Weather Update: मई में Winter Returns! गर्मी के लॉकडाउन वाले महीने में क्यों निकालने पड़े कंबल? चौंकाने वाली है वजह
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Weather Update: मई में Winter Returns! गर्मी के लॉकडाउन वाले महीने में क्यों निकालने पड़े कंबल? चौंकाने वाली है वजह

Delhi NCR Weather; आसमान में छाए बादल देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मई के महीने में ही मॉनसून आ गया हो. रूक रूक कर हो रही बारिश और तापमान में आई कमी से गर्मी में बड़ी राहत मिली है. लेकिन जिस ठंडे  मौसम का मजा आप ले रहे हैं क्या आपने कभी सोचा वो कितना घातक हो सकता है. क्या आपके जहन में ये सवाल आया है कि मई के महीने में अचानक मौसम क्यों बदल रहा है. 

Weather Update: मई में Winter Returns! गर्मी के लॉकडाउन वाले महीने में क्यों निकालने पड़े कंबल? चौंकाने वाली है वजह

Weather News: देश में अप्रैल-मई का महीना जलती-चुभती गर्मी का महीना होता है. भीषण गर्मी की वजह से हर साल इस समय गर्मी का लॉकडाउन लग जाता है, लेकिन इस बार मई के महीने में मौसम का मिजाज कुछ ऐसा कूल हुआ कि तन मन सब ठंडा हो गया है. मई में गर्मी से राहत और कूल-कूल मौसम की वजह से लोगों के चेहरे खिल गए है. आसमान में छाए बादल देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मई के महीने में ही मॉनसून आ गया हो. रूक रूक कर हो रही बारिश और तापमान में आई कमी से गर्मी में बड़ी राहत मिली है. लेकिन जिस ठंडे  मौसम का मजा आप ले रहे हैं क्या आपने कभी सोचा वो कितना घातक हो सकता है. क्या आपके जहन में ये सवाल आया है कि मई के महीने में अचानक मौसम क्यों बदल रहा है. 

दरअसल इस बदले मौसम के पीछे वैज्ञानिक एक बड़ी वजह वेस्टर्न डिस्टरबेंस बता रहे है. मार्च और अप्रैल के महीने में 6-6 वेस्टर्न डिस्टरबेंस आए थे. वैसे वेस्टर्न डिस्टरबेंस हर साल होता है लेकिन इस बार जो परिस्थितियां बनी हैं वैसी हर साल नहीं बनती कई वर्षों बाद मई में इस तरह के हालात बने हैं.

क्यों हुआ मौसम में बदलाव?

आमतौर पर जो चक्रवाती हवाएं बनती हैं वो काफी कम लैटिट्यूड पर बनती हैं जिसका सेंटर अक्सर चेन्नई के आसपास होता है. नतीजा मई के महीने में उत्तर भारत के राज्यों में इतनी ज्यादा बारिश नहीं होती है और वेस्टर्न डिस्टरबेंस का असर कर्नाटक, केरल तक ही सिमट जाता है. लेकिन इस बार वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से साइक्लोनिक सर्कुलेशन यानी चक्रवाती हवाएं हरियाणा और पंजाब के ऊपर बनी हुई हैं. इन्हीं चक्रवाती हवाओं की वजह से उत्तर से पश्चिम भारत तक बारिश हो रही है.

दक्षिणी भारत में एंटी साइक्लोनिक एक्टिविटी होने से भी मौसम में बदलाव हुआ. दक्षिणी भारत में इस एक्टिविटी के कारण काफी बरसात हुई है. दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार से लेकर कश्मीर तक मौसम के बदले मिजाज ने लोगों को कन्फ्यूज कर रखा है. इस मौसम को देखकर आपने भी AC बंद कर फिर पंखा चला दिया होगा. रात के समय तो पंखे में भी ठंड लगती है. नहाने के लिए गीजर ऑन करना पड़ रहा है. बारिश का ये असाधारण दौर एक साथ देश के कई राज्यों में आया है. 

बारिश ही नहीं ओले तक पड़ रहे है जिसे देखकर मौसम वैज्ञानिक भी हैरान है. मई के इस मौसम को देखकर अगर आप ये सोच रहे हैं कि इस बार गर्मी कम होगी तो आप गलत सोच रहे हैं. मौसम में हो रहे बदलाव की वजह से इस बार गर्मी भी पिछले साल के मुकाबले भीषण होगी और इसकी एक वजह अल-नीनो होगा. अल नीनो के कारण भारत ही नहीं दुनिया भर में बारिश का क्रम बिगड़ सकता है.

 अल-नीनो उस स्थिति को कहा जाता है जब प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से ज्यादा यानी गर्म हो जाता है. जिससे दुनिया के किसी हिस्से में सामान्य से ज्यादा बारिश होती है, तो कहीं सूखा पड़ने लगता है.  इसी अल-नीनो का असर है कि प्रशांत महासागर से पूर्वी हवाएं भारत की तरफ आ रही हैं जिससे अप्रैल और मई महीने में बारिश ज्यादा हो रही है.

लेकिन इसी अल-नीनो की वजह से भारत में गर्मी भी ज्यादा पड़ेगी और वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसकी वजह से मॉनसून के समय में बारिश भी कम होगी. बारिश का ये दौर अभी कुछ दिन यूं ही बना रहेगा. मई के दूसरे हफ्ते से बारिश में कमी आएगी लेकिन इसके बाद मौसम फिर से धीरे-धीरे गर्म होने लगेगा और दूसरे हफ्ते के बाद हीट वेव फिर गर्मी बढाएंगी यानि जलती चुभती गर्मी की वजह से फिर माथे से पसीना टपकने लगेगा.

सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया के कई देशों में ग्लोबल वॉर्निंग का असर अब साफ साफ दिख रहा है. जिन देशों की पहचान ही उनका ठंड़ा मौसम होता था. वहां अब भीषण गर्मी पड़ रही है. धीरे-धीरे हर मौसम का पैटर्न बदल रहा है. आपने भी देखा होगा. गर्मी के समय गर्मी नहीं पड़ रही, बरसात के समय बरसात नहीं हो रही. सर्दी भी अब पहले के मुकाबले कम होने लगी है. ये इसी ग्लोबल वॉर्मिंग का साइड इफेक्ट है.

सामान्य मॉनसून के लिए 'हीटिंग' जरूरी होती है. इस बार अप्रैल महीने में ज्यादा गर्मी नहीं पड़ी. मई के शुरुआत में भी बारिश हो रही है. पिछले साल मई के इन्हीं दिनों में भीषण गर्मी पड़ रही थी. लेकिन इसबार ऐसा नहीं है. इस बदले मौसम का सीधा असर मॉनसून पर होने की बात भी कही जा रही है. कहीं ऐसा ना हो मॉनसून के समय बादल आसमान में नजर तो आएं, लेकिन बूंदों का हम इंतजार ही करते रह जाएं.

हालांकि अभी मौसम वैज्ञानिक इस बे मौसम बारिश का मॉनसून पर कोई असर नहीं बता रहे हैलेकिन ऐसा कई बार हुआ है जब मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी भी फेल साबित हुई है.  ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ध्रुवीय सिरे पर बर्फ लगातार पिघल रही है, जिसकी वजह से समुद्र का जल स्तर भी लगातार बढ़ रहा है. समुद्र का जल स्तर बढ़ने से पानी का अधिक वाष्पीकरण हो रहा है, जिससे बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हो रही है.

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