आइए समझते हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद भारतीय राजनीति में क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं.
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बेंगलुरू: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए हुई वोटिंग के बाद आए अलग-अलग एक्जिट पोल में त्रिशंकु परिणाम आने की अटकलें हैं. कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस के बीच कांटे की टक्कर की संभावना जताई जा रही है. हालांकि ये तो 15 मई को वोटों की गिनती के बाद ही पता चल पाएगा कि आखिर कर्नाटक की जनता किस पार्टी को सत्ता देगी. इन सब के बीच एक बात तो तय है कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम चाहे जो भी हो लेकिन इसका 2019 के लोकसभा चुनाव में दिखना तय है. आइए समझते हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद भारतीय राजनीति में क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं.
1. 2014 के बाद पहली बार जनता देगी यह संदेश: एक्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा होने का अनुमान लगाया जा रहा है. अगर ऐसा होता है तो 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका होगा जब किसी बड़े राज्य की जनता संदेश देगी की वह किसी भी दल में पूरी तरह भरोसा नहीं करती है. 2014 के बाद भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव यह देखने को मिला था कि जनता किसी एक दल को ही भरपूर समर्थन देती आ रही है.
2. गठबंधन की राजनीति को मिलेगा बल: 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी अकेले दम पर बहुमत हासिल कर ली थी. हालांकि बाद के उपचुनाव में बीजेपी के हाथ से कई सीटें निकल गईं. इसके बाद कहा जाने लगा था कि क्या भारतीय राजनीति से गठबंधन का दौर दूर हो जाएगा? क्योंकि राज्यों के चुनावों में भ इसके संकेत मिलने लगे थे. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद ज्यादातर राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी अकेले दम पर सत्ता में आई. वहीं बिहार में चुनाव से पहले बने आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस गठबंधन के प्रति जनता ने भरोसा जताया. कर्नाटक में चुनाव से पहले किसी बड़े दलों के बीच कोई गठबंधन नहीं हुआ है. त्रिशंकु विधानसभा के हालात बनने पर कांग्रेस या बीजेपी दोनों को क्षेत्रीय पार्टी जेडीएस से मोल-भाव करने होंगे. इससे एक बार फिर से गठबंधन की राजनीति को बल मिलेगा.
3. कांग्रेस मुक्त भारत अभियान को मिलेगी धार: अगर कर्नाटक चुनाव में बीजेपी सत्ता में आती है तो उसके कांग्रेस मुक्त अभियान को धार मिलेगी. आगामी मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बहुत बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत मिलेगी. पार्टी के कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव में आत्मविश्वास के साथ उतरेगी.
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4. विपक्षी एकजुटता के लिए कांग्रेस को चाहिए की जीत की खुराक: राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस पार्टी गुजरात में मामूली अंतर से चुनाव हार चुकी है. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटी है. ऐसे में कर्नाटक चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए काफी मायने रखता है. अगर कांग्रेस अपने सबसे बड़े किले को बचाने में सफल रह पाती है तो वह ममता बनर्जी, लालू प्रसाद यादव, शरद पवार, चंद्रबाबू नायडू, नवीन पटनायक सरीखे क्षेत्रीय दिग्गजों को भरोसा दे पाएगी कि जनता का विश्वास अभी भी उनके प्रति कायम है. अगर कांग्रेस हार जाती है तो तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट एक बार फि से तेज हो सकती है.
5. राजनीतिक दल ले सकते हैं बड़े फैसले: कर्नाटक चुनाव का परिणाम आने के बाद राजनीतिक दल बड़े फैसले लेने शुरू कर सकते हैं. अगर कांग्रेस हारती है तो वह नए सिरे से 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी करेगी. वहीं बीजेपी अगर हारती है तो वह पार्टी स्तर पर एजेंडे में बदलाव कर सकती है. इसके अलावा केंद्र सरकार भी जनहित के कुछ बड़े फैसले ले सकती है.