ZEE जानकारीः 7 दिसंबर को मनाया जाता है 'आर्म्ड फोर्सेस फ्लैग डे'
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ZEE जानकारीः 7 दिसंबर को मनाया जाता है 'आर्म्ड फोर्सेस फ्लैग डे'

ये सिलसिला वर्ष 1949 से यानी पिछले 69 वर्षों से लगातार चला आ रहा है. आप ये भी कह सकते हैं, कि 7 दिसंबर का दिन भारतीय सेना और भारत के जवानों को समर्पित है. 

ZEE जानकारीः 7 दिसंबर को मनाया जाता है 'आर्म्ड फोर्सेस फ्लैग डे'

अब हम 'कल' की बात करेंगे. हमारा मतलब बीते हुए 'कल' से नहीं है. बल्कि आने वाले 'कल' यानी '7 दिसम्बर' से है. हर वर्ष 7 दिसम्बर को, देश के वीर जवानों के सम्मान में, Armed Forces Flag Day मनाया जाता है. ये सिलसिला वर्ष 1949 से यानी पिछले 69 वर्षों से लगातार चला आ रहा है. आप ये भी कह सकते हैं, कि 7 दिसंबर का दिन भारतीय सेना और भारत के जवानों को समर्पित है. वैसे तो हमें हर रोज़ ही सेना के जवानों को शुक्रिया कहना चाहिए. लेकिन ये पूरा हफ्ता बहुत खास है. क्योंकि, पिछले वर्ष एक अनोखी पहल की गई. और ये फैसला लिया गया, कि हर साल 1 दिसम्बर से 7 दिसम्बर तक यानी पूरे एक हफ्ते तक Armed Forces Flag Week, मनाया जाएगा. पिछले साल की ही तरह इस बार भी 1 दिसम्बर 2018 को Armed Forces Flag Week की शुरुआत हुई थी. लेकिन 5 दिन पहले इसी दिन कुछ ऐसा हुआ, जिसने भारतीय सेना के मनोबल को तोड़ने का काम किया था. 

Armed Forces Flag Week के पहले दिन यानी 1 दिसम्बर को कांग्रेस पार्टी के नेता, नवजोत सिंह सिद्धू ने राजस्थान के अलवर ज़िले में एक चुनावी रैली की थी. और उन्हीं की सभा में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए गये थे. इसलिए आज ये समझना ज़रुरी है, कि जब देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की रैली में 'पाकिस्तान ज़िन्दाबाद' के नारे लगते हैं, तो ना सिर्फ देश विरोधी ताकतों को इससे फायदा पहुंचता है. बल्कि देश के भीतर रहकर झूठ का एजेंडा चलाने वाली ताकतें भी इसे हाथों हाथ लेती हैं. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है. इस विश्लेषण के केंद्रबिन्दु में तीन अहम घटनाएं हैं. 

पहली घटना ये है, कि आज कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर और जम्मू में पाकिस्तान ने Cease Fire का उल्लंघन किया है. पाकिस्तान की तरफ से हुई गोलाबारी में भारत के दो जवानों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी है. दूसरी ख़बर ये है, कि पाकिस्तान की Inter Services Public Relations के DG, मेजर जनरल आसिफ गफूर ने आज एक Press Conference की है. और Cease Fire के उल्लंघन का सारा दोष भारत पर थोप दिया है. ISPR के DG यहीं पर नहीं रुके. और उन्होंने भारत से धमकी भरे अंदाज़ में कहा, कि पहले अपना घर संभालो. पाकिस्तान की तरफ ऊंगली बाद में उठाना.

पाकिस्तान की सेना के आधिकारिक प्रवक्ता की ये भाषा यहीं पर नहीं रुकी. उन्होंने अपनी Press Conference में बाबरी मस्ज़िद गिराए जाने से लेकर गुजरात दंगों तक का ज़िक्र कर दिया. आप इसे कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं के लिए 'पाकिस्तान ज़िन्दाबाद' वाली नारेबाज़ी का Return Gift भी कह सकते हैं. पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता का ये बयान आप सबको ध्यान से सुनना चाहिए.

पाकिस्तान की सेना को ये सब बोलने का मौका किसी और ने नहीं.. बल्कि हमारे ही देश के कुछ नेताओं और बुद्धिजीवियों ने दिया है. पाकिस्तान की इस भाषा को राष्ट्रवाद और देशभक्ति जैसी भावनाओं से ही हराया जा सकता है. लेकिन हमारे देश में मौजूद कुछ लोगों को अब राष्ट्रवाद भी ज़हरीला लगने लगा है.

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