Zee जानकारी : राजनीतिक सहूलियत का फायदा उठाकर कांग्रेस में शामिल हुए भाजपा के पूर्व सांसद सिद्धू
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Zee जानकारी : राजनीतिक सहूलियत का फायदा उठाकर कांग्रेस में शामिल हुए भाजपा के पूर्व सांसद सिद्धू

हमारे देश में क्रिकेट धर्म की तरह है। लेकिन आपने कभी ऐसा नहीं देखा होगा कि कोई नाराज़ खिलाड़ी अपने देश को छोड़कर किसी दूसरे देश की टीम की तरफ से क्रिकेट खेलने लग जाए। लेकिन राजनीति में ऐसा नहीं होता। राजनीति अपने खिलाड़ियों यानी नेताओं को टीम बदलने की पूरी सहूलियत देती है। और आज इसी सहूलियत का फायदा उठाकर बीजेपी के पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो गये। इस मौके पर जो प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, उसमें सिद्धू फुल फॉर्म में थे उन्हें अपनी कमेंट्री में भाजपा को श्री राम की सौतेली मां, कैकेयी जैसा बताया।

Zee जानकारी : राजनीतिक सहूलियत का फायदा उठाकर कांग्रेस में शामिल हुए भाजपा के पूर्व सांसद सिद्धू

नई दिल्ली : हमारे देश में क्रिकेट धर्म की तरह है। लेकिन आपने कभी ऐसा नहीं देखा होगा कि कोई नाराज़ खिलाड़ी अपने देश को छोड़कर किसी दूसरे देश की टीम की तरफ से क्रिकेट खेलने लग जाए। लेकिन राजनीति में ऐसा नहीं होता। राजनीति अपने खिलाड़ियों यानी नेताओं को टीम बदलने की पूरी सहूलियत देती है। और आज इसी सहूलियत का फायदा उठाकर बीजेपी के पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो गये। इस मौके पर जो प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, उसमें सिद्धू फुल फॉर्म में थे उन्हें अपनी कमेंट्री में भाजपा को श्री राम की सौतेली मां, कैकेयी जैसा बताया।

12 वर्षों तक भाजपा में रहने वाले सिद्धू ने कहा कि वो पैदाइशी रूप से कांग्रेसी हैं। हालांकि उनके विरोधी अब ये पूछ रहे हैं कि कल तक कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बुरा-भला कहने वाले सिद्धू ने ऐसा यू-टर्न क्यों मारा? हमने आज नवजोत सिंह सिद्धू के नये और पुराने बयानों के आधार पर एक वीडियो विश्लेषण तैयार किया है, जिसे हम आपको आगे दिखाएंगे, लेकिन उससे पहले आपको नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीति को समझने की ज़रूरत है। 

-नवजोत सिंह सिद्धू ने वर्ष 1983 लेकर 1999 तक यानी करीब 15 वर्षों तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेला और फिर 2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये।
-2004 में वो अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव जीते। 
-2006 में जब रोड रेज की एक पुरानी घटना में सिद्धू के खिलाफ अदालत का फैसला आया, तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 
-2007 में उन्होंने फिर अमृतसर सीट से उप-चुनाव लड़ा और दोबारा जीतकर लोकसभा पहुंच गए।
-2009 के लोकसभा चुनावों में एक बार फिर अमृतसर से ही चुनाव जीते। 
-लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने सिद्धू को अमृतसर से टिकट नहीं दिया। उनकी जगह अमृतसर से अरुण जेटली ने चुनाव लड़ा और हार गए। 
-भाजपा ने सिद्धू से किसी भी दूसरी सीट से चुनाव लड़ने को कहा था, लेकिन सिद्धू नहीं माने। 
-यहीं से भाजपा और सिद्धू के रिश्तों में खटास आनी शुरू हो गई।
-भाजपा ने पिछले वर्ष अप्रैल में सिद्धू को राज्यसभा भी भेज दिया। लेकिन सिद्धू ने इसके तीन महीनों के बाद राज्यसभा और भाजपा से इस्तीफा दे दिया। 

इसके बाद ये कयास लगाए जाने लगे कि सिद्धू कहां जाएंगे। पहले ये बात सामने आई कि वो आम आदमी पार्टी में जाएंगे लेकिन वहां उनकी बात नहीं बन पाई। क्योंकि वो अपने लिए कोई बड़ी भूमिका चाहते थे। फिर सिद्धू ने हॉकी खिलाड़ी से राजनेता बने परगट सिंह और पंजाब के कुछ और नेताओं के साथ मिलकर आवाज़-ए-पंजाब के नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई। लेकिन यहां भी बात नहीं बनी और सिद्धू सोमवार को औपचारिक तौर पर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।  

नवजोत सिंह सिद्धू जब कांग्रेस के मंच से अपनी बात रख रहे थे, तो ऐसा लग रहा था कि जैसे वो कभी भाजपा में थे ही नहीं। नवजोत सिंह सिद्धू क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान हमारे साथ भी एक शो कर चुके हैं लेकिन हमारे साथ काम करने का मतलब ये नहीं है कि आज वो DNA टेस्ट से बच जाएंगे। 

इस ख़बर में विश्वसनीयता के पैमानों की बात करें तो पहला पैमाना ये है कि हमारा रिपोर्टर मौके पर मौजूद है या नहीं। इस ख़बर में मौके पर हमारा रिपोर्टर मौजूद था। दूसरा पैमाना है ख़बर की कसौटी यानी ख़बर सत्यापित है या नहीं तो ये ख़बर पूरी तरह से सत्यापित है। तीसरा पैमाना है एक्सपर्ट की राय। इस ख़बर में एक्सपर्ट की राय नहीं ली गई है क्योंकि सिद्धू खुद ही सैकड़ों एक्सपर्ट्स पर भारी पड़ते हैं। और चौथा पैमाना ये है कि इस ख़बर में तकनीकी विश्वसनीयता है या नहीं। यानी इस ख़बर में दिखाए गये वीडियो पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं। इस ख़बर में जो तस्वीरें आप देखेंगे वो Zee News और न्यूज एजेंसीज के कैमरों से रिकॉर्ड की गई हैं। इसलिए आप इस पर भरोसा कर सकते हैं।

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