ZEE जानकारीः PAK के पूर्व क्रिकेटर शाहिद आफरीदी द्वारा कश्मीर को आज़ाद करने की कोशिश!
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ZEE जानकारीः PAK के पूर्व क्रिकेटर शाहिद आफरीदी द्वारा कश्मीर को आज़ाद करने की कोशिश!

शाहिद अफरीदी ऐसा दिखा रहे हैं कि वो कश्मीर के लोगों के बहुत बड़े हमदर्द हैं. आज उनके पास एक अच्छा मौका है. 

ZEE जानकारीः PAK के पूर्व क्रिकेटर शाहिद आफरीदी द्वारा कश्मीर को आज़ाद करने की कोशिश!

क्या कश्मीर की समस्या का इलाज.. सिर्फ डायलॉग मारकर किया जा सकता है? लेकिन पाकिस्तान के Retired क्रिकेटर शाहिद आफरीदी डायलॉग मारकर.. कश्मीर को आज़ाद करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि इस दौरान उनके मुंह से अपने ही देश पाकिस्तान की कड़वी सच्चाई सामने आ गई. सबसे पहले आप शाहिद अफरीदी का ये बयान सुनिए, जो उन्होंने ब्रिटेन की संसद में कुछ छात्रों से बातचीत के दौरान दिया . 

इस बयान का एक महत्वपूर्ण Point ये है.. कि पाकिस्तान को कश्मीर से अपना दावा छोड़ देना चाहिए क्योंकि उससे अपना देश ही नहीं संभल रहा, तो वो कश्मीर को कैसे संभालेगा . और दूसरा Point ये है कि कश्मीर भारत को भी नहीं मिलना चाहिए,.. वहां के लोगों को आज़ादी दे देनी चाहिए.

हम शाहिद आफरीदी की 50 Percent बात से सहमत हैं. - पाकिस्तान को कश्मीर पर अपना दावा छोड़ देना चाहिए और POK को तत्काल प्रभाव से खाली कर देना चाहिए. लेकिन शाहिद आफरीदी भारत के संदर्भ में जो कह रहे हैं वो बकवास है. क्योंकि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. और किसी भी दृष्टि से इस राज्य को भारत से अलग करके नहीं देखा जा सकता. आज़ादी की जिस वैचारिक आग में शाहिद आफरीदी ने पेट्रोल छिड़कने की कोशिश की है.. उस आज़ादी का कोई अस्तित्व ही नहीं है.

शाहिद अफरीदी ऐसा दिखा रहे हैं कि वो कश्मीर के लोगों के बहुत बड़े हमदर्द हैं. आज उनके पास एक अच्छा मौका है. अगर वाकई वो कश्मीरियों के हमदर्द हैं, तो उन्हें अपने देश की सरकार और सेना को कश्मीर में आतंकवाद फैलाने से रोकना चाहिए. और अभी तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान हैं, जो खुद पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके हैं. इस नाते वो शाहिद अफरीदी के सीनियर भी हैं. शाहिद अफरीदी चाहें तो इमरान ख़ान से बातचीत करके उन्हें कश्मीर पर अपना दावा छोड़ने के लिए राज़ी कर सकते हैं. 

वैसे ये बातें सुनने में बहुत अच्छी लगती हैं. लेकिन असल में ऐसा होता नहीं है. क्योंकि कश्मीर के बिना पाकिस्तान में सेना और राजनीति की कल्पना नहीं हो सकती. पाकिस्तान में सरकार चलाने के लिए कश्मीर एक बहुत बड़ा मुद्दा है. क्योंकि कश्मीर की वजह से ही भारत के खिलाफ नफरत के बीज बोए जाते हैं, और फिर इन नफरत के बीजों से पाकिस्तान की सरकारें.. वोटों की फसल काटती हैं. और यही हाल वहां की फौज का भी है. पाकिस्तान की फौज के पास भी अगर कश्मीर का मुद्दा न हो, तो उसके अफसर और सैनिक बेरोज़गार हो जाएंगे. क्योंकि आतंकवादियों को ट्रेनिंग तो खुद पाकिस्तानी फौज देती है. इसलिए शाहिद अफरीदी की बातों का कोई मतलब नहीं है. 

हालांकि Twitter पर शाहिद अफरीदी ने सफाई भी दी है. उनकी ये सफाई उस बयान पर है जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को कश्मीर पर अपना दावा छोड़ देना चाहिए. अगर वो ये सफाई ना देते तो शायद उनका पाकिस्तान वापस लौटना मुश्किल हो जाता

शाहिद अफरीदी का कहना है कि उनके इस बयान को भारतीय मीडिया ने गलत तरीके से पेश किया. उन्होंने लिखा है कि उनके अंदर अपने देश के प्रति जूनुन है और वो कश्मीरियों के संघर्ष की कद्र करते हैं. मानवता खत्म नहीं होनी चाहिए और कश्मीरियों को उनके अधिकार मिलने चाहिए

वैसे यहां हमें एक बात के लिए शाहिद अफरीदी की तारीफ भी करनी होगी.. कि उन्होंने कश्मीर या अपने देश के किसी मुद्दे के बारे में कोई राय तो रखी. पाकिस्तान का हर नागरिक चाहे वो एक्टर हो या खिलाड़ी हो.. उसने सारी ज़िम्मेदारी सिर्फ नेताओं पर ही नहीं छोड़ी हुई.. वो अपने देश के हित से जुड़े हुए मुद्दों पर हमेशा देश का साथ देते हैं. अब आप शाहिद अफरीदी की जगह पर भारत के किसी क्रिकेटर या खिलाड़ी को रखकर देखिए. क्या आप किसी भारतीय क्रिकेटर से अपने देश से जुड़े किसी मुद्दे पर ऐसी राय की कल्पना कर सकते हैं? इसका जवाब है - नहीं. 

अगर कोई पत्रकार, भारतीय क्रिकेटर्स से ऐसे सवाल पूछता है, तो उनका जवाब होता है कि वो क्रिकेटर हैं, ऐसे मामलों के एक्सपर्ट नहीं. 
ऐसा एक नहीं कई बार हुआ है. पिछले वर्ष मई में जब भारतीय टीम चैंपियंस ट्रॉफी खेलने के लिए इंग्लैंड जा रही थी, तो ज़ी न्यूज़ के संवाददाता ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली से एक सवाल पूछा था. और सवाल ये था कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पूर्ण हालात के बावजूद भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच होना चाहिए ? आप सुनिए कि तब विराट कोहली ने क्या जवाब दिया था? 

उन दिनों जम्मू कश्मीर में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष चल रहा था. और पाकिस्तान की तरफ से भेजे गए आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में भारतीय जवान शहीद हो रहे थे. इसलिए ज़ी न्यूज़ ने ही सबसे पहले ये मांग की थी कि भारतीय टीम को चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान के साथ मैच नहीं खेलना चाहिए. लेकिन BCCI ने मैच रद्द नहीं किया. भारत और पाकिस्तान के बीच चैंपियंस ट्रॉफी में मैच हुआ, लेकिन बहुत से लोगों ने इस मैच का बहिष्कार किया था. मैच के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली की Press Conference में एक विदेशी पत्रकार ने विराट कोहली से ये सवाल पूछा था कि कई लोगों ने इस मैच का बहिष्कार किया, ऐसे में उन्हें क्या लगता है? तब विराट कोहली ने क्या जवाब दिया था... आपको ये भी सुनना चाहिए. 

ऐसे सवालों पर विराट कोहली जैसे भारतीय खिलाड़ी यही कहते हैं कि उनकी राय से देश को कोई फर्क नहीं पड़ता. ये तर्क भी दिए जाते हैं कि खिलाड़ी और कलाकार राजनीति या कूटनीति से ऊपर होते हैं. लेकिन जो लोग ऐसा कहते हैं, उन्हें हमारी यही सलाह है कि कोई भी व्यक्ति खिलाड़ी या कलाकार होने से पहले अपने देश का नागरिक होता है. कोई भी व्यक्ति, खिलाड़ी या अभिनेता बाद में है, पहले वो भारत का नागरिक है. भारत के किसी भी खिलाड़ी या कलाकार ने आज तक जो भी नाम, पैसा या शोहरत कमाई है, वो आपकी यानी भारत के लोगों की वजह से कमाई है. हम और आप जब इनका उत्साह बढ़ाते हैं तभी इन्हें पैसा मिलता है. 

हमारे देश में ये तर्क बहुत प्रचलित है कि खिलाड़ी, अभिनेता और कला संस्कृति से जुड़े लोगों को सैन्य कार्रवाई.... आतंकवाद और कूटनीति से अलग रखना चाहिए. अक्सर इसी तर्क की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच नकली शांति और नकली सौहार्द की मार्केटिंग की जाती है और इससे कुछ लोगों को पैसा कमाने का मौका मिल जाता है. यानी एक झूठ की आड़ में पैसा कमाया जाता है. और ये बात फैलाई जाती है कि दोनों देशों के संबंध मधुर हो रहे हैं... जबकि असलियत में ऐसा नहीं है.. क्योंकि आतंकवाद में कोई कमी नहीं आती... सीमा पार से होने वाली घुसपैठ और हमलों में कोई कमी नहीं आती. 

दूसरी तरफ पाकिस्तानी क्रिकेटर, एक्टर या Celebrities ऐसे मामलों में हमेशा अपने देश के साथ खड़े होते हैं. अब ये तस्वीरें देखिए जो वर्ष 2016 में पाकिस्तान में हुए एक Award Show की हैं. यहां फैसल कुरैशी नामक एक पाकिस्तानी एक्टर को बेस्ट एक्टर का Award मिला था. लेकिन जैसे ही ये अभिनेता अवार्ड लेने के लिए स्टेज पर पहुंचा, इसने अपना अवार्ड उन कश्मीरियों के नाम कर दिया जो कश्मीर को अलगाववाद की आग में झोंक रहे हैं. आप ज़रा इस वीडियो को देखिए.. और फिर भारत और पाकिस्तान के सेलिब्रिटीज़ के बीच तुलना कीजिए.

हो सकता है कि फैसल कुरैशी की इस हरकत पर आपको गुस्सा आ रहा हो, लेकिन हमें लगता है कि फैसल कुरैशी की तारीफ इस मायने में करनी होगी कि वो कम से कम अपने देश के साथ खड़े हैं. फैसल कुरैशी पाकिस्तानी हैं, और पाकिस्तान, कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद की आग लगा रहा है. 

हमारे देश में ये कह दिया जाता है कि खिलाड़ी और अभिनेता राजनीति या कूटनीति से ऊपर होते हैं. उन्हें कश्मीर या भारत और पाकिस्तान के संबंधों से क्या मतलब? लेकिन पाकिस्तान में ऐसा नहीं होता. वहां के सेलिब्रिटी.. ऐन मौके पर खुद को देश के हितों और नीतियों से अलग करके नहीं देखते. 

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