Zee जानकारी : चीन की बुरी नज़र से बचाने के लिए तैनात हैं सिक्किम स्काउट्स
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Zee जानकारी : चीन की बुरी नज़र से बचाने के लिए तैनात हैं सिक्किम स्काउट्स

डीएनए में हमारा अगला विश्लेषण देश के उस हिस्से से जुड़ा हुआ है, जिसके बारे में मान्यता है, कि ये युद्ध करने के शौकीन भगवान इंद्र का बागीचा हुआ करता था। इसलिए इसे 'गार्डेन ऑफ द वार गॉड इंद्रा' भी कहते हैं। मैं पूर्वोत्तर भारत के राज्य सिक्किम की बात कर रहा हूं। सिक्किम मूल तौर पर लिंबू भाषा के दो शब्दों का मिश्रण है। लिंबू एक तिब्बती भाषा है, जिसमें एसयू का मतलब होता है, नया और Khyim का मतलब होता है महल। यानी नया महल। भारत के इस खूबसूरत महल पर चीन की बुरी नज़र है और इसकी रखवाली करने के लिए अब सिक्किम स्काउट्स तैनात हो चुके हैं। 

Zee जानकारी : चीन की बुरी नज़र से बचाने के लिए तैनात हैं सिक्किम स्काउट्स

नई दिल्ली : डीएनए में हमारा अगला विश्लेषण देश के उस हिस्से से जुड़ा हुआ है, जिसके बारे में मान्यता है, कि ये युद्ध करने के शौकीन भगवान इंद्र का बागीचा हुआ करता था। इसलिए इसे 'गार्डेन ऑफ द वार गॉड इंद्रा' भी कहते हैं। मैं पूर्वोत्तर भारत के राज्य सिक्किम की बात कर रहा हूं। सिक्किम मूल तौर पर लिंबू भाषा के दो शब्दों का मिश्रण है। लिंबू एक तिब्बती भाषा है, जिसमें एसयू का मतलब होता है, नया और Khyim का मतलब होता है महल। यानी नया महल। भारत के इस खूबसूरत महल पर चीन की बुरी नज़र है और इसकी रखवाली करने के लिए अब सिक्किम स्काउट्स तैनात हो चुके हैं। 

अंगूठे के आकार का सिक्किम, भारत का एक ऐसा राज्य है, जो पश्चिम में नेपाल, उत्तर-पूर्व में चीन और दक्षिण-पूर्व में भूटान से लगा हुआ है। अपने छोटे आकार के बावजूद सिक्किम भौगोलिक दृष्टिकोण से भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। सिक्किम की भौगोलिक स्थिति ऐसी है, कि चीन हर वक्त इसपर अपनी नज़रें टिकाए रखता है। सिक्किम में चीन का चुंबी वैली इलाक़ा, किसी ख़ंजर की तरह भारत और भूटान के बीच में धंसा हुआ है। चुंबी वैली, सिलीगुड़ी कॉरिडोर से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर है। आपको बता दूं, कि सिलीगुड़ी कॉरीडोर, भारत और बांगलादेश के बीच में संकरी ज़मीन का वो हिस्सा है, जो सातों उत्तर-पूर्वी राज्यों को देश से जोड़ता है। यहां पर कुछ जगहें तो ऐसी हैं, जो सिर्फ 20 किलोमीटर चौड़ी हैं। यानि अगर चीन सिलिगुड़ी कॉरिडोर तक आ जाए, तो ना केवल वो नॉर्थ-ईस्ट को भारत से काट देगा, बल्कि उसकी पहुंच सीधे बांगलादेश तक हो जाएगी। 

हाल ही चीन ने इस इलाक़े तक पहुंच बनाने वाला एयरपोर्ट भी बनाया है, यानी चीन इस क्षेत्र में बहुत आक्रामक तरीके से काम कर रहा है। भारत ने अपनी ये कमज़ोरी दूर करने की ज़िम्मेदारी सिक्किम स्काउट्स को दी है। आपमें से कई दर्शकों को देश की सेना के बारे में तो जानकारी होगी, लेकिन आप सिक्किम स्काउट्स जैसी यूनिट से अनजान होंगे। इसलिए सबसे पहले आपको इस स्काउट के बारे में जानकारी दे देते हैं।

-सिक्किम स्काउट्स, भारतीय सेना पर आधारित और सिक्किम राज्य से सम्बंधित रेजीमेंट है। 
-इसे वर्ष 2013 में बनाया गया था और वर्ष 2015 में औपचारिक रुप से सेना में शामिल कर लिया गया था। 
-आपको ये जानकर अच्छा लगेगा, कि सिक्किम स्काउट्स, भारतीय सेना की सबसे कम उम्र की रेजीमेंट है।
-इस रेजीमेंट को लद्दाख स्काउट्स और अरुणाचल स्काउट्स की तर्ज पर गठित किया गया था।
-जिसका मकसद, देश की पहाड़ी सीमा क्षेत्र से सटे सीमा की रखवाली और हिमालय के इलाके में होने वाले युद्ध के लिए तैयार रहना है। 
-सिक्किम स्काउट्स के सैनिकों को पहाड़ पर होने वाले युद्ध की रणनीति के लिए ट्रेन किया जाता है। 
-इस रेजीमेंट में शामिल ज़्यादातर सैनिक स्थानीय लोग होते हैं और इनकी तैनाती भी सिर्फ सिक्किम में ही हो सकती है। क्योंकि ये स्थानीय इलाके से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं।

आपको अभी तक ये तो पता होगा, कि भारत और चीन के बीच वर्ष 1962 का युद्ध लड़ा गया था। लेकिन, शायद आप ये नहीं जानते होंगे, कि चीन ने 1 अक्टूबर 1967 को सिक्किम के नाथू ला और चो ला में हमला करके, इलाके पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी। हालांकि, उस वक्त भारतीय सेना ने दोनों ही जगह चीन को पीछे धकेल दिया था। इन झड़पों में भारत के 88 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन को अपने 340 सैनिक गंवाने पड़े थे। हालांकि, वर्ष 2003 में यानी भारत का 22वां राज्य बनने के 28 साल के बाद, चीन ने सिक्किम को भारत के राज्य के रूप में स्वीकार तो कर लिया था। लेकिन उसकी नीयत ऐसी है, कि आए दिन इन इलाकों में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी घुसपैठ करती रहती है। इसलिए सिक्किम को सुरक्षित रखना, भारत के लिए बहुत ज़रुरी है। यही वजह है, कि स्थानीय युवकों को प्रशिक्षित करके, उन्हें सिक्किम स्काउट्स में शामिल किया गया है। ताकि चीन की हर चाल का जवाब दिया जा सके।

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