आपको याद होगा कि इसी 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में बलोचिस्तान का नाम लिया था। प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण ने बलोचिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया। नरेन्द्र मोदी के भाषण का असर ये हुआ कि बलोच लोगों की दबी हुई आवाज़ दुनिया भर में सुनाई देने लगी।
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नई दिल्ली : आपको याद होगा कि इसी 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में बलोचिस्तान का नाम लिया था। प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण ने बलोचिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया। नरेन्द्र मोदी के भाषण का असर ये हुआ कि बलोच लोगों की दबी हुई आवाज़ दुनिया भर में सुनाई देने लगी।
यूरोप के दो सबसे शक्तिशाली देश इंग्लैंड और जर्मनी में बलोचिस्तान के लोगों ने पाकिस्तान और चीन की दोस्ती के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं। ये लोग चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानि CPEC का विरोध कर रहे हैं।
CPEC चीन का एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है। चीन अपनी ऊर्जा संबंधी ज़रूरतों का एक बहुत बड़ा हिस्सा आयात करता है, और इसके लिए उसे हिंद महासागर और साउथ चाइना सी का रास्ता चुनना पड़ता है। चीन को डर है कि इस सप्लाई लाइन को भारतीय नौसेना कभी भी काट सकती है। और चीन की इस चिंता का इलाज है CPEC।
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानि CPEC के सहारे चीन अपने लिए तेल की सप्लाई बिना हिंद महासागर में जाए चीन तक ले जा सकता है।
इसके लिए चीन ने करीब 3 लाख 10 हज़ार करोड़ रुपये का खर्च किया है। बलोचिस्तान के ग्वादर में पिछले एक दशक में चीन ने एक बड़ा पोर्ट बनाया है। यहां से रेल, सड़क और पाइपलाइनों के ज़रिए चीन अपनी ऊर्जा संबंधी ज़रूरतें पूरी करेगा। ये सड़क, रेल और गैस पाइपलाइनें Pok से होकर गुज़र रही हैं, जिसे भारत अपना अभिन्न हिस्सा मानता है पर चीन ने कभी भी भारत की आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया लेकिन 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कूटनीतिक बयान के बाद चीन को अपनी इस महंगी योजना पर बड़ा संकट नज़र आ रहा है।
और इसीलिए चीन सीधे भारत को धमकी दे रहा है। चीन के रक्षा विभाग से जुड़े एक थिंक टैंक China Institute of Contemporary International Relations ने कहा है कि अगर भारत ने CPEC में बाधा डालने वाली कोई कार्रवाई की तो चीन को सीधे दखल देना पड़ेगा। इस थिंक टैंक का मानना है कि भारत बलोचिस्तान में पाकिस्तान सरकार का विरोध करने वाले लोगों का इस्तेमाल कर सकता है।