Weight Stigma: मोटू मत कहो न... कहीं ये तंज न बन जाए डिप्रेशन की वजह, तुरंत बदलें अपनी आदत
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Weight Stigma: मोटू मत कहो न... कहीं ये तंज न बन जाए डिप्रेशन की वजह, तुरंत बदलें अपनी आदत

Obesity: हमारे समाज में मोटा होना एक टैबू है, और किसी को मोटू कह देना नॉर्मल है, लेकिन वर्ल्ड ओबेसिडी फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि इस तरह के लफ्जों का इस्तेमाल उस इंसान के लिए खतरनाक है जिन्हें आप मोटा कह रहे हैं. 

Weight Stigma: मोटू मत कहो न... कहीं ये तंज न बन जाए डिप्रेशन की वजह, तुरंत बदलें अपनी आदत

How to Deal With Weight Stigma: अगर आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि आपके आसपास के ज्यादातर लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं, जरूरी नहीं है कि इसकी वजह ये हो कि वो इंसान अपने हेल्थ को लेकर काफी ज्यादा कॉन्शियस हों, बल्कि अक्सर उन्हें दूसरे लोगों से मोटे होने तंज सुनना पड़ता है. वर्ल्ड ओबेसिडी फेडरेशन (World Obesity Federation) मोटापे को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं, उनके मुताबिक मोटा कहने से बच्चों और किशोर उम्र के लोगों के मेंटल हेल्थ को तगड़ा नुकसान पहुंचता है, जिसमें डिप्रेशन और एंग्जायटी शामिल हैं.

'मोटू' कहना कर दें बंद
अगर आप किसी को सुस्त, पेटू, मोटू और खराब दिखने वाले शब्दों से परेशान करते हैं तो आज ही अलर्ट हो जाएंगे क्योंकि ये वेट स्टिगमा (Weight Stigma) का कारण बन सकता है. हमारे समाज में ज्यादा वजन को लेकर कई गलत धारणाएं और स्टीरियोटाइप्स हैं जिन्हें बदलने की जरूरत है. डब्ल्यूओएफ ने हाल ही में ओबेसिटी रिव्यूज जर्नल में अपना बयान ने इस संकट से निपटने के तरीके बताए हैं.

कौन लोग होते हैं मोटे?
वर्ल्ड ओबेसिडी फेडरेशन के मुताबिक मोटापे को उन्ही लोगों के साथ जोड़ना चाहिए जिनमें ओबेसिटी डाइगनोज हुई हो, ये वो लोग हैं जिनके शरीर पर हद से ज्यादा या एबनॉर्मल तरीके से फैट जमा हो गया हो और ये उनकी सेहद के लिए खतरा हो. किसी भी ओवरवेट शख्स को ऐसे शब्दों से नहीं पुकारा जाना चाहिए जो कलंक या तंज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता हो. 

जन्म देने वाली मां पर भी होता है प्रेशर
वर्ल्ड ओबेसिडी फेडरेशन ने ये भी बताया कि जब कोई महिला बच्चे को जन्म देते है तो पहले 6 हफ्ते के बाद वो अपनी प्रेग्नेंसी से पहले वाले वजन पर लौटने का दबाव महसूस रहती है. ऐसे सोशल प्रेशर की वजह से उन्हें पोस्ट डिलिवरी डिप्रेशन का सामना करना पड़ता है जो खतरनाक है.

रिसर्च में क्या पता चला?

प्रिस्टीन डाटा लैब्स ने भारत में 3,000 से ज्यादा लोगों के अलग-अलग नमूनों को शामिल कर एक डिटेल्ड स्टडी की है, जिसमें अहम बातें सामने आई हैं. इससे मोटापे से जुड़े मसलों से निपटने के लिए ज्यादा जागरूकता और ठोस कदम उठाने की जरूरत है. इस रिसर्च से यह बात पता चली है कि 61 फीसगी लोगों को अपने बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के बारे में जानकारी ही नहीं है. इसके अलावा, 2 में से 1 प्रतिभागी का मनना है कि कोरोना महामारी के बाद उनका वजन बढ़ा है, जो लाइफस्टाइल और हेल्दी हैबिट्स पर कोविड-19 के संभावित असर को दिखाता है. इस स्टडी के मुताबिक, 70 फीसदी लोग मानते हैं कि मोटापे की वजह से उन्हें प्रोफेशनल एनवायरनमेंट और सोशल सर्कल में तंज का सामना करना पड़ता है. इसलिए एक बेहतर और मददगार माहौल को बढ़ावा देने के अहमित पर जोर देना जरूरी है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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