दिल्ली गैंगरेप: हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई 8 अक्टूबर तक टली
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दिल्ली गैंगरेप: हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई 8 अक्टूबर तक टली

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 16 दिसंबर को 23 वर्षीय युवती के सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में चार दोषियों की मौत की सजा पर सुनवाई आज 8 अक्तूबर तक टाल दी।

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने 16 दिसंबर को 23 वर्षीय युवती के सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में चार दोषियों की मौत की सजा पर सुनवाई आज 8 अक्तूबर तक टाल दी। न्यायमूर्ति रीवा खेत्रपाल और न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी की पीठ ने इस मामले की सुनवाई उस समय स्थगित कर दी जब दोषियों के वकील ने न्यायालय को बताया कि वे जल्द ही अपील दायर करेंगे।
इस मामले में दोषी ठहराये गए मुकेश (26 वर्ष), अक्षय ठाकुर (28 वर्ष), पवन गुप्ता (19 वर्ष) और विनय शर्मा (20 वर्ष) के वकील ने न्यायालय को यह भी बताया कि उन्हें पुलिस से जरूरी दस्तावेज प्राप्त हो गए है। इन चारों मुजरिमों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई है।
वकील ने हालांकि पीठ को बताया कि उन्हें पीड़िता के मौत से पहले दिये गए बयान का हिन्दी से अंग्रेजी में अनुवाद नहीं मिला है साथ ही सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत गवाहों के संबंधित बयान नहीं प्राप्त हुए हैं। दोषियों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई आठ अक्तूबर के लिए टाल दी।
उच्च न्यायालय ने 25 सितंबर को पुलिस को सभी दोषियों को दस्तावेज मुहैया कराने का निर्देश दिया था। पीठ ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को अनुदित रूप भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। त्वरित अदालत ने 13 सितंबर को मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को मौत की सजा सुनाते हुए इस निर्णय को पुष्टि के लिए उच्च न्यायालय के पास भेज दिया था। निचली अदालत को मौत की सजा से जुड़े प्रत्येक मामले को पुष्टि के लिए उच्च न्यायालय को भेजना होता है।
सामूहिक बलात्कार के मामले में निचली अदालत ने चारों को मौत की सजा सुनाते हुए कहा कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है क्योंकि अपराध निरीह लड़की के खिलाफ ‘बबर्रतापूर्ण’ और रोंगटे खड़े करने वाले ढंग से किया गया। निचली अदालत ने कहा कि इसके अनुरूप दोषियों को मृत्यु तक फांसी पर लटकाया जाए। (एजेंसी)

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