Zee जानकारी : मीडिया की खबरों में भी मिलावट की घुसपैठ
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Zee जानकारी : मीडिया की खबरों में भी मिलावट की घुसपैठ

Zee जानकारी : मीडिया की खबरों में भी मिलावट की घुसपैठ

ज़ी न्यूज़ पर हम लगातार स्वच्छ मीडिया अभियान की बात करते रहे हैं क्योंकि देश की जनता का अधिकार है कि उसे बिना मिलावट के 100 फीसदी शुद्ध ख़बरें मिलें लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है क्योंकि मीडिया में अपने हितों की मिलावट करने वाले लोग घुसपैठ कर चुके हैं. ऐसे लोगों से हमने कल भी आपको सावधान किया था. और आज भी हम ऐसा ही करेंगे. लेकिन उससे पहले मैं आपको एक रिसर्च के नतीजे के बारे में फिर से याद दिलाना चाहता हूं.

- अमेरिका की Public Relations Company, Edelman ने इसी वर्ष जनवरी में दुनिया के अलग-अलग देशों में Media पर आधारित एक Survey किया था.

- Survey की रिपोर्ट को World Economic Forum में जारी किया गया था और इस Survey में भारत की मीडिया को Second Most Untrusted Institution In The World कहा गया था. यानी भारतीय मीडिया दुनिया का दूसरा ऐसा Institution है, जिसपर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता. 

- रिपोर्ट के मुताबिक, लोग Media पर इसलिए भरोसा नहीं करते, क्योंकि मीडिया पूर्वाग्रह से ग्रस्त रिपोर्टिंग करता है और TRP के लिए किसी भी ख़बर का अनैतिक इस्तेमाल करता हैं.

पिछले दो दशकों के दौरान भारतीय मीडिया के तौर-तरीके और चरित्र में भारी बदलाव आया है. और इस सच्चाई को काफी हद तक भुला दिया गया है, कि अखबार, न्यूज़ चैनल्स और बाज़ार में बिकने वाले साबुन में बुनियादी फर्क होता है. खबरों को साबुन की तरह आकर्षक विज्ञापन से Wrap करके बेचना... अनैतिक है. आज इस फर्क को समझाने के लिए एक घटना का ज़िक्र करना चाहता हूं, जिसके सच की हत्या करने में Media की बहुत बड़ी भूमिका थी.

आपको वर्ष 2014 की वो घटना याद होगी, जब रोहतक की दो बहनों का वीडियो Viral हो गया था. जिसमें उन्होंने कथित तौर पर छेड़खानी के विरोध में तीन लड़कों की पिटाई की थी..ये वीडियो पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था और दोनों लड़कियां..बहादुरी की मिसाल बन गईं थीं...उस वक्त Selective पत्रकारिता करने वाले डिज़ाइनर पत्रकारों ने आरोपी युवकों का Media Trial शुरु कर दिया था. और आरोप साबित होने से पहले ही उन्हें दोषी बता दिया था. 

लेकिन हरियाणा रोडवेज़ की चलती बस में दो बहनों से कथित छेड़छाड़ के मामले में स्थानीय कोर्ट ने तीनों आरोपी लड़कों को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है. इस पूरे मामले में 40 गवाहों ने तीन युवकों के पक्ष में गवाही दी. लेकिन दुख की बात ये है, कि वर्ष 2014 में उन दोनों लड़कियों को बहादुरी की मिसाल बताने वाला Media, आज खामोश हो गया है. कोई उन तीनों युवकों के दर्द और मजबूरियों की बात नहीं कर रहा. 

हालांकि ज़ी न्यूज़ ने तब भी इस मामले की सच्ची रिपोर्टिंग की थी.. और आज भी हम इस मामले में सच्ची रिपोर्टिंग ही करेंगे. आज हम उन तीन युवकों की तकलीफ देश को दिखाना चाहते हैं, जिनका जीवन Media Trial की वजह से तबाह हो गया.

आजकल सोशल मीडिया का ज़माना है.. सबके पास स्मार्ट फोन हैं.. लोग झूठे-सच्चे वीडियो बनाते हैं और उन्हें सोशल मीडिया पर Viral करते हैं.. लेकिन सच के मुकाबले झूठ ज़्यादा तेज़ी से Viral होता है... सच्ची और Positive बातें दब जाती हैं और झूठी और Negative बातें Viral हो जाती है. 

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