Zee जानकारी : जब नेताजी ने दिया The Great Escape को अंजाम
Advertisement

Zee जानकारी : जब नेताजी ने दिया The Great Escape को अंजाम

Zee जानकारी : जब नेताजी ने दिया The Great Escape को अंजाम

ये एक ऐसी ख़बर है, जो आपने आज दिनभर कहीं नहीं देखी होगी। क्या आप जानते हैं, कि आज से 76 वर्ष पहले भारत के इतिहास में ‘The Great Escape’ नामक एक ऐसी घटना हुई थी, जिसने अंग्रेज़ों को बहुत परेशान कर दिया था.. और इस घटना के नायक थे.. नेताजी सुभाष चंद्र बोस... आज इस विश्लेषण का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है, क्योंकि जिस कार से नेताजी ने 76 वर्ष पहले ‘The Great Escape’ को अंजाम दिया था, आज वो कार एक बार फिर कोलकाता की सड़कों पर दिखाई दी है। आपको दिल थामकर ये रोमांचक और ज्ञानवर्धक DNA Test देखना चाहिए

आज की तारीख में हर हिन्दुस्तानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की नेतृत्व क्षमता और आज़ादी के संघर्ष में उनकी Out Of The Box Thinking से अच्छी तरह परिचित है। लेकिन आपको शायद इस बात की जानकारी नहीं होगी, कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कूटनीतिक चालें चलने में.. और ज़रूरत के मुताबिक कूटनीतिक षडयंत्र रचने में महारत हासिल थी

आपको इस बात की भी जानकारी नहीं होगी, कि नेताजी ने कई बार वेश बदलने की कला का इस्तेमाल, अंग्रेज़ों को चकमा देने के लिए किया था। 16 जनवरी 1941 को देर रात क़रीब 1 बजकर 35 मिनट पर एक ऐसा ही वाकया हुआ था, जिसे ‘The  Great Escape’ कहते हैं। जो 18 जनवरी 1941 को धनबाद के गोमो जंक्शन नामक रेलवे स्टेशन पर जाकर ख़त्म हुआ था। इस स्टेशन को आज की तारीख में नेताजी सुभाष चंद्र बोस गोमो रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता है। इस ख़बर की पृष्ठभूमि समझने के लिए अब मैं आपको 76 साल पहले इतिहास के पन्नों में लेकर चलूंगा। इसलिए मेरी एक-एक बात को ध्यान से सुनिएगा।

- भारत की आज़ादी के संघर्ष के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अंग्रेज़ों ने, जुलाई 1940 में कोलकाता की जेल में बंद कर दिया था।

- नेताजी को 26 जनवरी 1941 को ब्रिटिश कोर्ट के सामने पेश होना था।

- उस दौरान अंग्रेज़ों की गुलामी से आज़ादी के लिए नेताजी जर्मनी की मदद चाहते थे। लेकिन कोलकाता की जेल में रहकर ऐसा करना संभव नहीं था।

- फिर नेताजी ने एक तरीका ढूंढा। उन्होंने जेल में आमरण अनशन शुरू कर दिया।

- उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और मजबूरी में ब्रिटिश सरकार को उन्हें रिहा करना पड़ा।

- 5 दिसम्बर 1940 को अंग्रेज़ों ने नेताजी को उन्हीं के घर में नज़रबंद कर दिया। 

- उस वक्त नेताजी के घर की निगरानी Bengal CID को सौंप दी गई थी> 

- नेताजी पर नज़र रखने के लिए अंग्रेज़ों ने उनके घर पर अपने Agents भेज दिए थे। यहां तक कि अंग्रेज़ों ने नेताजी के रिश्तेदारों से भी उनके बारे में जानकारियां इकट्ठा की थीं>

- घर में नज़रबंद नेताजी ने दाढ़ी रखनी शुरू कर दी, और बड़ी ही चालाकी से अपने Forward Block Party Leader मियां अकबर शाह को Telegram भेजा>

- मियां अकबर शाह उस वक्त North West Frontier Province में थे, जो आज की तारीख में पाकिस्तान में है।

नेताजी ने मियां अकबर शाह को जो संदेश भेजा था, उसमें लिखा था, Reach Calcutta.... नेताजी के बुलावे पर मियां अकबर शाह पेशावर से कोलकाता पहुंच गये.. और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ मिलकर उन्होंने कोलकाता से काबुल भागने का प्लान बनाया। इस प्लान को अंजाम देने के लिए नेताजी ने अपने भतीजे शिशिर से बात की.. और एक कार के ज़रिए.. धनबाद तक पहुंचने का प्लान बनाया गया। उस वक्त शिशिर की उम्र 20 साल थी और उसने कलकत्ता के बाहर गाड़ी नहीं चलाई थी। लेकिन नेताजी ने शिशिर पर यकीन किया.. और अंग्रेज़ों की नज़रों से बचकर किसी तरह धनबाद पहुंचे>

नेताजी ने काली शेरवानी पहनकर एक मुस्लिम Insurance Agent का वेश बनाया था.. और अपना नाम ज़ियाउद्दीन रख लिया था। कोलकाता में अपने घर से काबुल तक पहुंचने के इस Plan को ‘The Great Escape’ कहा जाता है। इस योजना ने अंग्रेज़ों के दिमाग की बत्ती बुझा दी थी। इस ऐतिहासिक घटना और इसमें नेताजी द्वारा इस्तेमाल की गई कार के दर्शन करने के लिए आज आपको हमारी स्पेशल रिपोर्ट देखनी चाहिए। जिसमें पुरानी तस्वीरों के साथ-साथ, नेताजी के भतीजे शिशिर का ‘The Great Escape’ वाला कबूलनामा भी मौजूद है। 

वैसे नेताजी की चतुराई और चालाक सोच ने अंग्रेज़ों को एक बार नहीं, बल्कि कई बार Confuse किया। वर्ष 1941 में जब नेताजी अपने घर में नज़रबंद थे, उस वक्त घर से बाहर निकलने के लिए उन्होंने पठान के वेश का इस्तेमाल किया। 26 जनवरी 1941 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने Russia के सफर की शुरूआत की। हालांकि, उन्हें अफगानिस्तान की सीमा से सटे Northwest Frontier province होते हुए जाना था, जो उस वक्त अंग्रेज़ों के कब्ज़े में था। इसलिए उन्हें चतुराई दिखानी थी, क्योंकि उस इलाके में पश्तुन भाषा में बात करने वाले लोग काफी ज़्यादा थे, जो अंग्रेज़ों के लिए काम कर रहे थे।

नेताजी ने अंग्रेज़ों की आंख में धूल झोंकने के लिए Deaf and Dumb Maulvi के किरदार को अपना हथियार बनाया। उन्होंने ऐसा दिखाने की कोशिश की, वो ना तो कुछ सुन सकते हैं और ना ही कुछ समझ सकते हैं। ऐसा इसलिए हुआ ताकि उन्हें किसी से बातचीत ना करनी पड़े। फिर उन्होंने अपना वेश बदला और Italian Passport पर Moscow तक का सफर तय किया। इसके लिए नेताजी ने जो नाम चुना था, वो था Orlando Mazzotta...यानी अगर इतिहास में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को Master of Disguise कहा जाता है..तो इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए।

Trending news