Zee जानकारी: आतंकवाद से नहीं, 'प्यार' में ज्यादा मरते हैं भारतीय
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Zee जानकारी: आतंकवाद से नहीं, 'प्यार' में ज्यादा मरते हैं भारतीय

Zee जानकारी: आतंकवाद से नहीं, 'प्यार' में ज्यादा मरते हैं भारतीय

अब हम प्यार और नफरत का एक तुलनात्मनक अध्ययन करेंगे. सुनने में प्यार और नफरत विरोधी शब्द लगते हैं. लेकिन सच ये है कि कई बार प्यार ही नफरत की बुनियाद बन जाता है. आप इसे Dichotomy Of Love यानी प्यार का विरोधाभास भी कह सकते हैं. प्यार नफरत में बदल जाता है. ये तो आप जानते हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि प्यार. आतंकवाद से भी ज्यादा लोगों की जान ले सकता है. आपको शायद यकीन ना हो लेकिन भारत के संदर्भ में ये बात बिल्कुल सही है. 

National Crime Records Bureau यानी NCRB के मुताबिक वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2015 के बीच भारत में आतंकवाद की वजह से 20 हज़ार लोगों की जान गई जबकि इसी दौरान प्यार की वजह से 38 हज़ार 585 लोगों की हत्याएं हुईं. इनमें इरादतन और गैर इरादतन हत्याएं शामिल हैं. इतना ही नहीं वर्ष 2001 से लेकर 2015 के बीच 58 हज़ार 178 लोगों ने प्यार से जुड़ी अलग-अलग वजहों से खुदकुशी की. यानी प्यार में लोग सिर्फ दूसरों की जान ही नहीं ले रहे हैं बल्कि आत्महत्या भी कर रहे हैं. इसी तरह इन 15 वर्षों के दौरान अपहरण के 2 लाख 60 हज़ार मामले दर्ज किए गए और इनके पीछे भी मुख्य कारण प्यार ही था. ज्यादातर अपहरणों का मकसद किडनैप की गई लड़की से शादी करना था. 

चीन के महान दार्शनिक 'लाओ-त्से' ने कहा था कि जब आपको कोई बहुत गहराई से प्यार करता है. तो इससे आपको शक्ति मिलती है और जब आप किसी को बहुत गहराई से प्यार करते हैं तो आपको साहस मिलता है. यानी चाहे कोई आपसे प्यार करें या आप किसी से प्यार करें. आपके जीवन में साहस और शक्ति का संचार हो जाता है और ये एक बहुत अच्छी बात होती है. यहां आपको ये समझना होगा कि प्यार छीना नहीं जा सकता उसे अर्जित करना पड़ता है लेकिन ज्यादातर लोग प्यार में अंधे हो जाते हैं. वो इसे अहंकार का विषय मान लेते हैं. इसी अहंकार में लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं या फिर अपने अहं. को चोट पहुंचने पर खुदकुशी जैसा कदम उठा लेते हैं.

प्यार की गलत परिभाषा गढ़ने में हमारी फिल्में और हमारा समाज भी एक हद तक जिम्मेदार है. हिंदी सिनेमा की फिल्मों में अक्सर हीरो-हिरोईन को मनाने के लिए उसका पीछा करता है. फिल्मों में अक्सर एक डायलॉग का इस्तेमाल किया जाता है. जिसका मतलब होता है. कि लड़की की ना में भी हां होती है. इसके अलावा कई फिल्मों में प्रेमी-प्रेमिका को मनाने के लिए दीवानगी की हदें पार कर देता है. फिल्मों में दिखाया जाता है कि जब कोई हीरो बहुत सारी कोशिशें करता हैं तो आखिर में हीरोइन मान जाती है और उससे प्यार करने लगती है. हमें लगता है कि असल जिंदगी में ऐसा नहीं होता है. आप जिससे प्यार करते हैं. इसमें उसकी रज़ामंदी भी शामिल होनी चाहिए. आप किसी को जबदरदस्ती प्यार के लिए मना नहीं सकते.

यहां बहुत सारे लोगों को ये भी लग रहा होगा कि प्यार और आतंकवाद से होने वाली मौतों की आपस में तुलना कैसे हो सकती हैं लेकिन हम यहा ये बात साफ कर देना चाहते हैं कि ये तुलना नहीं है. ये आंकड़ों को आमने-सामने रखकर किसी समस्या की गंभीरता को दिखाने का तरीका है. ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि प्यार के ज़ख्म निजी ज़ख्म होते हैं और आतंकवाद के ज़ख्म पूरे देश के ज़ख्म होते हैं. इसलिए इन दोनों की तुलना नहीं हो सकती. लेकिन प्यार से होने वाली मौतों को नज़रअंदाज़ भी नहीं किया जा सकता. क्योंकि देश लोगों से ही बनता है और अगर किसी देश के लोग दुखी रहेंगे, तो वो देश कभी सुपरपावर नहीं बन पाएगा. प्यार दुखी होने के लिए नहीं किया जाता. प्यार खुद को और दूसरों को खुश रखने के लिए किया जाता है.

अक्सर आपने लोगों को Fall In love कहते हुए सुना होगा लेकिन हमें लगता है कि Rise In Love सही वाक्य है. किसी भी देश में प्यार की वजह से इतनी बड़ी संख्या में लोगों का मारा जाना, अच्छी बात नहीं है, इसलिए आज हमनें इस प्यार के Side Effects पर एक विश्लेषण किया है. 

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