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नई दिल्ली: वोडाफोन कर मुद्दे को लेकर जारी विवाद के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विदेशी निवेशकों को स्पष्ट संकेत देते हुए गुरुवार को कहा कि कर मामलों में कोई मनमानी नहीं होगी।
एक अखबार के साथ वार्ता में उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि विश्व यह जाने कि भारत हर किसी के साथ न्यायपूर्ण और उचित व्यवहार करता है और कर मामलों में कोई मनमानी नहीं होगी।
आयकर कानून में पिछली तिथि से संशोधन को लेकर उठे विवाद के परिपेक्ष्य में प्रधानमंत्री का यह बयान काफी अहमियत रखता है। वोडाफोन जैसी कंपनियों ने कर भुगतान से बचने के लिए देश से बाहर अधिग्रहण सौदे किए, जबकि ये सौदे भारत स्थित परिचालन को लेकर थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ भारत की आर्थिक वृद्धि का सफर जारी है। हम काम करना जारी रखेंगे जैसा कि हम पिछले आठ वषरें से करते रहे हैं जिससे यह सफर जारी रहे।’ सिंह ने कहा कि वह चाहते हैं कि उनकी सरकार न्यायपूर्ण है और वह लालफीताशाही समाप्त करना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ हम कारोबारी प्रस्तावों के लिए सरकार की ओर से कार्रवाई में लगने वाले समय में कमी लाने के लिए काम करेंगे, निष्फल प्रक्रिया में कटौती करेंगे और भारत को और अधिक कारोबार अनुकूल स्थान बनाएंगे।’’ सिंह ने कहा, ‘ इस बात की आवश्यकता है कि हम एक खुली अर्थव्यवस्था की आलोचना करने के बजाय यह बात करें कि लोगों के कल्याण के लिए खुली अर्थव्यवस्था को कैसे बेहतर बनाया जाए।’
प्रधानमंत्री ने कुछ नीतियों पर एक राजनीतिक आम सहमति का भी आह्वान किया। उन्होंने माना कि ‘विचारों में स्वाभाविक मतभेद हैं।’ सिंह ने कहा, ‘ सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमें कुछ नीतियों पर सरकार में राजनीतिक आम सहमति की जरूरत है। विचारों में ये मतभेद स्वाभाविक हैं। इसलिए, एक लोकतंत्र में, दीर्घकालीन आर्थिक सफलता के लिए आम सहमति बनाना महत्वपूर्ण है और हम इस दिशा में धीरे धीरे बढ़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि रेलवे, सड़क, बंदरगाह और नागर विमानन में निवेश के कई रास्ते खुलने जा रहे हैं। ‘ हमारे हाथों को मजबूती प्रदान करने और इन अहम क्षेत्रों में योगदान करने की दिशा में विश्व के लिए दरवाजे खुले हैं।’
वित्त मंत्रालय का भी प्रभार संभाल रहे सिंह ने कहा कि उनके अधिकारी राजकोषीय घाटे पर काबू पाने के लिए उपायों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि निवेश के रास्तों की कमी के चलते भारतीय बचत सोना में चला गया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ हमें नए द्वार खोलने की जरूरत है ताकि बचत को उत्पादक निवेशों में लगाया जा सके जो रोजगार का सृजन करे और आर्थिक वृद्धि को बढ़ाए।’ भ्रष्टाचार के बारे में पूछे जाने पर, सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ‘उनकी निगरानी में भ्रष्टाचार का कोई विस्फोट हुआ है।’ उन्होंने कहा, ‘ अर्थव्यवस्था को लेकर निराशावादी रुख जमीन स्तर से अधिक बाजार में है, भ्रष्टाचार के मामले में मुझे नहीं लगता कि मेरी नजर में भ्रष्टाचार में कोई विस्फोट हुआ है।’ (एजेंसी)