राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति तथा राज्यपालों की गाड़ियों पर भी होने चाहिए रजिस्ट्रेशन नंबर : दिल्ली हाई कोर्ट
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राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति तथा राज्यपालों की गाड़ियों पर भी होने चाहिए रजिस्ट्रेशन नंबर : दिल्ली हाई कोर्ट

विशेष प्रतीक चिह्नों वाले वाहनों को पुलिस समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी हाथ नहीं लगाती हैं. जिससे इन चिह्नों के दुरुपयोग का खतरा बढ़ा जाता है.

कुछ संवैधानिक पदों पर तैनात गणमान्य लोगों के वाहनों पर भारत या राज्य सरकार के प्रतीक चिह्न होते हैं (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि आम नागरिकों की तरह देश के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, राज्यपाल और लेफ्टिनेंट गवर्नर की गाड़ियों पर रजिस्ट्रेशन नंबर होने चाहिए. कोर्ट ने कहा कि देश के इन माननीयों की गाड़ियों का परिवहन विभाग में रजिस्ट्रेशन होना चाहिए और सभी वाहनों पर उनके रजिस्ट्रेशन नंबर स्पष्ट रूप से लिखे होने चाहिए. 

हाई कोर्ट ने यह बात यहां दायर की गई एक अपील की सुनवाई करते हुए कही. कोर्ट में संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों और गणमान्य व्यक्तियों के वाहनों पर पंजीकरण संख्या दर्शाने की मांग करते हुए एक अपील दायर की गई थी. बुधवार को इस अपील पर सुनवाई की गई. यह अपील एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) दायर की गई थी.

अपील में कहा गया था कि राज्य सरकारों के विशेष प्रतीक चिह्न या चार शोरों के प्रतीक चिह्न को रजिस्ट्रेशन नंबर की जगह दर्शाए जाने पर ये विशिष्ठ लोग आतंकियों के निशाने पर आसानी से आ सकते हैं. इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से इस तरह के चिह्नों का प्रयोग सही नहीं है. क्योंकि विशेष चिह्नों के कारण असामाजिक तत्व इन वाहनों को आसानी से पहचान कर अपना निशाना बना सकते हैं.

अपील में यह भी कहा गया कि विशेष प्रतीक चिह्नों वाले वाहनों को पुलिस समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी हाथ नहीं लगाती हैं. जिससे इन चिह्नों के दुरुपयोग का खतरा बढ़ा जाता है. आंतकी और अपराधी ऐसे चिह्नों का इस्तेमाल करने आतंकी गतिविधियों को आसानी से अंजाम दे सकते हैं.

रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं होना कानून का उल्लंघन
अपील में यह भी कहा गया है कि वाहनों पर रजिस्ट्रेशन नंबर का नहीं दर्शाना भी कानून का उल्लंघन है और जिन वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है उससे साफ पता चलता है कि उनका बीमा भी नहीं किया गया है. 

इस अपील में उस आरटीआई का भी जिक्र किया गया है, जिसके तहत विदेश मंत्रालय से कुछ कारों की लिस्ट भेजकर उनके रजिस्ट्रेशन नंबर के बारे में जानकारी मांगी थी. आरटीआई के जवाब में  विदेश मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि प्रोटोकॉल विभाग द्वारा लिस्ट में दी गईं 14 कारों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया है. लेकिन राष्ट्रपति की कार के बारे में बताया गया कि राष्ट्रपति भवन ने अपनी कारों के रजिस्ट्रेशन के बारे में जानकारी देने से इस आधार पर इनकार कर दिया है कि इस तरह की जानकारी देश और राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती है.

अपील में यह भी कहा गया है कि ऐसे वाहन से दुर्घटाना होने पर पीड़ित व्यक्ति इसके खिलाफ को दावा भी नहीं कर सकता, क्योंकि वाहन की कोई पहचान ही नहीं है. वाहन के मालिक के बारे में भी कोई जानकारी नहीं हासिल की जा सकती. इससे आम नागरिक को यह संदेश जाता है कि कोई गणमान्य व्यक्ति कानून का उल्लंघन कर सकता है. उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, इसलिए ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए.

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