Zee जानकारी: इटालियन मरीन पर यूएन की अदालत के फैसले का विश्लेषण
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Zee जानकारी: इटालियन मरीन पर यूएन की अदालत के फैसले का विश्लेषण

हम संयुक्त राष्ट्र की अदालत के उस फैसले का विश्लेषण करेंगे, जिसे लेकर इटली से लेकर भारत तक भ्रम फैलाया जा रहा है। ये पूरा मामला भारत में दो मछुआरों की हत्या से जुड़ा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के इस फैसले को समझने के लिए सबसे पहले आपको ये पता होना चाहिए कि ये पूरा मामला क्या है तभी आप इस फैसले का मतलब समझ पाएंगे और तभी आपको इस बात का ज्ञान होगा कि ये फैसला किस तरह भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत है।

Zee जानकारी: इटालियन मरीन पर यूएन की अदालत के फैसले का विश्लेषण

नई दिल्ली: हम संयुक्त राष्ट्र की अदालत के उस फैसले का विश्लेषण करेंगे, जिसे लेकर इटली से लेकर भारत तक भ्रम फैलाया जा रहा है। ये पूरा मामला भारत में दो मछुआरों की हत्या से जुड़ा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के इस फैसले को समझने के लिए सबसे पहले आपको ये पता होना चाहिए कि ये पूरा मामला क्या है तभी आप इस फैसले का मतलब समझ पाएंगे और तभी आपको इस बात का ज्ञान होगा कि ये फैसला किस तरह भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत है।

इसलिए अब सरल भाषा में पूरा मामला समझिएः-
15 फरवरी, 2012 को केरल के पास समुद्र तट में 2 भारतीय मछुआरों को गोली मारी गई थी। 19 फरवरी, 2012 को मछुआरों की हत्या के आरोप में 2 Italian Marine पकड़े गए थे। इसके बाद 12 सितंबर, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने इनमें से एक Marine, को इलाज के लिए इटली जाने की इजाज़त दी। 9 अप्रैल, 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल grounds पर इटली में इलाज करा रहे Marine की छुट्टी बढ़ाई थी जबकि मछुआरों की हत्या का दूसरा आरोपी अभी भारत में ही है और उसे Italian Embassy में रखा गया है। 

अब आपको ये समझना होगा कि ये पूरा मामला संयुक्त राष्ट्र की अदालत में कैसे पहुंचा? इस पूरे मामले पर इटली की सरकार UN के Permanent Court of Arbitration में गई थी। इटली का तर्क ये था कि भारत में उसके नौसैनिक के Trial में देरी हो रही है। इटली का कहना है कि उसके Marine को भारत ने बिना किसी आरोप के पिछले 4 वर्षों से पकड़ा हुआ है। अदालत में इटली ने दलील दी कि जल्द से जल्द उसके नौसैनिक को रिहा किया जाए। इटली ने इसे मानव अधिकारों का उल्लंघन भी बताया था। 

अब इटली के इन दो नौसैनिकों के मामले पर UN की arbitration tribunal ने आज एक फैसला सुनाया है। और इटली और भारत के कई जल्दबाज़ पत्रकार इस फैसले का गलत मतलब निकाल रहे हैं। इटली की तरफ से ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि अदालत ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया है और उसके नौसैनिक को छोड़ने का आदेश दिया है। लेकिन ये फैसले की सही तस्वीर नहीं है। क्योंकि ये फैसला भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत है।

सबसे पहले तो आपको बता दें कि फैसले की कॉपी अभी सार्वजनिक नहीं की गई है। फैसले की कॉपी कल सार्वजनिक की जाएगी। लेकिन उससे पहले ही इटली के विदेश मंत्रालय ने जल्दबाज़ी की और इस फैसले को अपने पक्ष में बता दिया। लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इटली इस फैसले को Mis-represent कर रहा है यानी गलत ढंग से पेश कर रहा है। 

भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र की अदालत ने इटली के नौसैनिक को छोड़ने का आदेश नहीं दिया है बल्कि अदालत ने कहा है कि भारत में मौजूद इटली के नौसैनिक की ज़मानत की शर्तें भारत का सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा। सूत्र ये भी बता रहे हैं कि संयुक्त राष्ट्र की अदालत के फैसले के मुताबिक इटली का marine तभी देश छोड़कर जा सकता है, जब इटली उसके वापस भारत लौटने की गारंटी दे। 

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