2016 में यूपी में समाजवादी पार्टी की तत्कालीन सरकार में हुआ था दिव्यांग पेंशन घोटाला.
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शाहजहांपुर : शाहजहांपुर में दिव्यांग पेंशन में करोड़ों का घोटाला सामने आया है. खास बात ये है कि घोटाले का खुलासा खुद जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी ने किया है. आलम ये है कि घोटालेबाज अफसरों ने मृतकों और स्वस्थ लोगों को दिव्यांग बनाकर करोड़ों रुपये का पेंशन घोटाला कर दिया है. मामले में जिलाधिकारी ने कार्रवाई करते हुए दो तत्कालीन जिला विकलांग अधिकारियों और तीन बाबुओं सहित 6 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी व सरकारी धन का गबन करने सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया है. फिलहाल अब जिलाधिकारी ने पूरे जनपद को 250 सेक्टर में बांटकर तमाम योजनाओं की जांच शुरू करवा दी है.
शाहजहांपुर का जिला कलेक्ट्रेट इन दिनों पूरे एक्शन में हैं. यहां जिलाधिकारी ने दिव्यांग पेंशन में करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा किया है. इस खुलासे के बाद पूरे जनपद में हडकंप मचा हुआ है. दरअसल जिलाधिकारी को तहसील दिवस के दौरान विकलांग विभाग के खिलाफ पेंशन घोटाले की शिकायत मिली थी. जब जिलाधिकारी ने मिर्जापुर और कलान ब्लॉक के कुछ गांवों में इसकी जांच कराई तो मामले का खुलासा हो गया. महज दो ब्लाकों में ही सैकड़ों ऐसे लोग मिले जो दिव्यांग नहीं थे. दर्जनों ऐसे लोगों के नाम भी पाए गए जो जिंदा ही नही थे. कई ऐसे लाभार्थी मिले जो गांव में रहते ही नहीं थे.ये पूरा घोटाला समाजवादी पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार में 2016 में किया गया था. जिलाधिकारी ने जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई करते हुए तत्कालीन जिला विकलांग अधिकारी रंजीत सोनकर और जिला विकलांग अधिकारी वीरपाल सहित 6 अफसरों के खिलाफ सदर थाने में गबन और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया है.
हालांकि इनमें से एक जिला विकलांग अधिकारी रंजीत सोनकर ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी. यहां दो हजार लोगों को 6-6 हजार रुपये प्रति लाभार्थी उनके खाते में भेज दिया गया था. इस रकम को दलालों ने निकालकर अधिकारियों के साथ बंदरबाट कर लिया. दिव्यांग पेंशन में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले के बाद अब जिलाधिकारी ने सपा सरकार में हुई विकलांग विभाग और समाज कल्याण विभाग की तमाम योजनाओं और पेंशनों की जांच के लिए जिले को 250 सेक्टर में बांटकर उसकी जांच शुरू कर दी है. उनका कहना है कि विकलांग विभाग में हुए पेंशन घोटालेबाज अफसरों की जल्द गिरफ्तारी की जाएगी. अगर आगे भी कोई घोटाले मिले तो और एफआईआर की जाएगी.
यहां इससे पहले भी समाज कल्याण विभाग में करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति का घोटाला हो चुका है. लेकिन वो घोटाला फाइलों में गुम हो गया. लेकिन इस विकलांग घोटाले में जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी ने बिना देरी के सभी जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है. इतना ही डीएम के आदेश के बाद सभी की गिरफ्तारी की तैयारी भी की जा रही है. फिलहाल अब डीएम ने पूरे जनपद को 250 सेक्टर बांट दूसरे योजनाओं में जांच शुरू कर दी है. जिलाधिकरी के इस एक्शन के बाद पूरे जनपद में घोटालेबाज अफसरों और कर्मचारियों में हड़कम्प मचा हुआ है.