Zee जानकारी: भगत सिंह आज अगर ज़िंदा होते तो वो बेहद दुखी होते क्योंकि...
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Zee जानकारी: भगत सिंह आज अगर ज़िंदा होते तो वो बेहद दुखी होते क्योंकि...

Zee जानकारी: भगत सिंह आज अगर ज़िंदा होते तो वो बेहद दुखी होते क्योंकि...

23 साल की उम्र... ज़िंदगी का वो पड़ाव होता है जब लोग सिर्फ.. अपने बारे में सोचते हैं और सिर्फ अपने भविष्य की चिंता करते हैं. लेकिन भगत सिंह 23 वर्ष की उम्र में इसलिए फांसी पर चढ़ गए क्योंकि उन्हें हमारे देश के भविष्य की चिंता थी. और यही बात उन्हें सबसे अलग बनाती है.

आज भगत सिंह का जन्मदिन है... भगत सिंह के जन्म की तारीख को लेकर इतिहासकारों में विवाद है . कई किताबों में उनकी जन्मतिथि को 27 सितंबर 1907 बताया जाता है और बहुत से एक्सपर्ट, 28 सितंबर 1907 को उनकी जन्मतिथि मानते हैं . लेकिन भगत सिंह की शख्सियत के सामने ये विवाद मायने नहीं रखता. इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि उनका जन्म किस तारीख को हुआ ? महत्वपूर्ण बात ये है उन्होंने इतनी कम उम्र में देश के लिए कितना बड़ा बलिदान दिया? यही वजह है कि भगत सिंह के जन्म से ज़्यादा उनकी शहादत की चर्चा होती है. 

23 मार्च 1931 को भगत सिंह शहीद हो गए थे. इस ऐतिहासिक घटना ने पूरे भारत को क्रांति वाली बिजली के ऐसे झटके दिए थे कि पूरा हिंदुस्तान एक साथ खड़ा हो गया. भगत सिंह की शहादत की वजह से अंग्रेज़ों पर दबाव बहुत बढ़ गया था. भगत सिंह चाहते तो अंग्रेज़ी हुकूमत के सामने झुक सकते थे और एक आरामदायक ज़िंदगी जी सकते थे, जो कि आज का हर युवा चाहता है. लेकिन उन्होंने बलिदान का रास्ता चुना . आज के दौर में किसी 23 वर्ष के युवा से आप ऐसी कुर्बानी की उम्मीद नहीं कर सकते. 

आजकल इस उम्र के युवाओं को इस बात की फिक्र होती है कि सोशल मीडिया पर उन्हें कितने Likes और Retweets मिले
इस हफ़्ते उनके Followers की संख्या कितनी बढ़ी

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यानी हमारे देश के युवा.. पार्टी करना चाहते हैं . मौजमस्ती करना चाहते हैं..महंगे मोबाइल फोन लेना चाहते हैं.. . और महंगी गाड़ियों में घूमना चाहते हैं. उन्हें Free के Data और Happy Hours में दिलचस्पी है.. और ये सब कुछ वो बिना परिश्रम किए हासिल करना चाहते हैं. ज़ाहिर है इन युवाओं की List में देश कहीं नहीं होता... और उन्हें देश के लिए बलिदान देने में कोई दिलचस्पी भी नहीं होती. 

लेकिन भगत सिंह ने सिर्फ 23 साल की उम्र में.. शहीद होकर पूरे देश में क्रांति की मशाल जला दी थी. 
अक्सर हमारे देश में ये कहा जाता है कि भगत सिंह अपने घर में नहीं.. पड़ोसी के घर में पैदा होने चाहिएं. क्योंकि कोई खुद इतना बड़ा बलिदान देने की कल्पना भी नहीं कर सकता. आज आपको ये सोचना चाहिए कि भगत सिंह की उस कुर्बानी के बदले आज आप उन्हें क्या दे सकते हैं ?

भगत सिंह ने देश की आज़ादी के लिए अपनी जान दी थी. लेकिन हमारे देश में कुछ ऐसे युवा भी हैं. जो विश्वविद्यालयों में भारत से आज़ादी के नारे लगाते हैं. और देश विरोधी एजेंडे को हवा देते हैं. अगर आज भगत सिंह ज़िंदा होते.. तो वो बहुत दुखी होते.. और उन्हें एक क्रांति ऐसे युवाओं के खिलाफ भी करनी पड़ती. आज़ादी से पहले तो देश के दुश्मन.. बाहर के लोग थे.. लेकिन आज दुश्मन, हमारे देश के अंदर मौजूद है

आज भगत सिंह के जन्मदिन के मौके पर हम उनके जीवन के आखिरी दिन यानी.... 23 मार्च 1931 की एक घटना का ज़िक्र करना चाहते हैं. ये वो तारीख थी जब शहीद भगत सिंह.. सुखदेव और राजगुरू को फांसी दी गई. फांसी से 2 घंटे पहले यानी शाम के करीब साढ़े पांच बजे, लाहौर जेल में भगत सिंह के वकील को उनसे मिलने की इजाज़त मिल गई. वकील ने भगत सिंह से पूछा कि आज तुम कैसे हो ? भगत सिंह ने कहा- हमेशा की तरह खुश हूं. वकील ने फिर पूछा कि तुम्हें किस चीज़ की इच्छा है . इसके जवाब में भगत सिंह ने कहा कि मैं इस देश में दोबारा पैदा होना चाहता हूं.
ज़रा सोचिए - सिर्फ 23 वर्ष की उम्र में... ऐसे ऊंचे आदर्श और विचार आज कहां देखने को मिलते हैं?

ऐसे महानायक सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं. लेकिन उनका संघर्ष, उनके विचार, उनका अमर बलिदान हमेशा ज़िंदा रहता है.  आज हम उस चिट्ठी का ज़िक्र भी करना चाहते हैं जो शहीद भगत सिंह ने जेल के अंदर से.. देश को संबोधित करते हुए लिखी थी. हो सकता है, कि बहुत सारे युवाओं को भगत सिंह के विचार जानने का मौका ही ना मिला हो. इस चिट्ठी में भगत सिंह ने जो लिखा था, वो देश के हर युवा को ध्यान से देखना और सुनना चाहिए.  आप इस चिठ्ठी को ये मानकर भी पढ़ सकते हैं.. जैसे ये चिठ्ठी भगत सिंह ने आपके लिए ही लिखी थी. भगत सिंह के जीवन के बारे में ऐसी बहुत सी बातें होंगी जो शायद आप नहीं जानते होंगे इसीलिए आज हमने आपके लिए एक वीडियो विश्लेषण तैयार किया है ताकि आप भगत सिंह के शौर्य और उनके विचारों से प्रेरणा ले सकें. 

अपने तमाम सपनों की भीड़ में भगत सिंह ने देश की आज़ादी के सपने को सबसे ऊपर रखा और इस सपने के लिए वो अपनी जान देने से भी पीछे नहीं हटे. लेकिन आज अगर भगत सिंह ज़िन्दा होते, तो उन्हें देश के युवाओं की तस्वीर देखकर काफी तकलीफ पहुंचती. 

हमारे देश में 18 से 35 वर्ष की उम्र के 42 करोड़ लोग हैं. शहीद भगत सिंह के सपनों वाला भारत बनाने की राह में बेरोजगारी बड़ी समस्या है..सरकारी आंकड़ों के मुताबिक..देश में 31 दिसम्बर 2015 तक, 15 से 29 वर्ष के 2 करोड़ 86 लाख युवा ऐसे थे, जो काम करने के लायक होने के बावजूद बेरोज़गार थे.

शहीदे आजम भगत सिंह ने कहा था कि अशिक्षा मानवता की दुश्मन है..अभी हालात ये हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा अनपढ़ वयस्क..भारत में हैं...संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अनपढ़ वयस्कों की आबादी करीब 28 करोड़ 70 लाख है...

अलग-अलग Reports के मुताबिक क़रीब 7 करोड़ 32 लाख युवा शराब और ड्रग्स का सेवन करते हैं.

इनमें से ज़्यादातर युवाओं की उम्र सिर्फ 18 वर्ष है.

Postgraduate Institute of Medical Education and Research की रिपोर्ट कहती है, कि भारत में 16 से 25 वर्ष की उम्र के युवाओं में ड्रग्स लेने की प्रवृति बढ़ती जा रही है. भगत सिंह ने आज़ाद भारत में भ्रष्टाचार की कल्पना नहीं की होगी, लेकिन हकीकत में भारत आज पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार के मामले में 79वें स्थान पर है.

भारत का युवा देश की तरक्की में नहीं, महंगे-महंगे Gadgets के इस्तेमाल में व्यस्त है. 25 देशों के युवाओं पर किए गए एक Online Survey में ये बात भी सामने आई थी, कि भारत के 95 फीसदी युवा Gadgets को अपनी ज़िन्दगी का सबसे अहम हिस्सा मानते हैं. और ज़्यादातर युवा इन्हीं Gadgets की Virtual दुनिया में खोए रहते हैं. उनमें देश के लिए कुछ बड़ा करने की इच्छा नहीं होती. इसी सोच की वजह से आज के युवा समाज से कटे हुए हैं

आज के युवाओं में से बहुत से युवा नशे में डूब चुके हैं. वो दोस्तों के साथ पार्टी करना चाहते हैं. कम से कम मेहनत करके... ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाना चाहते हैं और हमेशा Shortcuts की तलाश में रहते है. आज का युवा Gym जाकर अपनी Body बनाना शान की बात समझता है. लेकिन जब सड़क पर किसी लड़की या महिला से छेड़छाड़ की घटना होती है, तो वो चुपचाप तमाशा देखता रहता है. क्योंकि वो Body देश की रक्षा के लिए नहीं मॉडलिंग के लिए बनाई जाती है . कई युवा ऐसे भी हैं, जो लड़कियों पर तेज़ाब फेंकने में अपनी बहादुरी समझते हैं. इन भटके हुए युवाओं में वो लोग भी शामिल हैं, जो देशविरोधी नारे लगाते हैं. और जबतक भारत इन समस्याओं की बेड़ियों से आज़ाद नहीं हो जाता..तब तक भारत को शहीद भगत सिंह के सपनों का भारत नहीं कहा जा सकता. शहीद भगत सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि तभी दी जा सकेगी, जब भारत का युवा अपनी सोच बदलेगा.

भगत सिंह आज अगर ज़िंदा होते तो वो बहुत दुखी होते.. क्योंकि हमारे देश में आजकल देशभक्ति और राष्ट्रवाद को एक गाली की तरह समझा जाता है. अगर आप किसी से ये कहें कि आप देशभक्त हैं या राष्ट्रवादी हैं... तो एजेंडा चलाने वाले कुछ लोग आपको तुरंत एक ख़ास विचारधारा से जोड़ देते हैं.. और आपको मुख्यधारा से काट देते हैं. भगत सिंह ने ये दौर देखा होता... तो उन्हें एक नई क्रांति की शुरुआत करनी पड़ती

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