रहा अबीर गुलाल. देश विदेश से आए लाखों भक्त रंग गुलाल उड़ाते हुए लगा रहे परिक्रमा.

Braj Ki Holi 2024

Rangbhari Ekadashi 2024: इस साल रंगभरी एकादशी 20 मार्च को मनाई जाएगी. इसे अमालकी एकादशी भी कहा जाता है. ब्रज में होली का त्योहार होलाष्टक से शुरू होता है तो वहीं वाराणसी में होली की शुरुआत रंगभरी एकादशी से होती है. आज वृंदावन में रंगभरी एकादशी पर पंचकोसीय परिक्रम मार्ग पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है. परिक्रमा मार्ग में जमकर अबीर और गुलाल उड़ रहा है. रंगभरी एकादशी पर आज होली उत्सव है. भक्त वृंदावन में परिक्रमा कर रहे हैं.  ब्रज के मंदिरों में होली की धूमधाम है. द्वारकाधीश मंदिर में पिचकारी की होली खेली जाएगी.

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पुलिस प्रशासन ने किए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
रंगभरी एकादशी पर देश-विदेश से आए लाखों भक्त रंग गुलाल उड़ाते हुए परिक्रमा लगा रहे हैं. इस खास मौके पर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं. चप्पे-चप्पे पर पुलिस की नजर है. तैनाती के बावजूद परिक्रमा मार्ग में वाहनों के आवागमन से परिक्रमार्थियों को भारी परेशानी हो रही है.

ब्रज की अनोखी होली
ब्रज धाम में सिर्फ रंगों से ही होली नहीं खेली जाती बल्कि कई अन्य तरीकों से भी होली खेली जाती है. लड्डूमार,फूलमार होली से लेकर गोबर की होली तक का प्रचलन है. यहां देश ही नहीं विदेश से भी भक्त होली का आनंद लेने के लिए आते हैं. होली की यहां कुछ विशेष परंपराएं भी जो लोगों को खूब भाती हैं.

बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार
ब्रज में होली का त्योहार होलाष्टक से शुरू होता है. तो वहीं वाराणसी में होली की शुरुआत रंगभरी एकादशी से होती है. इस दिन शिवजी को विशेष रंग अर्पित करके धन से जुड़ी तमाम मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं. ल्गुन शुक्ल एकादशी को काशी में रंगभरी एकादशी कहते हैं. इस दिन काशी विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है. इस दिन से ही काशी में होली का पर्व शुरू हो जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रंगभरी या अमालकी एकादशी पर भगवान शिव मां पार्वती से विवाह के बाद पहली बार काशी नगरी आए थे. इसी खुशी में इस दिन शिवजी के भक्त उन पर रंग, अबीर और गुलाल उड़ाते हैं. इस दिन से ही वाराणसी में रंग खेलने का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो अगले छह दिन तक जारी रहता है.

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