ZEE जानकारी : जानिए क्यों हो रहा है मणिशंकर अय्यर के घर पर हुई बैठक को लेकर विवाद?
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ZEE जानकारी : जानिए क्यों हो रहा है मणिशंकर अय्यर के घर पर हुई बैठक को लेकर विवाद?

पिछले दो दिनों से आप कांग्रेस के निलंबित नेता मणिशंकर अय्यर के घर पर हुई एक बैठक के बारे में सुन रहे होंगे. इस बैठक का ज़िक्र गुजरात के विधानसभा चुनावों में भी हो रहा है.  हमें यकीन है कि इस बैठक को लेकर हो रहा शोर तो आपने सुना होगा, लेकिन इससे जुड़ी सटीक जानकारियां आपको अब तक नहीं मिली होंगी. बहुत सारे लोगों को तो ये भी पता नहीं होगा कि इस बैठक को लेकर विवाद क्यों हो रहा है? 

    ZEE जानकारी : जानिए क्यों हो रहा है मणिशंकर अय्यर के घर पर हुई बैठक को लेकर विवाद?

अब हम एक बैठक का DNA टेस्ट करेंगे. पिछले दो दिनों से आप कांग्रेस के निलंबित नेता मणिशंकर अय्यर के घर पर हुई एक बैठक के बारे में सुन रहे होंगे. इस बैठक का ज़िक्र गुजरात के विधानसभा चुनावों में भी हो रहा है.  हमें यकीन है कि इस बैठक को लेकर हो रहा शोर तो आपने सुना होगा, लेकिन इससे जुड़ी सटीक जानकारियां आपको अब तक नहीं मिली होंगी. बहुत सारे लोगों को तो ये भी पता नहीं होगा कि इस बैठक को लेकर विवाद क्यों हो रहा है? कई बार News चैनलों के Debate.. और Headlines के शोर में असली ख़बर दब जाती है. और इसका विश्लेषण नहीं हो पाता... कुछ ऐसा ही इस मामले में भी हुआ है.. इसलिए आज हम इस बैठक को पूरी तरह.. Decode करेंगे.

ये वो बैठक है, जिसमें भारत के एक पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व उप राष्ट्रपति, पूर्व विदेश मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ शामिल थे. यानी बड़े बड़े लोग इस बैठक का हिस्सा थे. और पाकिस्तान की तरफ से वहां के पूर्व विदेश मंत्री, पाकिस्तान के उच्चायुक्त और कई अधिकारी शामिल थे. आप भी यही सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान के साथ तो भारत सरकार ने हर तरह की बातचीत बंद की हुई है, तो फिर ये बैठक कैसे हो सकती है? ये सवाल इस विश्लेषण का आधार है. 

सबसे पहले आपको इस बैठक के बारे में कुछ मुख्य बातें बता देते हैं. मणिशंकर अय्यर के घर ये बैठक 6 दिसंबर 2017 को हुई थी. यानी वो तारीख जिस दिन अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था. 6 दिसंबर को दिल्ली में मणिशंकर अय्यर के घर पर एक डिनर का आयोजन किया गया था. उनके घर का पता है - G-43, jangpura extension, नई दिल्ली अब उन लोगों के नाम जान लीजिए जो इस बैठक का हिस्सा थे. 

इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह, पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह और पूर्व आर्मी चीफ जनरल दीपक कपूर शामिल थे. इनके अलावा भारत के कुछ पूर्व Diplomats जैसे - सलमान हैदर, TCA राघवन, शरत सभरवाल, और K शंकर बाजपेयी भी शामिल थे. इनमें से TCA राघवन, शरत सभरवाल और के शंकर बाजपेयी पाकिस्तान में भारत के High Commissioners रह चुके हैं. इस डिनर में पाकिस्तान की तरफ से पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी और भारत में मौजूद पाकिस्तान के High Commissioners भी शामिल थे. 

मणिशंकर अय्यर के घर पर ये बैठक करीब 3 घंटे तक चली थी. और इसी बैठक के बाद मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नीच कहा था. इसके बाद गुजरात की एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस और पाकिस्तान के पूर्व अधिकारियों के बीच मिलीभगत के आरोप लगाए थे. और इस बैठक को लेकर विवाद शुरू हो गया था. इस बैठक में शामिल लोगों का दावा है कि इस बैठक में सिर्फ भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर बात हुई. इसके अलावा कश्मीर पर भी बात हुई और इस बात पर भी चर्चा हुई कि कश्मीर विवाद सुलझाने के क्या क्या तरीके हो सकते हैं? इस बैठक का आयोजन करते हुए कांग्रेस शायद ये भूल गई कि देश में सरकार कांग्रेस की नहीं बीजेपी की है. और केन्द्र सरकार ने पाकिस्तान से हर तरह की बातचीत बंद की हुई है.  

ऐसे में अब सवाल ये है कि कांग्रेस के इतने वरिष्ठ नेताओं ने किस अधिकार के साथ पाकिस्तान के नेताओं और अधिकारियों से ये मुलाकात की? क्या ऐसी किसी मुलाकात में एक पूर्व प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति को जाना चाहिए था. नियमों के मुताबिक ऐसी मुलाकातें हो सकती हैं, लेकिन ऐसे दौर में जब भारत और पाकिस्तान के संबंध खराब हैं... दोनों देशों के बीच बातचीत बंद है.. और पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी घटनाएं लगातार जारी हैं. ऐसे में क्या ये मुलाकात ज़रूरी थी? क्या कांग्रेस के नेताओं ने इस मुलाकात के लिए भारत के विदेश मंत्रालय से इजाज़त ली थी ? या उसे सूचित किया था ? हमें लगता है कि ये मुलाकात भले ही अवैध न हो, लेकिन अनैतिक ज़रूर है.

अब इस बैठक में मौजूद अलग अलग किरदारों का DNA टेस्ट करते हैं. सबसे पहले खुर्शीद महमूद कसूरी के कारनामों और उनकी विचारधारा को समझिए. खुर्शीद महमूद कसूरी वर्ष 2002 से लेकर 2007 तक पाकिस्तान के विदेश मंत्री रहे. जब कसूरी पाकिस्तान के विदेश मंत्री थे, उस दौरान पाकिस्तान ने भारत को लगातार ज़ख्म दिए थे. और पाकिस्तान से आतंकवाद का Export हो रहा था.

वर्ष 2002 से 2007 तक भारत में आतंकवादी हिंसा में 3000 से ज़्यादा नागरिकों की जान गई. इन 5 वर्षों में भारत के 1600 से ज़्यादा जवान शहीद हो गए. कसूरी के विदेश मंत्री रहते हुए भारत में 3600 से ज़्यादा घुसपैठ की घटनाएं हुईं . 2008 के मुंबई हमले की साज़िश 2007 में ही पाकिस्तान में तैयार कर ली गई थी. मुंबई हमले की साज़िश का प्लान जब तैयार हुआ था तब कसूरी ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री थे .  कसूरी ने सार्वजनिक तौर पर ये भी मान लिया था कि पाकिस्तान की नीति का मूल केंद्रबिंदु है... भारत का विरोध करना . कसूरी ने ये भी माना था कि भारत विरोधी मामलों में आर्मी और ISI की बात सबसे ज़्यादा मानी जाती है. 

अब आप खुद ही सोचिए कि खुर्शीद महमूद कसूरी का भारत में स्वागत करना चाहिए या उनके हाथ में पाकिस्तान का Return Ticket पकड़ा देना चाहिए ? दुख की बात ये है कि सब कुछ जानते हुए भी... कसूरी जैसे लोगों को भारत में हर बार कोई ना कोई मेज़बान मिल ही जाता है. 2015 में सुधींद्र कुलकर्णी ने उनका स्वागत किया था.. और 2017 में काम मणिशंकर अय्यर ने किया. आज से करीब दो वर्ष पहले अक्टूबर 2015 में खुर्शीद महमूद कसूरी की एक किताब का विमोचन भारत में किया गया था.  कई वर्षों तक पाकिस्तान की आतंकवाद वाली नीति का हिस्सा रह चुके.. कसूरी ने.. इस किताब के माध्यम से अपने आपको बहुत पाक साफ दिखाने की कोशिश की थी. 

कसूरी की इस किताब को मुंबई में लॉन्च किया गया था और इसकी जिम्मेदारी दी गई थी, सुधीन्द्र कुलकर्णी को. इस किताब के Launch से पहले मुंबई में शिवसेना का कार्यकर्ताओं ने कुलकर्णी के मुंह पर कालिख पोत दी थी. कसूरी उन्हीं परवेज़ मुशर्रफ के शागिर्द हैं.. जो हाफिज़ सईद को अपना हीरो बताते हैं. कसूरी का ये Bio Data देखने के बाद आप ये अंदाज़ा लगा सकते हैं.. कि मणिशंकर अय्यर के घर में हुई बैठक में.. कसूरी ने किस तरह की बातें की होंगी

सवाल ये है कि इस डिनर में जान बूझकर उन लोगों को ही क्यों बुलाया गया, जिनकी पाकिस्तान के साथ हमदर्दी है.. या फिर जो अपनी बातों से पाकिस्तान को फायदा पहुंचाते हैं. पाकिस्तान अक्सर भारत का विरोध करने के लिए ये कहता है कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं. पाकिस्तान को उन लोगों से और भी ज्यादा बल मिलता है, जो खुद भारत में रहकर ऐसी बात करते हैं. इस डिनर में शामिल भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी भी एक ऐसे ही नेता हैं.

इसी वर्ष अगस्त में हामिद अंसारी ने एक ऐसा बयान दिया था, जिसने पाकिस्तान को खुश कर दिया था. हामिद अंसारी ने कहा था कि भारत में मुसलमान डरे और घबराये हुए हैं और वो खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ये वही भाषा है.. जिसका इस्तेमाल करके पाकिस्तान भारत के खिलाफ पूरी दुनिया में दुष्प्रचार करता है. आपको हामिद अंसारी का ये बयान ध्यान से सुनना चाहिए. ऐसे बयानों से पाकिस्तान बहुत खुश होता है.. उसका खून बढ़ जाता है. हो सकता है कि इस बयान के आधार पर ही मणिशंकर अय्यर के घर पर हुई बैठक का न्यौता हामिद अंसारी को दिया गया हो.

हामिद अंसारी के बाद जनरल दीपक कपूर की बात करते हैं. जनरल दीपक कपूर UPA के समय ही भारत के सेना प्रमुख रहे हैं. वो 31 अगस्त 2009 से लेकर 31 मार्च 2010 तक आर्मी चीफ रहे. हैरानी इस बात की है जनरल दीपक कपूर 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध का अहम हिस्सा थे. लेकिन इसके बावजूद वो उस डिनर में शामिल हुए, जिसमें पाकिस्तान का एजेंडा चलाने वाले लोग शामिल थे. इस पूरे आयोजन के कर्ता धर्ता थे, मणिशंकर अय्यर. हमें लगता है कि आपको ये बताने की ज़रूरत नहीं है कि मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान के कितने बड़े भक्त हैं. DNA में हम उनकी पाकिस्तान भक्ति का विश्लेषण कई बार कर चुके हैं. इसलिए उनके बारे में ज्यादा बताने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन उनका वो शर्मनाक बयान आज आपको एक बार फिर से सुनना चाहिए, जिससे पाकिस्तान के प्रति उनका प्रेम पूरी तरह Expose हो गया था.. 

इस मीटिंग के अगले ही दिन मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए.. नीच जैसे अभद्र शब्द का प्रयोग किया था. और वो बयान ही उनके निलंबन की वजह बना. प्रधानमंत्री मोदी का दावा है कि मणिशंकर अय्यर के घर पर हुई इस मीटिंग में गुजरात के चुनावों पर चर्चा हुई थी. जबकि इस मीटिंग में शामिल लोगों का कहना है कि बात सिर्फ भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर हुई थी. अब मीटिंग में क्या हुआ... ये तो हम नहीं कह सकते. लेकिन इस मीटिंग शामिल लोगों के विचार और राजनीतिक DNA को देखने के बाद.. आप खुद ये सोचिए कि मणिशंकर अय्यर के घर पर हुई इस मीटिंग में क्या चर्चाएं हुई होंगी ?

इसे आप भारत के लोकतंत्र की खूबी भी कह सकते हैं और कमज़ोरी भी कह सकते हैं.. कि पाकिस्तान का पूर्व विदेश मंत्री भारत में आकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री के साथ डिनर करते हुए अपना एजेंडा चला सकता है और भारत विरोधी चर्चाएं कर सकता है. लेकिन क्या ये सब पाकिस्तान में संभव है? अगर ये सब पाकिस्तान में हुआ होता.. और वहां के लोगों ने अपने देश के विरोध का एजेंडा चलाया होता... तो वो देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हो चुके होते. 

दुख की बात ये है कि कसूरी जैसे लोगों को भारत में हर बार कोई ना कोई मेज़बान मिल जाता है . पिछली बार सुधींद्र कुलकर्णी मिल गये थे, जिन्होंने अपने मुँह पर कालिख पुतवा ली थी. और इस बार उन्हें मणिशंकर अय्यर मिल गये. कायदे से इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को शामिल नहीं होना चाहिए था. वो दो बार भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. उनके दौर में भी पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद लगातार जारी था. 2008 में जब मुंबई पर हमला हुआ था, तब मनमोहन सिंह ही भारत के प्रधानमंत्री थे. ऐसे में अगर वो चाहते तो इस बैठक में शामिल होने से बच सकते थे. और अगर मनमोहन सिंह का कसूरी से मिलने का इतना ही ज़्यादा मन था... तो उन्हें ये Dinner खुद Host करना चाहिए था, और बाक़ी सबको अपने घर बुलाना चाहिए था.. क्योंकि वो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हैं.

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